खेल
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खेल, कई नियमों एवं सिद्दांतों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है। खेल सामान्य अर्थ में उन गतिविधियों को कहा जाता है, जहाँ प्रतियोगी की शारीरिक क्षमता खेल के परिणाम (जीत या हार) का एकमात्र अथवा प्राथमिक निर्धारक होती है। मानव संस्कृति में खेल का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। भारतीय दार्शनिक तो जीवन को खेल मानते हैं। उनके अनुसार परमेश्वर ने खेल खेल में ही सारी सृष्टि रच डाली है। अन्य अनेक देशों में भी इसी प्रकार की मान्यताएँ पाई जाती हैं। दार्शनिक दृष्टि से सृष्टि को या जीवन को खेल समझना मानवीय जीवन के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभप्रद सिद्ध हुआ है। यदि ऐसा न होता तो मनुष्य को जीवन की कठिनाइयाँ झेलनी मुश्किल हो जातीं। यही कारण है कि मानवीय जीवन में खेल आदिकाल से आज तक समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। असभ्य तथा सभ्य, सभी जातियों में खेल का महत्त्व बराबर है। प्राचीन काल में जो महान् देश गिने गए, उन देशों में खेल का महत्त्व उतना ही बढ़ गया।
व्यवस्थित रूप
खेल को पूर्ण व्यवस्थित रूप सर्वप्रथम यूनानियों ने दिया। उनकी नागरिक व्यवस्था में खेल का महत्त्वपूर्ण स्थान था। उस युग में ओलिंपिक खेलों में विजय मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि समझी जाती थी। गीतकार उनकी प्रशंसा में गीत लिखते थे और कलाकार उनके चित्र तथा मूर्ति बनाते थे। राज्य की ओर से उन्हें सम्मान मिलता था और उनका सारा व्यय राज्य सँभालता था। यूनानी खेल की विशेषता यह थी कि पुरस्कारों का कोई भौतिक मूल्य नहीं होता था। यह पुरस्कार प्रतीक मात्र लारेल वृक्ष की पत्ती होता था।
धर्म से संबंध
यूनान के पश्चात् रोम में ऐसे ही सुव्यवस्थित खेल देवताओं की उपासना में खेले जाने लगे। इनके खेलों का भी धर्म से संबंध था। बड़े आदमी की मृत्यु या विजय के उपलक्ष में भी वहाँ खेल होने लगे थे। रोमन जनता की प्रवृत्ति देखकर निर्वाचन के उम्मीदवार प्राय: खेलों का आयोजन करते थे, जिससे जनता उनसे प्रसन्न होकर उनको निर्वाचित करे। इन खेलों को देखने के लिये जनता उमड़ पड़ती थी। यहाँ तक कि स्वयं सम्राट् इन्हें देखते थे।
भारत में खेल
प्राचीन भारत में भी शारीरिक परिश्रम की प्रतिष्ठा थी। हड़प्पा की खुदाई में बच्चों के खेलने के बहुत से मिट्टी के खिलौने मिले हैं। ताँबे की बैलगाड़ी, मिट्टी आदि के अनंत खिलौने, पासों के खेल के पट्टे इत्यादि सिंधु सभ्यता के नगरों से प्राप्त हुए हैं। पासों की गोटें बड़े पत्थरों की बनी होती थीं। जुए के खेल, पासे आदि के पट्टे प्राचीन नगरों के खंडहरों से भी मिले हैं, जिससे उस खेल की लोकप्रियता प्रकट है। भारतीय इतिहास में तो इससे अनेक राजवंश नष्ट हो गए थे। नल और पांडव इसी व्यसन से संकटग्रस्त हुए। ऋग्वेद में जुआरी की पत्नी तक को दाँव पर लगाकर हार जाने, उसके तत्पश्चात् करुण विलाप तथा पासों की मोहक शक्ति का बड़ा विशद और मार्मिक वर्णन हुआ है। जुआ लकड़ी के पासों से खेला जाता था। ऋग्वेद में जिस समन नामक मेले का उल्लेख हुआ है, उसमें सामूहिक नृत्यादि रात में और घुड़दौड़, रथधावन आदि खेल दिन में हुआ करते थे। वहीं कुमारियों के लिए वर भी प्राप्त हो जाया करते थे। ऋषि का वाक्य है:
नाऽन्य आत्मा बलहीनेन लभ्य:
अर्थात, निर्बल द्वारा आत्मा की उपलब्धि नहीं होती। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष केवल बलवान को ही मिल सकता है उस समय विनोद और व्यायाम के बहुत से खेल खेले जाते थे। घुड़दौड़ तथा रथों की दौड़ का बहुत प्रचार था।
खेलकूद की भूमिका
