प्रेम शंकर गोयल
प्रेम शंकर गोयल
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पूरा नाम | प्रेम शंकर गोयल |
जन्म | 20 अप्रॅल, 1947 |
जन्म भूमि | जोधपुर, राजस्थान |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम |
शिक्षा | इंजीनियरिंग में बीई, जोधपुर विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर पीएचडी, बेंगलुरु यूनिवर्सिटी |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 2001 |
प्रसिद्धि | भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | प्रेम शंकर गोयल ने आईआरएस-1 के लिए अंतरिक्ष यान प्रणाली सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम किया। उन्होंने आईएनएसएटी-2 में सहयोगी परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया। फिर इसरो सैटेलाइट सिस्टम के डायरेक्टर बने। |
अद्यतन | 15:54, 6 जनवरी 2022 (IST)
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प्रेम शंकर गोयल (अंग्रेज़ी: Prem Shanker Goel, जन्म- 20 अप्रॅल, 1947) प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। उन्होंने देश के कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक संस्थानों और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय में उच्च पदों पर कार्य किया है। वे उपग्रह नियंत्रण प्रणाली, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और पृथ्वी प्रणाली के विशेषज्ञ रहे हैं। प्रेम शंकर गोयल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के डाइरेक्टर के पद पर भी रह चुके हैं। भारत सरकार ने देश के विकास में अहम योगदान के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से 2001 में सम्मानित किया था। प्रेम शंकर गोयल 1992 में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी अनुभाग के सदस्य चुने गए थे।
परिचय
भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रेम शंकर गोयल का जन्म 20 अप्रैल, 1947 को राजस्थान में हुआ था। उन्होने इंटरमिडीएट के बाद इंजीयरिंग के क्षेत्र में अपना करियर चुना। फलतः उन्होंने जोधपुर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री ली। उसके बाद वे बैंगलोर चले गए। वहाँ उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी में शोध करते हुए पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
कॅरियर
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रेम शंकर गोयल ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़कर अपने कॅरियर का आरंभ किया। वहाँ उन्होंने आईआरएस-1 के लिए सैटेलाइट एटिट्यूड कंट्रोल सिस्टम की परियोजना में काम किया। बाद में वे बंगलुरु आ गए, क्योंकि उस वक्त आर्यभट्ट (उपग्रह) के ऊपर काम चल रहा था। बंगलुरु में वे आर्यभट्ट (उपग्रह) परियोजना के टीम में शामिल होकर कार्य करने लगे। आगे चलकर वे एरियन पैसेंजर पेलोड प्रयोग के एटिट्यूड और कक्षीय नियंत्रण सबसिस्टम के प्रोजेक्ट इंजीनियर रहे। बाद में वे एटिट्यूड एंड ऑर्बिटल कंट्रोल सबसिस्टम के ग्रुप डायरेक्टर, मिशन एंड कंट्रोल एरिया के डिप्टी डायरेक्टर बने।
उन्होंने आईआरएस-1 के लिए अंतरिक्ष यान प्रणाली सलाहकार बोर्ड’ के अध्यक्ष के रूप में काम किया। प्रेम शंकर गोयल ने आईएनएसएटी-2 में सहयोगी परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया। अंत में वे इसरो सैटेलाइट सिस्टम के डायरेक्टर बने। सन 2005 में इसरो से सेवानिवृत्ति के उपरांत वे सचिव के रूप में महासागर विकास विभाग में काम किया। इस पद पर रहते हुए उनके कार्यकाल में समुद्र, वायुमंडल, भूविज्ञान के विभागों को मिलाकर एक कर दिया गया।
भारत सरकार ने इसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का नाम दिया। साथ ही प्रेम शंकर गोयल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के भर्ती और मूल्यांकन केंद्र के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें उपग्रह भास्कर प्रथम और द्वितीय के लिए स्पिन अक्ष अभिविन्यास प्रणाली को विकसित करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने एरियन पैसेंजर पेलोड एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट में मोमेंटम आधारित III-एक्सिस कंट्रोल सिस्टम के विकास में अहम योगदान दिया। साथ ही उनका आईआरएस-V प्रोजेक्ट में जीरो मोमेंटम बायस्ड III-एक्सिस कंट्रोल सिस्टम के विकास में महत्वपूर्ण रहा।
सम्मान व पुरस्कार
- प्रेम शंकर गोयल भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी तथा भारत के वैमानिकी सोसायटी के फ़ेलो रहे हैं। साथ ही वे ‘इलेक्ट्रोकेमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और भारतीय तकनीकी संस्थान, मुंबई के मानद फेलो भी चुने गए। उन्हें सन 1975 में आर्यभट्ट उपग्रह परियोजना पर काम करने के लिए 'डॉ. विक्रम साराभाई अनुसंधान पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने उन्हें 1992 में एएसआई लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से अलंकृत किया।
- सन 1995 में प्रेम शंकर गोयल को ओम प्रकाश भसीन पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- भारत सरकार ने सन 2001 में उन्हें देश के बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सुशोभित किया।
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