निज़ामाबाद
निज़ामाबाद (अंग्रेज़ी: Nizamabad) भारतीय राज्य तेलंगाना का एक शहर है। यह तेलंगाना का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। यह निज़ामाबाद ज़िले का नगर मुख्यालय भी है। पहले निज़ामाबाद हैदराबाद राज्य और फिर आंध्र प्रदेश का एक हिस्सा था, लेकिन आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के बाद यह नवगठित तेलंगाना राज्य का हिस्सा बन गया। निज़ामाबाद का स्थानीय पुराना नाम 'इन्दूर' या 'इन्द्रपुरी' था।
इतिहास
किंवदंतियों के अनुसार निज़ामाबाद नगर प्राचीन समय में त्रिकुंटकवंशीय इंद्रदत्त द्वारा लगभग 388 ई. में बसाया गया था। नर्मदा और ताप्ती नदियों के निचले प्रदेशों में इस वंश का राज था। यह भी संभव जान पड़ता है कि नगर का नाम विष्णुकुंडिन इंद्रवर्मन् प्रथम (500 ई.) के नाम पर हुआ। 1311 ई. में निज़ामाबाद पर अलाउद्दीन ख़िलजी ने आक्रमण किया। तत्पश्चात् यह नगर क्रमश: बहमनी, कुतुबशाही और मुग़ल राज्यों में सम्मिलित रहा। अंत में हैदराबाद प्रांत के निज़ाम का यहाँ आधिपत्य हो गया और ज़िले का नाम सन 1905 में निज़ामाबाद कर दिया गया।
समृद्ध संस्कृति
निज़ामाबाद तेलंगाना के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। यह अपनी समृद्ध संस्कृति के साथ-साथ ऐतिहासिक स्मारकों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस ज़िले की सीमाएं करीमनगर, मेदक और नंदेदू जिलों से और पूर्व में आदिलाबाद से मिलती हैं।
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर निज़ामाबाद अब औद्योगिक विकास से पथ पर भी तेजी से अग्रसर है। निज़ामाबाद से गोदावरी नदी आंध्र प्रदेश में प्रवेश कर इस राज्य को समृद्ध करने में अहम भूमिका अदा करती है। ज़िले के प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला अतीव सुंदर है। नगर में 12वीं शती ई. की जैन-मूर्तियों के अवशेष मिले हैं, जिन का कुतुबशाही काल में बने दुर्ग में उपयोग किया गया था। कंटेश्वर का अपेक्षाकृत नवीन मंदिर अत्यंत सुंदर है। नगर से 06 मील पर हनुमान मंदिर है, जहाँ जनश्रुति के अनुसार महाराज शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास कुछ समय तक रहे थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 73| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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