मनुष्य के व्यक्तित्व के चहुँमुखी विकास में खेल-कूद की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। इनसे मनोरंजन तो होता ही है, शारीरिक क्षमता भी बढ़ती है। खेलों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न होती हैं जो समाज को जोड़ने में अपनी भूमिका निभाते हैं। खेल-कूद में उत्कृष्ट उपलब्धियों से राष्ट्र का सम्मान व प्रतिष्ठा बढ़ती है लेकिन पुराने जमाने के खेल-कूद से अलग, आज के खेल अत्यंत प्रतिस्पर्धा वाले बन गये हैं। आधुनिक उपकरणों, बुनियादी ढाँचे और परिष्कृष्ट वैज्ञानिक सहायता से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल-कूद परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। अत्याधुनिक खेल उपकरणों, बुनियादी ढाँचे और वैज्ञानिक सहायता की बढ़ती माँग को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने कई क़दम उठाये हैं।
नई राष्ट्रीय खेल नीति 2001
- खेलों को बढ़ावा देने तथा प्रतिभाशाली युवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने वर्ष 2001 में नई राष्ट्रीय खेल नीति बनाई।
- आरंभ में राष्ट्रीय खेल नीति 1984 में बनाई गई थी।
- राष्ट्रीय खेल नीति की मुख्य बातें हैं-
- खेलों का आधार व्यापक करना तथा उपलब्धियों में श्रेष्ठता लाना
- संरचनात्मक ढाँचे का विकास तथा उच्चीकरण
- राष्ट्रीय खेल फेडरेशनों और दूसरी उपयुक्त संस्थाओं को सहायता प्रदान करना
भारतीय खेल प्राधिकरण
- भारत सरकार ने जनवरी 1984 में भारतीय खेल प्राधिकरण की स्थापना एवं पंजीकृत सोसाइटी के रूप में की थी।
- प्रारंभ में इसका उद्देश्य 1982 में एशियाड के दौरान दिल्ली में निर्मित खेलकूद की बुनियादी सुविधाओं के कारगर रख-रखाव तथा उनके अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करना था। अब यह देश में खेलों के विस्तार तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में विशेष उपलब्धि के लिए खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की नोडल एजेंसी बन गई है।
- खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए शीर्ष पर एक ही एजेंसी स्थापित करने के उद्देश्य से 1 मई, 1987 को राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा और खेलकूद सोसाइटी (एसएनआईपीईएस) का भारतीय खेल प्राधिकरण में विलय कर दिया गया।
लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय
- लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान की स्थापना भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की पहली लड़ाई के शताब्दी वर्ष में 17 अगस्त, 1957 को एक महाविद्यालय के तौर पर की गई थी।
- यह विश्वविद्यालय ग्वालियर में स्थित है जहाँ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में अपने प्राण न्यौछावर किये थे।
- शारीरिक शिक्षा तथा खेल के लिए किए गए प्रयासों को देखते हुए 1995 में इस संस्थान को विश्वविद्यालय के समकक्ष घोषित किया गया और 14.1.2009 से इसे लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय के नाम से पुकारा जाने लगा है।
खेल-कूद में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की योजना
राष्ट्रीय खेल परिसंघों को मदद देने की योजना
- राष्ट्रीय खेल परिसंघ योजना के अंतर्गत सरकार भारत में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित करती है।
प्रशिक्षण योजना
- प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को देश और विदेश में प्रशिक्षण या प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उपकरणों की ख़रीद तथा वैज्ञानिक सहायता के लिए सहायता उपलब्ध करायी जाती है।
- इसका पूरा नाम प्रतिभा खोज और प्रशिक्षण योजना है।
राष्ट्रीय खेल विकास कोश
- केंद्र सरकार के राष्ट्रीय खेल विकास कोश का गठन देश में खेल-कूद को बढ़ावा देने के लिए किया। इसके अंतर्गत प्रवासी भारतीयों और निजी-कार्पोरेट क्षेत्र सहित सरकारी और गैर-सरकारी सभी स्रोतों से पैसा जुटाया जाता है।
- कोश में मदद करने को आकर्षक बनाने के लिए अंशदान की राशि पर आयकर में शत प्रतिशत छूट दी जाती है।
