प्रलंब मथुरा के राजा कंस का असुर मित्र था, जिसका वध श्रीकृष्ण के भ्राता बलराम द्वारा हुआ था।[1]
- 'भागवतपुराण' के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण अन्य गोपों तथा बलराम के साथ खेल रहे थे। इसी समय असुर प्रलंब भी सखाओं में मिल गया और सबके साथ ‘हरिण-क्रीड़न’ नामक खेल खेलने लगा।
- ‘हरिण-क्रीड़न’ खेल में हारने वाला जीतने वाले को अपने कंधे पर बिठाकर चलता था।
- प्रलंब इस खेल में जान-बूझकर हार गया और बलराम उसके कंधे पर बैठ गए। इस अवसर का लाभ उठाकर प्रलंब बलरामजी को लेकर भाग निकला।
- बलराम ने अपने शरीर का भार इतना अधिक कर लिया कि प्रलंब के लिए भागना भी मुश्किल हो गया। वह चल भी नहीं सका और अपने मूल रूप में आ गया।
- प्रलंब तथा बलराम के मध्य कुछ देर तक युद्ध हुआ और अंत में प्रलंब मारा गया।
इन्हें भी देखें: धेनुकासुर वध एवं यमलार्जुन मोक्ष
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भागवतपुराण 2.7.34; 10.1; ब्रह्माण्डपुराण 3.6.15; 4.29.123; विष्णुपुराण 5.1.14; 4.1-2, 15,1
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