भीमताल झील
भीमताल झील
| |
नाम | भीमताल झील |
देश | भारत |
राज्य | उत्तराखंड |
नगर/ज़िला | नैनीताल |
निर्देशांक | उत्तर- 29°20′35″ पूर्व- 79°33′33″ |
अधिकतम लंबाई | 1674 मीटर (लगभग) |
अधिकतम गहराई | 30 मीटर (लगभग) |
अधिकतम चौड़ाई | 427 मीटर (लगभग) |
सतह की ऊँचाई | 1332 मीटर (लगभग) |
गूगल मानचित्र | गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | भीमताल उपयोगी झील भी है। इसके कोनों से दो-तीन छोटी-छोटी नहरें निकाली गयीं हैं, जिनसे खेतों में सिंचाई होती है। एक जलधारा निरन्तर बहकर 'गौला' नदी के जल को शक्ति देती है। |
अद्यतन | 17:16, 21 फ़रवरी 2012 (IST)
|
भीमताल झील उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित सबसे बड़ी झील है। यह झील समुद्र तल से 1332 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी लम्बाई 1674 मीटर, चौड़ाई 427 मीटर और गहराई 30 मीटर है। यह ताल नैनीताल से बड़ा है। खुले आसमान और विस्तृत धरती का सही आनन्द लेने वाले पर्यटक अधिकतर भीमताल में ही रहना पसन्द करते हैं। नैनीताल की तरह इसके भी दो कोने हैं- तल्ली ताल एवं मल्ली ताल। इसके यह दोनों कोने सड़कों से जुडे हुए है। यहाँ पर नौका विहार का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग की ओर से मछली के शिकार की भी यहाँ अच्छी सुविधा है।
इतिहास
ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, एंग्लो - नेपाली युद्ध के बाद 1814 और 1816 सन् की अवधि में इस शहर पर ब्रिटिश लोगों का शासन था। अपने पड़ोसी शहर नैनीताल से प्राचीन होने के बाद भी, भीमताल शहर में अभी तक पुराने पैदल मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है जो इस शहर को काठगोदाम, कुमाऊं हिल्स, नेपाल और तिब्बत से जोड़ते हैं। यह भी कहा जाता है कि एक बार भीमताल एक प्राचीन रेशम मार्ग का हिस्सा था। नैनीताल ज़िले के छोटे मुख्यालय के रूप में प्रसिद्ध इस शहर का नाम एक पौराणिक चरित्र भीम पर पड़ा था, हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत के प्रसिद्ध पौराणिक चरित्र पांच पांडव थे, जिनमें भीम तीसरे नम्बर के भाई थे। यहां बने हुए भीमेश्वरा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भीम अपने भाईयों के साथ निर्वासन के दौरान यहां आएं थे, उस समय इस मंदिर का निर्माण किया गया था।[1]
भौगोलिक स्थिति
नैनीताल से 22 किलोमीटर तथा अल्मोड़ा से 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह प्रसिद्ध स्थान है। भीमताल सवा किमी तक फैला हुआ बड़ा ताल है तथा यह नैनीताल से भी बड़ा ताल है। यह काठगोदाम से 10 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इसकी आकृति त्रिभुजाकार है। इस झील के मध्य में एक छोटा सा द्वीप है, जो ज्वालामुखी चट्टानों से निर्मित है। इस झील में से अनेक छोटी-छोटी नहरें निकाली गयी हैं जिनकी सहायता से भीमताल झील के आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई की जाती है।
जलवायु
इस क्षेत्र में साल भर उप उष्णकटिबंधीय जलवायु का आनंद मिलता है। भीमताल में गर्मी, मानसून और सर्दी तीनों ही मौसम आते हैं। गर्मियों के दौरान यहां का अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस होता है। मानसून के दौरान, भीमताल में भारी वर्षा होती है। यहां बर्फीली सर्दियां, नवंबर से शुरू होकर फ़रवरी अंत तक पड़ती है। सर्दियों में यहां का तापमान -3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इसीलिए, भीमताल की सैर का प्लान बनाने वाले पर्यटक यहां आने के लिए गर्मियों का मौसम चुनें, क्यूंकि गर्मियां यहां की सैर के लिए आर्दश समय है।[1]
विशेषता
भीमताल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सुन्दर घाटी में ओर खिले हुए अंचल में स्थित है। इस ताल के बीच में एक टापू है, यह टापू पिकनिक स्थल के रूप में प्रयुक्त होता है। जिससे इस ताल की शोभा और भी बढ़ जाती है। नावों से टापू में पहुँचने का प्रबन्ध है। अधिकाँश सैलानी नैनीताल से प्रायः भीमताल चले जाते हैं। टापू में पहुँचकर मनपसन्द भोजन करते हैं और खुले ताल में बोटिंग करते हैं। इस टापू में अच्छे स्तर के रेस्तरां हैं। यहाँ पर पर्यटन विभाग की ओर से 34 शैय्याओं वाला आवास-गृह बनाया गया है। इसके अलावा भी यहाँ पर रहने खाने की समुचित व्यवस्था है।
