नीति आयोग
राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था (अंग्रेज़ी: NITI Aayog) जिसे 'नीति आयोग' भी कहा जाता है, का गठन 1 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प के माध्यम से किया गया था। यह भारत सरकार द्वारा गठित एक नया संस्थान है जिसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है। नीति आयोग भारत सरकार का प्रमुख नीतिगत 'थिंक टैंक' है, जो दिशात्मक और नीतिगत इनपुट प्रदान करता है। नीति आयोग, भारत सरकार के लिए कार्यनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों को अभिकल्पित करने के साथ-साथ केंद्र और राज्यों को प्रासंगिक तकनीकी सलाह भी प्रदान करता है।
शासी परिषद
नीति आयोग की शासी परिषद के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री हैं और इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और संघ राज्य-क्षेत्रों (यूटी) के उपराज्यपाल शामिल हैं। भारत सरकार ने अपने सुधार एजेंडे को ध्यान में रखते हुए 1950 में स्थापित योजना आयोग को प्रतिस्थापित करने के लिए नीति आयोग का गठन किया। यह भारत के लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए किया गया था। अतीत से एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रूप में नीति आयोग भारत सरकार के सर्वोत्कृष्ट मंच के रूप में कार्य करता है ताकि राज्यों को राष्ट्रीय हित में एक साथ काम करने के लिए तैयार किया जा सके और इससे सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा मिलता है।[1]
उद्देश्य
- राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना।
- सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं, इसको स्वीकार करते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और तंत्रों के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देना।
- ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजनाएं तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करना और इन सभी को उत्तरोत्तर रूप से सरकार के उच्चतर स्तर तक पहुंचाना।
- जो क्षेत्र विशेष रूप से आयोग को निर्दिष्ट किए गए हैं उनकी आर्थिक रणनीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को सम्मिलित करने को सुनिश्चित करना।
- हमारे समाज के उन वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान देना जिन तक आर्थिक प्रगति से उचित प्रकार से लाभान्वित ना हो पाने का जोखिम हो।
- रणनीतिक और दीर्घावधि के लिए नीति तथा कार्यक्रम का ढांचा तैयार करना और पहल करना तथा उनकी प्रगति और क्षमता को मॉनीटर करना। अनुवीक्षण और प्रतिक्रिया के आधार पर नवीन सुधार में उपयोग किए जाएंगे जिसके अंतर्गत मध्यावधि संशोधन भी हैं।
- महत्वपूर्ण पणधारियों तथा समान विचारधारा वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक और साथ ही साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थाओं के बीच परामर्श और भागीदारी को प्रोत्साहन देना।[1]
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, वृतिकों तथा अन्य भागीदारों के सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाना।
- विकास के एजेंडे के कार्यान्वयन में तेज़ीलाने के क्रम में अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना।
- अत्याधुनिक संसाधन केन्द्र बनाना जो सुशासन तथा सतत् और न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली पर अनुसंधान करने के साथ-साथ पणधारियों तक पहुंचाने में भी मदद करे।
- आवश्यक संसाधनों की पहचान करने सहित कार्यक्रमों और उपायों के कार्यान्वयन का सक्रिय मूल्यांकन और सक्रिय अनुवीक्षण करना, ताकि सेवाएं प्रदान करने में सफलता की संभावनाओं को प्रबल बनाया जा सके।
- कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर।
- राष्ट्रीय विकास के एजेंडा और उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियों का उत्तरदायित्व लेना।
संरचना
- नीति आयोग का गठन इस प्रकार है-
- भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष
- गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों (जिन केन्द्रशासित प्रदेशो में विधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री ) के उपराज्यपाल शामिल होंगे।
- विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक होगी और इनमें संबंधित क्षेत्र के राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होंगे (इनकी अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष करेंगे)।
- संबंधित कार्य क्षेत्र की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ और कार्यरत लोग, विशेष आमंत्रित के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा नामित किए जाएंगे।
- पूर्णकालिक संगठनात्मक ढांचे में (प्रधानमंत्री अध्यक्ष होने के अलावा) निम्न होंगे।
- उपाध्यक्षः प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त।
- सदस्यः पूर्णकालिक
- अंशकालिक सदस्यः अग्रणी विश्वविद्यालय शोध संस्थानों और संबंधित संस्थानों से अधिकतम दो पदेन सदस्य, अंशकालिक सदस्य बारी के आधार पर होंगे।
- पदेन सदस्यः केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से अधिकतम चार सदस्य प्रधानमंत्री द्वारा नामित होंगे। यदि बारी के आधार को प्राथमिकता दी जाती है तो यह नियुक्ति विशिष्ट कार्यकाल के लिए होंगी।
- मुख्य कार्यकारी अधिकारीः भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी को निश्चित कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
- सचिवालय आवश्यकता के अनुसार
विशेषताएं
नीति आयोग स्वयं को एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है, जिसमें आवश्यक संसाधन, ज्ञान और कौशल हैं, जो इसे गति के साथ कार्य करने, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने, सरकार के लिए कार्यनीतिक नीति दृष्टि प्रदान करने और आकस्मिक मुद्दों का समाधान करने में सक्षम करेगा।
गतिविधियाँ
नीति आयोग की संपूर्ण गतिविधियों को चार मुख्य प्रमुखों में विभाजित किया जा सकता है-
- नीति निर्माण और कार्यक्रम की रूपरेखा
- सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना
- अनुवीक्षण और मूल्यांकन
- थिंक टैंक और ज्ञान एवं नवोन्मेष हब
नीति आयोग के विभिन्न वर्टिकल इसके अधिदेश को पूरा करने के लिए नीति आयोग के लिए आवश्यक समन्वय और सहायक ढांचा प्रदान करते हैं। सूची इस प्रकार है[1]-
- कृषि
- स्वास्थ्य
- महिला एवं बाल विकास
- शासन और अनुसंधान
- मानव संसाधन विकास
- कौशल विकास और रोजगार
- ग्रामीण विकास
- सतत विकास लक्ष्य
- ऊर्जा
- शहरीकरण प्रबंधन
- उद्योग
- अवसंरचना
- वित्तीय संसाधन
- प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण
- विज्ञान और तकनीक
- राज्य समन्वय और विकेंद्रीकृत योजना (एससी और डीपी)
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता
- भूमि और जल संसाधन
- डेटा प्रबंधन और विश्लेषण
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी
- परियोजना मूल्यांकन और प्रबंधन प्रभाग (पीएएमडी)
- विकास अनुवीक्षण और मूल्यांकन कार्यालय
- राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र अनुसंधान और विकास संस्थान (एनआईएलईआरडी)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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