तमिल साहित्य
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
तमिल साहित्य भारत तथा श्रीलंका की एक द्रविड़ भाषा तमिल का रचना संसार है। शास्त्रीय[1] संस्कृत में लिखित साहित्य के अलावा तमिल भारत का प्राचीनतम साहित्य है।
- कुछ प्रस्तर अभिलेख तीसरी शताब्दी ई. पू. के हैं, लेकिन वास्तविक तमिल साहित्य लगभग ईसा के बाद पहली शताब्दी का है।
- अधिकांश आरंभिक काव्य धार्मिक या काव्यात्मक था, जिसमें धर्मनिरपेक्ष दरबारी कविता अपवादस्वरूप थी, जिसकी रचना संगम या विद्वत परिषद के सदस्यों ने की।[2]
- चौथी से छठी शताब्दी की उल्लेखनीय कृतियों में दो महाकाव्य 'शिल्पादिकारम' व 'मणिमेकलाई'[3] और प्रेम, शासकत्व व नीति जैसे विषयों पर सूक्तियों का संग्रह 'तिरुकुरल' शामिल हैं।
- ईसा के बाद छठी से नौवीं शताब्दी में भक्ति का आविर्भाव हुआ, जो व्यक्तिगत भक्ति की कविता व धर्म से संबंधित थी और तमिल क्षेत्र में जिसकी शुरुआत विष्णु तथा शिव के सम्मान में आलवार व नयनारों के भजनों से हुई।
- 12वीं से 16वीं शताब्दी तक धार्मिक प्रतिश्रुतियों के कई दार्शनिक ग्रंथ, नीति कथा संग्रहों और साथ ही कवि कंबन की शास्त्रीय कृतियों की संरचना हुई।
- 19वीं शताब्दी से तमिल साहित्य पर लगातार पश्चिमी स्वरूपों और विचारों का प्रभाव पड़ा।
|
|
|
|
|