ध्यानी बुद्ध
ध्यानी बुद्ध महायान और वज्रयान बौद्ध धर्म में उन पांच स्वयंभू[1] बुद्धों के समूह में से एक है जो काल के आरंभ से पहले अस्तित्व में थे। इन पांच को आम तौर पर वैरोचन, अक्षोभ्य, रत्नसंभव, अभिताभ और अमोघसिध्दि के रूप में पहचाना जाता है।
विद्वानों के अनुसार
हाल ही के वर्षों में विद्वानों ने बताया है कि ध्यानी-बुद्ध का उल्लेख मूल धार्मिक ग्रंथों में नहीं है, लेकिन इस नामावली का उपयोग अब तक जारी है, विशेषकर पांच ध्यानस्त्थ बुद्धों के समवेत चित्रों को समझाने के लिए, जैसे मंडलों,[2] पवित्र स्तूपों के शीर्ष और चार दिशाओं में या इंडोनेशिया में बोरोबुदूर में महान् स्मारक के छज्जों पर है।
मुद्रा
इन पांचों का लगभग एक समान कलांकन किया गया है। सभी भिक्षुओं के पहनावे में, पद्मासन में बैठे हुए हैं, एक जैसे शिरोवस्र पहने हैं और उनके कानों की लंबी लवें हैं, लेकिन ये अपने विशिष्ट रंगों, प्रतीकों, हाथों की मुद्राओं और मुख की दिशाओं से अलग पहचाने जाते हैं। पांच शाश्वत बुद्ध अन्य पांच समूहों के साथ जुड़े हैं, अत: ऐसा लगता है कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड उनमें बंटा भी है और उन्हीं से निकल भी रहा है। इस तरह प्रत्येक बुद्ध पांच स्कंधों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है। स्कंध, अर्थात् वे मानसिक और दैहिक समूह, जो पूरी सृष्टि के साथ-साथ व्यक्तिगत अस्तित्व का निर्माण करते हैं। इस योजना के पूर्ण प्रदर्शन के अनुसार वृहद बौद्ध धर्म के देवताओं के अधिकांश देवताओं का संबंध पांच बुद्धों के परिवार में से किसी एक के साथ है; जो उसी का रंग, दिशा और प्रतीक जैसी अलग विशेषताएं रखते हैं और कला में प्रदर्शित किए जाने पर अक्सर अपने मुकुट में मूल बुद्ध की छवि दिखाते हैं। प्रत्येक स्वयंभू बुद्ध ने स्वयं की अभिव्यक्ति धरती के बुध्ह और बोधिसत्व[3] के रूप में भी की है। प्रत्येक की अपनी संगिनी, वाहन, पवित्र, प्रतीक प्राकृतिक तत्व, इंद्रिय-विशेष, अनुभूति-विशेष और मानव शरीर में अलग प्रतीकात्मक अवस्थिति है।
आदि बुद्ध
पांच बुद्ध कि अवधारणा में बहुदेववाद के किसी आभास का उत्तर देने के लिए कुछ मतों ने इन पांच में से एक, वैरोचन को आदि बुद्ध[4] का दर्जा दिया। कई बार छठे देवता को आदि बुद्ध के रूप में पूजा जाता है। तिब्बत में लामा मत वज्रधर को आदि बुद्ध मानते हैं। नेपाल में कुछ मत वज्रसत्व को यह दर्जा देते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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