महत्त्व
नैनीताल की खोज होने से पहले भीमताल को ही लोग महत्त्व देते थे। 'भीमकाय' होने के कारण शायद इस ताल को भीमताल कहते हैं। परन्तु कुछ विद्वान् इस ताल का सम्बन्ध पाण्डु-पुत्र भीम से जोड़ते हैं। कहते हैं कि पाण्डु-पुत्र भीम ने भूमि को खोदकर यहाँ पर विशाल ताल की उत्पति की थी। वैसे यहाँ पर भीमेश्वर महादेव का मन्दिर है। यह प्राचीन मन्दिर है, शायद यह भीम का ही स्थान हो या भीम की स्मृति में बनाया गया हो। परन्तु आज भी यह मन्दिर भीमेश्वर महादेव के मन्दिर के रूप में जाना और पूजा जाता है। भीमताल उपयोगी झील भी है। इसके कोनों से दो-तीन छोटी-छोटी नहरें निकाली गयीं हैं, जिनसे खेतों में सिंचाई होती है। एक जलधारा निरन्तर बहकर 'गौला' नदी के जल को शक्ति देती है।
भीमताल के आस-पास
पर्यटक यहां आकर विक्टोरिया बांध देख सकते हैं जो भीमताल झील के अंत में बना हुआ है। बांध बेहद लुभावने दृश्य प्रदान करता है। पर्यटक, यहां एक मछलीघर भी देख सकते हैं जो कि भीमताल झील पर स्थित एक द्वीप पर बना हुआ है। यह झील हिमालय की कई ट्रांस चिडि़यों को आकर्षित करती है और उत्साही पर्यटकों को यहां नौका विहार की सुविधा भी प्रदान की जाती है। यहां एक श्राइन भी है जिसे कारटोटाका नाग मंदिर कहा जाता है जो नागों के देवता नाग कारटोटाका महराजा को समर्पित है, यह नाग देवता पौराणिक हैं। कई भक्त, ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। यहां की लोक संस्कृति के संग्रहालय में रॉक कला, लोक चित्र, पुरातात्विक वस्तुएं और प्राचीन पांडुलिपियों को दर्शाया गया है। पर्यटक इस संग्रहालय में आकर, हिंदू धर्म के कई देवी और देवताओं की प्रतिमा और चित्रों को भी देख सकते हैं। पर्यटक सातताल की यात्रा भी कर सकते हैं जो कि सात झीलों के आपस में जुड़े हुए एक समूह के कारण प्रसिद्ध हैं। यह स्थल, भीमताल से 3 किमी. की दूरी पर स्थित है। सत्तल, 500 निवासी और प्राकृतिक पक्षियों, 11000 कीड़ों और 525 किस्मों की तितलियों के लिए प्राकृतिक निवास है। यहां पर्यटक अमूमन तौर पर, किंगफिशर, ब्राउन हेडेड बारबेट्स, ब्लू - विहिस्लिंग -थ्रस, इंडियन ट्री पाइस और रेड - ब्लिड ब्लू मैगपाइस आदि को देख सकते हैं। इस क्षेत्र में स्तनधारियों और तितलियों की विभिन्न प्रजातियों भी पाई जाती हैं। इस झील के नजदीक ही एक पर्वत पाया जाता है जिसे हिडिम्बा पर्वत के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार, इस पहाड़ी का नाम महाकाव्य महाभारत के एक चरित्र, दानव हिडिम्बा के नाम पर पड़ा। वर्तमान में एक भिक्षु और पर्यावरणविद् के रूप में प्रसिद्ध वानखंडी महाराज इस पहाड़ी में रहते हैं। उन्होने इस पहाड़ी के इर्द - गिर्द एक वन्यजीव अभयारण्य का निर्माण कर दिया है। अब यह क्षेत्र, वानखंडी आश्रम के नाम से जाना जाता है।
कैसे जाएँ
पर्यटक, भीमताल तक हवाई जहाज, रेल और बस से पहुंच सकते हैं। इस जगह जाने के लिए नजदीकी एयरबेस पंतनगर एयरपोर्ट है जो दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से नियमित उड़ानों के द्वारा जुड़ा हुआ है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से रेल भी उपलब्ध हैं। भीमताल से 30 किमी. की दूरी पर रेलवे स्टेशन स्थित है। यहां तक पहुंचने का सबसे अच्छा साधन बस है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों जैसे - नैनीताल, देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश से भीमताल के लिए बस सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। पर्यटक, मसूरी, रुद्रप्रयाग, कौसानी, रानीखेत और उत्तरकाशी से भी भीमताल के लिए बसें पकड़ सकते हैं। दिल्ली शहर भी भीमताल से शानदार लक्जरी बसों के द्वारा जुड़ा हुआ है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 भीमताल - जहां हैं निर्मल नदियां और पवित्र मंदिर (हिन्दी) हिन्दी नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 20 नवम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख