जीत सिंह नेगी
जीत सिंह नेगी
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पूरा नाम | जीत सिंह नेगी |
अन्य नाम | गढ़वाली सहगल |
जन्म | 2 फ़रवरी, 1925 |
जन्म भूमि | पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड |
मृत्यु | 21 जून, 2020 |
अभिभावक | पिता- सुल्तान सिंह नेगी, माता- रूपदेवी नेगी |
पति/पत्नी | विमला राणा |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | लेखक व लोक गायक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | जीत सिंह नेगी के निर्देशन में 1954-1955 में दिल्ली में आयोजित गढ़वाली नाटक ‘भारी भूल’ का मंचन हुआ। कई अच्छे कलाकार नेगी जी की टोली से जुड़े रहे। |
जीत सिंह नेगी (अंग्रेज़ी: Jeet Singh Negi, जन्म- 2 फ़रवरी, 1925; 21 जून, 2020) उत्तराखंड के ऐसे पहले लोकगायक थे, जिनके गीतों का ग्रामोफोन रिकॉर्ड 1949 में जारी हुआ। जीत सिंह नेगी ने दो हिंदी फिल्मों में भी बतौर सहायक निर्देशक कार्य किया। वह संगीतकार और रंगकर्मी भी थे। वह पहले ऐसे गढ़वाली लोकगायक भी रहे, जिनके किसी गीत का ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारण हुआ।
परिचय
जीत सिंह नेगी उत्तराखंड के ऐसे पहले लोकगायक थे, जिनके गीतों का ग्रामोफोन रिकॉर्ड 1949 में यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी ने जारी किया था। तब पहली बार ऐसा हुआ था, जब किसी उत्तराखंडी लोकगायक के गीतों का रेकॉर्ड उस समय देश की मशहूर ग्रामोफोन कंपनी ने जारी किया। 2 फरवरी, 1925 को पौड़ी जिले के अयाल गांव में जन्मे और वर्तमान में देहरादून के नेहरू कॉलोनी (धर्मपुर) के निवासी जीत सिंह नेगी के इसमें 6 गीत शामिल किए गए थे। जीत सिंह नेगी अपने दौर के न केवल जाने-माने लोकगायक रहे, बल्कि उत्कृष्ट संगीतकार, निर्देशक और रंगकर्मी भी रहे। दो हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने बतौर सहायक निर्देशक कार्य किया। ‘शाबासी मेरो मोती ढांगा…’ ‘रामी बौराणी…’ ‘मलेथा की गूल…’ जैसे कई उनके नाटक भी लोकप्रिय हुए।
रेडियो पर पहले गढ़वाली लोकगायक
जीत सिंह नेगी के ‘शाबासी मेरो मोती ढांगा’ को चीनी प्रतिनिधिमंडल ने कानपुर में न केवल रिकॉर्ड किया, बल्कि रेडियो पीकिंग से उसका प्रसारण भी किया। वे पहले ऐसे गढ़वाली लोकगायक थे, जिनके किसी गीत का ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारण हुआ।
लोकप्रिय गीत
1950 के दशक की शुरूआत में रेडियो से यह गीत प्रसारित हुआ तो उत्तराखंड से लेकर देश के महानगरों तक प्रवासी उत्तराखंडियों के बीच पलक झपकते ही बेहद लोकप्रिय भी हो गया। इस सुमधुर खुदेड़ गीत के बोल थे, ‘तू होली उंचि डांड्यूं मा बीरा-घसियारी का भेष मां-खुद मा तेरी सड़क्यां-सड़क्यों रूणूं छौं परदेश मा…।’ (तू होगी बीरा उंचे पहाड़ों पर घसियारी के भेष में और मैं यहाँ परदेश की सड़कों पर तेरी याद में भटक रहा हूं-रो रहा हूं।)
निर्देशन कार्य
जीत सिंह नेगी के निर्देशन में 1954-1955 में दिल्ली में आयोजित गढ़वाली नाटक ‘भारी भूल’ का मंचन हुआ। कई अच्छे कलाकार नेगी जी की टोली से जुड़े रहे। मुंबई-दिल्ली-चंडीगढ़ समेत देश के कई प्रमुख नगरों में उस दौर में जीत सिंह नेगी के गीत और नाटक श्रोताओं-दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते थे।
मृत्यु
जीत सिंह नेगी का निधन 21 जून, 2020 को हुआ। उन्होंने अपने धर्मपुर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से लोक कलाकारों के साथ ही प्रदेशवासियों में शोक दौड़ पड़ी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड के लोकगायक और गीतकार जीत सिंह नेगी के निधन पर शोक व्यक्त किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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