गंगाप्रसाद वर्मा
गंगाप्रसाद वर्मा
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पूरा नाम | गंगाप्रसाद वर्मा |
जन्म | 13 अगस्त, 1863 ई. |
जन्म भूमि | हरदोई |
मृत्यु | 23 जून, 1914 ई. |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | कांग्रेस के प्रथम स्थापना अधिवेशन मुम्बई में उत्तर प्रदेश से भाग लेने वाले मुख्य प्रतिनिधि थे। |
अन्य जानकारी | इन्होंने लखनऊ में 28 सड़कों का निर्माण करवाया और जल व मल निकासी की योजनाओं के लिए अन्य नगरों को भी परामर्श दिया। |
गंगाप्रसाद वर्मा (जन्म- 13 अगस्त, 1863; मृत्यु- 23 जून, 1914) सन 1885 में कांग्रेस के प्रथम स्थापना अधिवेशन मुम्बई में उत्तर प्रदेश से भाग लेने वाले मुख्य प्रतिनिधि थे। उनके पर स्वामी रामतीर्थ का बहुत प्रभाव था। उन्होंने 1883 में ‘एडवोकेट’ नामक द्वि-साप्ताहिक पत्र का सम्पादन करके अपना सार्वजनिक जीवन प्रारम्भ किया था।
जीवन परिचय
गंगाप्रसाद वर्मा का जन्म 13 अगस्त, 1863 ई. को उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले में एक सम्पन्न खत्री परिवार में हुआ था। अरबी और फ़ारसी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे लखनऊ के केनिंग कॉलेज में भर्ती हुए। उनकी रुचि चतुर्दिक घटित विषयों में अधिक थी। अत: वे विद्यालयी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।
राजनीतिक परिचय
गंगाप्रसाद वर्मा पर स्वामी रामतीर्थ का बहुत प्रभाव था। मालवीय जी, लाला लाजपत राय, एनी बेसेंट आदि से भी वे प्रभावित थे। उन्होंने 1883 में ‘एडवोकेट’ नामक द्वि-साप्ताहिक पत्र का सम्पादन करके अपना सार्वजनिक जीवन प्रारम्भ किया। फिर उर्दू में ‘हिन्दुस्तानी’ निकाला। इन पत्रों के माध्यम से राज्य में राजनीतिक चेतना के प्रसार में बड़ी सहायता मिली। वे स्वयं राजनीतिक दृष्टि से इतने जागरूक थे कि 1885 के प्रथम कांग्रेस अधिवेशन मुम्बई में कई साथियों को लेकर सम्मिलित हुए। उनके निमंत्रण पर ही 1892 में कांग्रेस का अधिवेशन इलाहाबाद में हुआ था। प्रदेश में कांग्रेस की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं को है।
लखनऊ के निर्माता
गंगाप्रसाद वर्मा आधुनिक लखनऊ नगर के निर्माता माने जाते हैं। वे नगरपालिका के उपाध्यक्ष थे। शहर का वर्तमान रूप उन्हीं की देन है। उन्होंने नगर में 28 सड़कों का निर्माण करवाया और जल व मल निकासी की योजनाओं के लिए अन्य नगरों को भी परामर्श दिया। वे आर्यसमाज और होमरूल लीग से भी जुड़े थे। इलाहाबाद और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से भी उनका निकट का सम्बन्ध था। वर्षों तक वे प्रान्तीय कौंसिल के सदस्य रहे। सभी धर्मों के लोगों के प्रति उनका मैत्री भाव था और वे आधुनिक विषयों के साथ प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति के भी समर्थक थे।
मृत्यु
प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति के समर्थक गंगाप्रसाद वर्मा का 23 जून, 1914 ई. को निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- (पुस्तक ‘भारतीय चरित कोश’) पृष्ठ संख्या-213