डॉ. राष्ट्रबंधु
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डॉ. राष्ट्रबंधु
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पूरा नाम | श्रीकृष्ण चंद्र तिवारी |
जन्म | 1933 |
जन्म भूमि | सहारनपुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 3 मार्च, 2015 (उम्र- 82 वर्ष) |
मृत्यु स्थान | कानपुर, उत्तर प्रदेश |
मुख्य रचनाएँ | तपती रेत, जयंतिया पर्व दिवस, जादूघर से लगते बादल, 52 गांव इनाम में आदि |
भाषा | हिन्दी |
पुरस्कार-उपाधि | हरिकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान |
नागरिकता | भारतीय |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
डॉ. राष्ट्रबंधु (अंग्रेज़ी: Dr. Rashtrabandhu, जन्म: 1933 - मृत्यु: 3 मार्च, 2015) बाल साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। डॉ. राष्ट्रबंधु का वास्तविक नाम 'श्रीकृष्ण चंद्र तिवारी' था। इन्होंने बालसाहित्य के द्वारा न केवल बालमन में जगह बनाई बल्कि उनकी शिक्षा में भी महान् योगदान दिया।
संक्षिप्त परिचय
- डॉ. राष्ट्रबंधु का जन्म सहारनपुर में वर्ष 1933 में हुआ और 1940 में उनका परिवार कानपुर में आकर बस गया।
- डॉ. राष्ट्रबंधु का बचपन बेहद अभावों में बीता। पेट भरने के लिए उन्होंने बूट पालिश, मज़दूरी तक की।
- बाल साहित्य में उनके कार्य के लिए 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित किया। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी उन्हें सम्मानित कर चुके थे।
- उन्हें हरिकृष्ण तैलंग, बालसाहित्य सम्मान समेत कई पुरस्कारों व सम्मानों से नवाजा गया था।
- 1950 में उकी पहली पुस्तक बाल भूषण प्रकाशित हुई।[1]
कृतियाँ
- तपती रेत
- जयंतिया पर्व दिवस
- भारत की महान् बेटियां
- 52 गांव इनाम में
- ये महान् कैसे बने
- राजू के गीत
- जादूघर से लगते बादल
- टेसूजी की भारत यात्रा
निधन
डॉ. राष्ट्रबंधु का 3 मार्च, 2015 मंगलवार को 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बाल साहित्य के पितामह डॉ. राष्ट्रबंधु नहीं रहे (हिन्दी) नई दुनिया। अभिगमन तिथि: 7 मार्च, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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