पुरुषार्थ सिद्धयुपाय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

पुरुषार्थ सिद्धयुपाय (अंग्रेज़ी: Purushartha Siddhyupaya) प्रमुख जैन ग्रन्थ है, जिसके रचियता आचार्य अमृत्चंद्र हैं। आचार्य अमृत्चंद्र दसवीं सदी (विक्रम संवत) के प्रमुख दिगम्बर आचार्य थे।

  • पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक के द्वारा धारण किये जाने वाले अणुव्रत आदि का वर्णन है।
  • इसमें अहिंसा के सिद्धांत को भी समझाया गया है।
  • इस ग्रन्थ में 226 श्लोक हैं, जिसमें से प्रथम श्लोक मंगलाचरण है।
  • पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक को हिंसा आदि पापों से सावधान किया गया है।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख