रहिमन निज सम्पति बिना -रहीम

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‘रहिमन’ निज सम्पति बिना, कोउ न विपति-सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय ॥

अर्थ

काम अपनी ही सम्पत्ति आती है, कोई दूसरा विपत्ति में सहायक नहीं होता है। पानी न रहने पर कमल को सूखने से सूर्य बचा नहीं सकता।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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