गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय
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गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय
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विवरण | गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय राजस्थान के बेहतरीन संग्रहालयों में से एक है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | बीकानेर |
निर्माता | महाराजा गंगा सिंह |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है। |
नाल हवाई अड्डा | |
बीकानेर रेलवे स्टेशन | |
बस अड्डा बीकानेर | |
ऑटो रिक्शा, सिटी बस | |
क्या देखें | मिट्टी के बर्तन, हथियार, बीकानेर शैली के लघुचित्रों व सिक्कों |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 0151 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
संबंधित लेख | जूनागढ़ क़िला, बीकानेर का क़िला, सूरज पोल या सूर्य द्वार, करणीमाता का मंदिर, लाल गढ़ महल
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अन्य जानकारी | हड़प्पा सभ्यता, गुप्त व कुषाण युग की उत्कृष्ट कलाकृतियाँ और अति प्राचीन काल की मूर्तियाँ यहाँ प्रदर्शित है। |
अद्यतन | 15:33, 10 दिसम्बर 2011 (IST)
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गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय राजस्थान राज्य के ऐतिहासिक नगर बीकानेर में स्थित है। इस संग्रहालय को 'बीकानेर संग्रहालय' के नाम से भी जानते हैं। संग्रहालय की स्थापना 5 नवम्बर, 1937 को की गई थी।[1]
- अपनी स्थापना के समय इस संग्रहालय का उद्घाटन तत्कालीन अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा किया गया था।
- 'गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय' राजस्थान के बेहतरीन संग्रहालयों में से एक है, जिसमें मिट्टी के बर्तन, हथियार, बीकानेर शैली के लघुचित्रों व सिक्कों का सबसे समृद्ध संग्रह है।
- इसमें तैलचित्र, ऊँट की खाल से निर्मित सामग्री, शुतुरमुर्ग के अण्डों पर कलात्मक कार्य, काँच की सामग्री, उच्च कोटी के कलात्मक गलीचे आदि सुरक्षित हैं।
- संग्रहालय में मिट्टी के पके हुए बर्तन, शस्त्र, बीकानेर घराने की मिनीएचर पेंटिंग्स और कुछ ऐसे सिक्के भी संरक्षित हैं, जो हड़प्पा सभ्यता और गुप्त तथा कुषाण काल के माने जाते हैं।
- हड़प्पा सभ्यता, गुप्त व कुषाण युग की उत्कृष्ट कलाकृतियाँ और अति प्राचीन काल की मूर्तियाँ यहाँ प्रदर्शित हैं।
- 'गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय' में कर्ण सिंह का शाही नावों को तोड़ने का दृश्य प्रदर्शित है। कालीबंगा, पीलीबंगा, दुलमाणी, भद्रकाली, भंवर बड़ोपल, मानक तथा रंगमहल से प्राप्त आभूषण भी यहाँ सुरक्षित हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धरोहर राजस्थान सामान्य ज्ञान |लेखक: कुँवर कनक सिंह राव |प्रकाशक: पिंक सिटी पब्लिशर्स, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: डी-52 |