लोहित्य
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लोहित्य नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड[1] में हुआ है-
'हस्तिपृष्टकमासाद्य कुटिकामप्यवर्तत ततार च नरव्याघ्नो लौहित्ये च कपीवतीम।'
- इस स्थान के पास भरत ने केकय देश से अयोध्या आते समय कपीवती नदी का पार किया था।
- प्रसंग से यह स्थान अयोध्या से अधिक दूर नहीं जान पड़ता।[2]
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