रेखा
रेखा
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पूरा नाम | भानुरेखा गणेशन |
प्रसिद्ध नाम | रेखा |
जन्म | 10 अक्टूबर, 1954 |
जन्म भूमि | चेन्नई, तमिलनाडु |
अभिभावक | पिता- जेमिनी गणेशन माता- पुष्पावली |
पति/पत्नी | मुकेश अग्रवाल |
कर्म भूमि | महाराष्ट्र |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेत्री |
मुख्य फ़िल्में | 'खूबसूरत', 'उमराव जान', 'खून', 'सिलसिला' आदि।
भरी मांग” |
पुरस्कार-उपाधि | दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2023 पद्म श्री |
प्रसिद्धि | अभिनेत्री, नृत्यांगना |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | रेखा 1966 में फ़िल्मों में आ गईं थी। इन्होंने अपनी पहली तेलुगु फ़िल्म 'रंगुला रतलाम' जिसमें एक बाल कलाकार के रूप में भूमिका निभाई थी, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत 1970 में आई फ़िल्म 'सावन भादों' से हुई। |
अद्यतन | 16:41, 20 सितम्बर 2023 (IST)
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रेखा गनेशन (अंग्रेज़ी: Rekha Ganeshan, जन्म- 10 अक्टूबर, 1954, तमिलनाडु) हिन्दी फ़िल्मों की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। अपनी वर्सटैलिटी और हिन्दी फ़िल्मों की बेहतरीन अभिनेत्री मानी जाने वाली रेखा ने अपने कॅरियर की शुरूआत सन 1966 में बाल कलाकार के तौर पर तेलुगु फ़िल्म 'रंगुला रतलाम' सेे की थी।[1] फिल्म उद्योग में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2023 में अभिनेत्री रेखा को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
जीवन परिचय
रेखा का पूरा नाम 'भानुरेखा गणेशन' है। इनका जन्म 10 अक्टूबर 1954 को तमिलनाडु में हुआ। कहा जाता है रेखा ने जब फ़िल्मी जीवन की शुरुआत की थी तब वो काफ़ी मोटी थी। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक मोटी सी लड़की आगे जाकर बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री बन जाएगी। रेखा ने सिर्फ व्यावसायिक फ़िल्में की हैं। बल्कि कलात्मक फ़िल्मों से भी उन्होंने अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। रेखा 1966 में फ़िल्मों में आ गईं थी। इन्होंने अपनी पहली तेलुगु फ़िल्म 'रंगुला रतलाम' जिसमें एक बाल कलाकार के रूप में भूमिका निभाई थी, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत 1970 में आई फ़िल्म 'सावन भादों' से हुई।[1]
फ़िल्मी कॅरियर
रेखा बाल कलाकार के तौर पर तेलुगु फ़िल्म 'रंगुला रतलाम' में दिखाई दीं जिसमें उनका नाम 'बेबी भानुरेखा' बताया गया। 1969 में अभिनेत्री के रूप में उन्होंने अपना डेब्यू सफल कन्नड़ फ़िल्म 'आॅपरेशन जैकपाट नल्ली सीआईडी 999' से किया था जिसमें उनके हीरो राजकुमार थे। उसी साल उनकी पहली हिन्दी फ़िल्म 'अंजाना सफर' रिलीज हुई थी। फ़िल्म के एक किसिंग सीन के विवाद के चलते यह फ़िल्म नहीं रिलीज हो पाई। बाद में इस फ़िल्म को 'दो शिकारी' के नाम से रिलीज किया गया। उनका अभिनय में कोई इंट्रेस्ट नहीं था लेकिन आर्थिक तंगी होने की वजह से उन्होंने यह किया। यह उनके जीवन का कठिन समय था। 1970 में उनकी दो फ़िल्में रिलीज हुईं -तेलुगु फ़िल्म 'अम्मा कोसम' और हिन्दी फ़िल्म 'सावन भादो' जो कि उनकी बॉलीवुड में अभिनेत्री के तौर पर डेब्यू फ़िल्म मानी जाती है। 'सावन भादों' हिट रही और रेखा रातों रात स्टार बन गईं।[1]
सम्मान व पुरस्कार
रेखा की कुछ सराहनीय फ़िल्में इस प्रकार है, जिनके लिए उन्हें बहुत सराहा गया और कुछ फ़िल्मों के लिए उन्हें पुरस्कार भी मिले।
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड- 1981 - फ़िल्म- 'खूबसूरत'
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार- 1982 - फ़िल्म- 'उमराव जान'
- सर्वश्रेष्ठ हिंदी अभिनेत्री के लिए बंगाल फ़िल्म संवाददाता संघ अवार्ड - 1985 - फ़िल्म- 'उत्सव'
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड - 1989 -फ़िल्म- 'खून भरी मांग'
- सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड और सबसे अच्छी खलनायिका के लिए स्टार स्क्रीन अवार्ड - 1997 - फ़िल्म- 'खिलाड़ीयों का खिलाड़ी'
- सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री’ के लिए बॉलीवुड फ़िल्म अवार्ड-2004, फ़िल्म-'कोई मिल गया'[2]
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2023
प्रतिभा कौशल
रेखा न सिर्फ एक अच्छी अभिनेत्री है, साथ ही वे एक अच्छी इंसान भी है। 2011 में इनको बेहतरीन सफल और सहज अभिनेत्री का अवार्ड भी मिला। ये बॉलीवुड की 9वीं सबसे बड़ी सफल अभिनेत्री रहीं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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