गोमट्टसार
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गोमट्टसार सर्वाधिक महत्वपूर्ण जैन ग्रन्थों में से एक है। इसके रचयिता नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती हैं।
- यह मन्त्री चामुण्ड राय के आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती द्वारा रचित कर्म सिद्धान्त प्ररूपक प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ है, जो दो भागों में विभक्त है-
- जीवकाण्ड
- कर्मकाण्ड
- जीवकाण्ड में जीव का गति आदि 20 प्ररूपणाओं द्वारा वर्णन है और कर्मकाण्ड में कर्मों की 8 व 148 मूलोत्तर प्रकृतियों के बन्ध, उदय, सत्त्व आदि सम्बन्धी वर्णन है।
- कहा जाता है कि चामुण्ड राय, जो आचार्य नेमिचन्द्र के परम भक्त थे, एक दिन जब उनके दर्शनार्थ आये, तब वे धवला शास्त्र का स्वाध्याय कर रहे थे। चामुण्ड राय को देखते ही उन्होंने शास्त्र बन्द कर दिया। पूछने पर उत्तर दिया कि तुम अभी इस शास्त्र को पढ़ने के अधिकारी नहीं हो। तब उनकी प्रार्थना पर उन्होंने उस शास्त्र के संक्षिप्त सारस्वरूप यह ग्रन्थ रचा था।
- जीवकाण्ड में 20 अधिकार और 735 गाथाए̐ हैं तथा कर्मकाण्ड में 8 अधिकार और 972 गाथाए̐ हैं।
- गोमट्टसार ग्रन्थ पर निम्न टीकाए̐ लिखी गयी हैं-
- अभयनन्दि आचार्य कृत टीका
- चामुण्ड राय कृत कन्नड़ वृत्ति ‘वीर मार्तण्डी‘
- आचार्य अभयचन्द्र कृत मन्दप्रबोधिनी नामक संस्कृत टीका
- केशव वर्णी कृत कर्णाटक वृत्ति
- आचार्य नेमिचन्द्र कृत जीवतत्त्व प्रबोधिनी नाम की संस्कृत टीका
- पं. हेमचन्द्र कृत भाषा वचनिका
- पं. टोडरमल्ल द्वारा रचित भाषा वचनिका
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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