रूपक सिक्का

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रूपक प्राचीन भारत में प्रचलित ताँबे का सिक्का था। गुप्त काल में यह सिक्का 32 से 36 ग्रेन वजन का था।[1]

प्राचीन काल से ही मेवाड़ राज्य में सोने, चाँदी और ताँबे के सिक्कों का प्रचलन था। सोने के सिक्के 'कर्षापण', चाँदी के सिक्के 'द्रम्म' और ताँबे के सिक्के 'रूपक' कहलाते थे। यहाँ से मिलने वाले सबसे पुराने सिक्के चाँदी और ताँबे के ही बने हुए हैं, जो प्रारंभ में चौखूंटे होते थे, लेकिन बाद के समय में उनके किनारे पर कुछ गोलाई आती गई। इन सिक्कों पर कोई लेख तो नहीं होते थे, परंतु मनुष्य, पशु-पक्षी, सूर्य, चंद्रमा, धनुष और वृक्ष आदि के चिह्न अंकित थे। ऐसे चाँदी तथा ताँबे के सिक्के मध्यमिका में अधिक मिलते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. यूजीसी इतिहास, पृ.सं. 145

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