लक्ष्मीनारायण गर्दे
लक्ष्मीनारायण गर्दे (जन्म- 1889, वाराणसी, मृत्यु- 1960) प्रसिद्ध संपादक और साहित्यकार थे। राष्ट्रीय भावनाओं के कारण आप हिंदी पत्रकारिता और साहित्य सृजन के काम में जुट गये।
परिचय
प्रसिद्ध संपादक और साहित्यकार लक्ष्मीनारायण गर्दे का जन्म 1889 ई. को वाराणसी में हुआ था। राष्ट्रीय भावनाओं के कारण औपचारिक अध्ययन बीच में ही छोड़ कर आप हिंदी पत्रकारिता और साहित्य सृजन में लग गये। आपने जेल यात्रा भी की और 50 वर्षों तक हिंदी की सेवा करते रहे।[1]
संपादकत्व
गर्देजी ने अनेक पत्रों के प्रकाशन का सम्पादन किया। 'श्रीकृष्ण संदेश' तथा 'नवनीत' पत्रिका का प्रकाशन भी आपके संपादन से ही हुआ। कल्याण के अनेक विशेषांकों के संपादन से भी आप जुड़े रहे।
लेखन कार्य
लक्ष्मीनारायण गर्दे जीवन के अंत तक लेखन कार्य में संलग्न रहे। आपके द्वारा लिखी गयीं जो प्रमुख पुस्तकें हैं वे इस प्रकार हैं-
- 'सरल गीता',(इसका प्रवासी भारतीयों मे भी बहुत प्रचार हुआ)
- श्री कृष्ण चरित्र,
- एशिया का जागरण,
- जापान की राजनीतिक प्रगति,
- गांधी सिद्धांत,
- आरोग्य और उसके साधन।
मृत्यु
लक्ष्मीनारायण गर्दे का 1960 में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 756 |
बाहरी कड़ियाँ
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