प्रेम सिंह

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प्रेम सिंह

प्रेम सिंह (अंग्रेज़ी: Prem Singh) पंजाब से सामाजिक सेवक हैं। कुष्ठ रोगियों व समाज सेवा के लिए अपनी पत्नी के गहने और घर को भी बेच डालने वाले प्रेम सिंह को पद्म श्री (2022) से सम्मानित किया गया है। समाज सेवा के क्षेत्र में मिसाल कायम करने वाले पंजाब के जालंधर जिले के रुपनगर निवासी प्रेम सिंह पर समाज सेवा का जुनून है। इसके लिए साल 2002 में उन्हें राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने 'राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया था। अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी अपने हाथों से 'राष्ट्रीय पुरस्कार' देकर सम्मानित कर चुके हैं।

कुष्ठ रोगियों की सेवा

कुष्ठ रोग की बात आते ही लोगों के मन में घृणा का भाव आ जाता है। गिने-चुने लोगों को छोड़ दें तो ज्यादातर कुष्ठ रोगी से दूर भागते नजर आते हैं, लेकिन प्रेम सिंह ने इनकी संभाल के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। पिछले 30 साल से कुष्ठ रोगियों को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयासरत प्रेम सिंह ने अपनी जायदाद बेच दी। अब बेटी भी इन्हीं के पदचिह्नों पर चल रही है।[1]

परिचय

सरदार प्रेम सिंह मूल रूप से रोपड़ जिले के गांव बहरामपुर जमीदारा से ताल्लुक रखते हैं और इन दिनों भरे-पूरे परिवार के साथ चंडीगढ़ के सनी एन्क्लेव में 3 मरले के मकान में रह रहे हैं। प्रेम सिंह इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स डिपार्टमेंट से बतौर ऑडिट ऑफिसर 2011 में रिटायर हुए थे।

दादा से मिली प्रेरणा

प्रेम सिंह के प्रेरणा स्रोत उनके दारा रेलूराम रहे हैं। वह टूटी हडि्डयां जोड़ने में एक्सपर्ट थे। वह हड्डी टूटने से परेशान किसी भी मरीज का इलाज मुफ्त में करते थे। प्रेम सिंह ने जब कुष्ठ रोग से ग्रस्त मरीजों को आंखें, हाथ, पैर खोने के बाद धीर-धीरे मौत के मुंह में जाते देखा तो उनसे रहा न गया। दादा की तरह पोते के दिल में भी समाजसेवा का जज्बा भर गया और उन्होंने कुष्ठ रोगियों का इलाज कराना शुरू किया। कुष्ठ रोगियों की सेवा प्रेम सिंह ने इसलिए शुरू की, क्योंकि लोग इनसे घृणा करते हैं। दूर भागते हैं। वर्ष 1985 में अंबाला छावनी में मतदान के लिए कुष्ठ रोगियों की अलग लाइन ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। इसके बाद वह सामाजिक तौर पर बहिष्कृत कुष्ठ रोगियों के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गए।

बेच दिया सब कुछ

कुष्ठ रोगियों के सर्वपक्षीय विकास के लिए मुहिम चला रहे प्रेम सिंह पिछले करीब 30 साल से इस दिशा में काम कर रहे हैं। अब तक हजारों लोगों का इलाज करवा चुके है। पीड़ितों से मिलना, कुष्ठ की वजह से अपंग हो चुके लोगों की सेवा-संभाल जैसे सिर पर पक्की छत या खाने-पीने की व्यवस्था के लिए प्रेम सिंह ने अपना घर, पत्नी के गहने तो बेचे ही, लोन भी लिया। प्रेम सिंह ने पैसे न होने पर 2017 में 5 लाख रुपए का लोन लिया था। 2 साल पहले भी ढाई लाख का पेंशन लोन लेना पड़ा था। हालांकि जब-जब प्रेम सिंह सिंह अपने समाज सेवा के प्रेम लोन लेते हैं, उनको पत्नी की नाराजगी मोल लेनी पड़ती है। लेकिन प्रेम सिंह इसे इन्वेस्टमेंट कहकर पत्नी को मना लेते थे।[1]

कटने लगे समाज के लोग

प्रेम सिंह ने जब कुष्ठ रोगियों का इलाज करवाना शुरू किया तो खुद को समाज की मुख्य धारा में मानने वाले लोग इनसे कटने लगे, क्योंकि लोगों को एक भ्रम है कि यह रोग छूने से फैलता है। हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं है। यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति भी समाज के बहिष्कार से डरते थे। बड़ी मुश्किल से वे लोगों को समझाने में कामयाब हुए कि यह उन्हीं के फायदे की बात है। कुछ रिश्तेदार और परिचित तो अब भी उनके घर आने-जाने से कतराते हैं। लोगों के मन में एक भ्रम है कि यह पिछले जन्म का श्राप होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह कमजोरी और मलिनता से पैदा होता है। जो लोग इधर-उधर माइग्रेट होते हैं और गरीब होते हैं, उनमें न्यूट्रिशियन की वजह से भी यह बीमारी आ जाती है। यह स्लाइवा और थूक से फैलता है।

सम्मान व पुरस्कार

  • 2001 में स्टेट अवार्ड मिला।
  • 2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के हाथों नैशनल अवार्ड फॉर द वेलफेयर ऑफ डिसएबल्ड पर्सन मिला।[1]
  • 2004 में रेड व्हाइट ब्रेवरी अवार्ड से सम्मानित हुए।
  • 2017 में बीएमजे अवार्ड के लिए नॉमिनेशन हुआ।
  • 2005 में एक निजी चैनल ने डॉक्यूमेंट्री ‘जाबांज’ बनाई।
  • 3 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नैशनल अवार्ड फॉर सीनियर सिटीजन से सम्मानित किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 30 साल से कुष्ठ रोगियों को समर्पित प्रेम सिंह (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 07 फरवरी, 2022।

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