- सरकार ने 1998-99 में दो करोड़ रुपये के अंशदान से कोश की शुरुआत की।
राष्ट्रमंडल खेल
राष्ट्रमंडल खेल • | राष्ट्रमंडल खेल 2010 • | उपलब्धियाँ |
- राष्ट्रमण्डल खेल, ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल देशों के अन्तर्गत आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता है।
- 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी दिल्ली, भारत को सौंपी गई। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका था। एशिया में भी यह 1998 के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन था। [1]
- भारत में हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 71 देशों ने भाग लिया। 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) को सौंपी गई।
राष्ट्रीय कल्याण कोश
- खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय कल्याण कोश की स्थापना मार्च, 1982 में बीते जमाने के ऐसे खिलाड़ियों की मदद के लिए की गयी थी जिन्होंने पदक जीत कर देश का नाम रौशन किया लेकिन जो फिलहाल ख़राब परिस्थितियों में जीवन बिता रहे हैं।
- राष्ट्रीय कल्याण कोश से ऐसे खिलाड़ियों और उनके परिवारों को भी अनुदान सहायता के रूप में एकमुश्त राशि दी जाती है जिन्हें प्रशिक्षण के दौरान या अंतर्राष्ट्रीय खेल-कूद प्रतियोगिता में भाग लेते समय घातक चोट लगी हो।
खेल सहभागिता से संबंधित कार्यक्रम
राष्ट्रीय महिला खेल-कूद चैम्पियनशिप
- राष्ट्रीय महिला खेलकूद योजना 1975 में शुरू की गयी।
- इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को खेल-कूद के लिए प्रोत्साहित करना है।
- राष्ट्रीय महिला खेलकूद योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताओं से पहले निचले स्तर (ब्लॉक, ज़िला और राज्य) पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
- इन आयोजनों के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशो को वित्तीय सहायता दी जाती है।
खेलकूद पूर्वोत्तर
- खेलकूद पूर्वोत्तर समारोह आयोजित करने की योजना 1986-87 में प्रारंभ की गयी।
- खेलकूद पूर्वोत्तर का आयोजन भारतीय खेल प्राधिकरण करता है।
- प्राधिकरण हर साल पूर्वोत्तर के किसी राज्य के सहयोग से इस समारोह का आयोजन करता है।
- खेलकूद पूर्वोत्तर आयोजन बारी-बारी से किया जाता है।
मादक पदार्थ रोकथाम सहायता योजना
- डोपिंग खिलाड़ियों द्वारा जानबूझकर या अनजाने में ऐसे पदार्थ या तौर-तरीकों के इस्तेमाल को कहते हैं जिन पर अंतर्राष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति के चिकित्सा आयोग/विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने प्रतिबंध लगा रखा है।
- बहुत से खिलाड़ी सोने की चमक और दुनिया में नाम होने के प्रलोभन में फंसकर दूसरे खिलाड़ियों को पछाड़ने के लिए मादक पदार्थों का सहारा लेते हैं।
- भारत भी इस बुराई से अछूता नहीं है। इस समस्या से फौरन निपटने के लिए भारत सरकार डोपिंग रोकने के लिए विश्व के देशों के प्रयासों में हाथ बंटा रही है।
राष्ट्रमंडल युवा कार्यक्रम
- राष्ट्रमंडल युवा कार्यक्रम 1974 में शुरू हुआ था।
- इसका उद्देश्य राष्ट्रमंडल देशों में नौजवान युवकों और युवतियों को बढ़ावा देना था।
- इसका मुख्यालय लंदन में है।
- राष्ट्रमंडल युवा कार्यक्रम के एशियाई केंद्र का मुख्यालय चंडीगढ़ में है।
पेंशन खेल कोश कार्यक्रम
- पेंशन खेल कोश कार्यक्रम 1994 में प्रारंभ किया गया।
- इसके अंतर्गत ओलिपिंक खेल, विश्व कप व विश्व चैम्पियनशिप, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और पैरालिम्पिक्स में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक विजेता खिलाड़ियों को 30 साल की उम्र के बाद सक्रिस खेल जीवन से आवकाश लेने के बाद पेंशन देने का प्रावधान हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी) (पीएचपी)। । अभिगमन तिथि: 28 सितंबर, 2010।