ताओ धर्म

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ताओ धर्म चीन में उत्पन्न धर्म है, जो ईसा की दूसरी शताब्दी में शुरू हुआ था। इस धर्म में प्राकृतिक आराधना होती है। इतिहास में इस धर्म की बहुत-सी शाखाएं थीं। अपने विकास के कालंतर में ताओ धर्म धीरे-धीरे दो प्रमुख संप्रदायों में बंट गया। एक 'छवुआनचनताओ पंथ' और दूसरा 'चङ यीताओ पंथ' है, जिनका चीन की 'हान' जाति में बड़ा प्रभाव है।[1]

  • ताओ धर्म चीन का मूल धर्म और दर्शन है। पहले ताओ एक धर्म नहीं, बल्कि एक दर्शन और जीवन शैली थी। बाद में बौद्ध धर्म के चीन पहुँचने के बाद ताओ ने बौद्धों से कई धारणाएँ उधार लीं और एक धर्म बन गया।
  • बौद्ध धर्म और ताओ धर्म में आपस में समय-समय पर अहिंसात्मक संघर्ष भी होता रहा है।
  • ताओ धर्म और दर्शन, दोनों का स्त्रोत दार्शनिक 'लाओ-त्सी' द्वारा रचित ग्रन्थ 'दाओ-दे-चिंग' और 'ज़ुआंग-ज़ी' है।
  • इस धर्म की सर्वोच्च देवी और देवता 'यिन' और 'यांग' हैं। देवताओं की पूजा के लिये कर्मकाण्ड किये जाते हैं और पशुओं और अन्य चीज़ों की बलि दी जाती है।
  • चीन से निकली ज़्यादातर चीज़ें, जैसे- चीनी व्यंजन, चीनी रसायन विद्या, चीनी कुंग-फ़ू, फ़ेंग-शुई, चीनी दवाएँ, आदि किसी न किसी रूप से ताओ धर्म से सम्बन्धित रही हैं।
  • ताओ धर्म में प्रवेश के नियम स्पष्ट व ठोस नहीं होने के कारण इसके अनुयायियों की संख्या की गणना करना मुश्किल है। चीन में कुल 1500 से ज़्यादा ताओ विहार हैं, जिनमें धार्मिक व्यक्तियों की संख्या लगभग 25 हज़ार है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चीन के प्रमुख धर्म (हिन्दी) चाइना एबीसी। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2014।

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