ताशीदिंग मठ
ताशीदिंग मठ
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विवरण | 'ताशीदिंग मठ' सिक्किम का प्रसिद्ध बौद्ध धार्मिक स्थल है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गुरु पद्मसंभव ने 8वीं शताब्दी में यहीं पर सिक्किमवासियों को आशीर्वाद दिया था। |
राज्य | सिक्किम |
ज़िला | पश्चिम सिक्किम |
निर्माता | नगाडक सेंपा चेंपो |
स्थापना | 18वीं शताब्दी |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 27° 4' 0.00", पूर्व- 88° 28' 0.00" |
मार्ग स्थिति | ताशीदिंग मठ सिलीगुड़ी रेलवे स्टेशन से 146 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | ताशीदिंग मठ अति पवित्र चोरटन के लिए प्रसिद्ध है। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि |
सिलीगुड़ी हवाई अड्डा | |
सिलीगुड़ी रेलवे स्टेशन, न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन | |
रिक्शा, टैक्सी, सिटी बस | |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 03592 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
संबंधित लेख | युमथांग घाटी, रुमटेक मठ, सोमगो झील
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अन्य जानकारी | ताशीदिंग मठ पर 'भूमचू' नामक पर्व तिब्बती कैलेंडर के अनुसार पहले महीने के 14वें और 15वें दिन पर आयोजित किया जाता है। यह एक लोकप्रिय धार्मिक त्योहार है। |
अद्यतन | 10:38, 3 फ़रवरी 2012 (IST)
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ताशीदिंग मठ (अंग्रेज़ी: Tashiding Monastery) सिक्किम राज्य के पश्चिम सिक्किम ज़िले में हृदय के आकार की एक पहाड़ी के शिखर पर बना हुआ है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गुरु पद्मसंभव ने 8वीं शताब्दी में यहीं पर सिक्किमवासियों को आशीर्वाद दिया था।
मठ निर्माण
ताशिदिंग बेहद खूबसूरत है, जो माउंट कंचनजंगा की पृष्ठभूमि में एक आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है। सिक्किम के पहले चोग्याल के अभिषेक की रस्म अदा करने वाले तीन लामाओं में से एक नगाडक सेंपा चेंपो द्वारा 18वीं सदी में ताशिदिंग मठ का निर्माण किया गया था। यहाँ एक प्रसिद्ध चोर्टन है, जिसके लिये ताशिदिंग प्रसिद्ध है। इसे 'थोंग-वारंग-डोल' कहा जाता है, जिसका अर्थ है- 'एक झलक में मुक्ति देने वाला' और तदनुसार यह माना जाता है कि चोर्टन की एक झलक से श्रद्धालुओं के सारे पाप धुल जाते हैं।
उत्सव
इस स्थान की एक और महत्वपूर्ण घटना है, जिसके लिये ताशिदिंग मठ प्रसिद्ध है। गोम्पा हर साल 'पवित्र जल त्योहार' का आयोजन करता है।
हर साल चंद्र महीने के 14वें और 15वें दिन मठ में एक रस्म अदा की जाती है, जिसे 'भुमचु' या 'भुचू' कहते हैं, तब श्रद्धालु इस पवित्र जल को ग्रहण करते हैं। शुभ दिन पर इस पवित्र जल को बाहर ले जाया जाता है और फिर बाद में मठ के लामाओं द्वारा सुरक्षित वापस लाया जाता है।[1]
मनोरम दृश्य
ताशीदिंग शब्द का अर्थ है- "केंद्रीय महिमा को समर्पित करना"। यह मठ 1700 ई. के बाद से सिक्किम में पूजा का केंद्र रहा है। लगभग 5,000 फिट की ऊंचाई पर स्थित इस मठ से, दो नदियों द्वारा बनाई गई हरी-भरी घाटी का मनोरम दृश्य दिखता है। यहां से लंबवत खड़े मनोहारी माउंट कंचनजंगा को भी देखा जा सकता है।
फूलदान
यहां का एक दिलचस्प वस्तु जादुई फूलदान है। इसी फूलदान के कारण 'भुचू उत्सव' आयोजित किया जाता है। प्रतिवर्ष होने वाले इस उत्सव को देखने दुनिया भर से बौद्ध आते हैं, जिसमें सील्ड फूलदान को खोला जाता है और इसकी सामग्री का निरीक्षण किया जाता है।[2]
न्यिंग्मापा बौद्ध आगामी वर्ष की समृद्धि की भविष्यवाणी करने के लिए फूलदान का उपयोग करते हैं। एक पूर्ण फूलदान एक समृद्ध वर्ष को दर्शाता है जबकि जल की कम मात्रा अकाल का संकेत देती है। धूल भरा फूलदान संघर्ष और टकराव की अवधि का संकेत देता है। यह त्यौहार तिब्बती कैलेंडर (फ़रवरी और मार्च) के पहले महीने में पूर्णिमा के दौरान आधी रात को शुरू होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ताशिदिंग मठ (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 29 नवम्बर, 2014।
- ↑ ताशिदिंग मठ (हिन्दी) incredibleindia.org। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2021।