रहिमन विद्या बुद्धि नहिं -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

‘रहिमन’ विद्या, बुद्धि नहिं, नहीं धरम,जस, दान ।
भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिन पूँछ-विषान ॥

अर्थ

न तो पास में विद्या है, न बुद्धि है, न धर्म-कर्म है और न यश है और न दान भी किसी को दिया है। ऐसे मनुष्य का पृथ्वी पर जन्म लेना वृथा ही है। वह पशु ही है बिना पूँछ और बिना सींगो का।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख