वात्स्य का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व[1] के अनुसार ये एक ऋषि थे, जो जनमेजय के सर्पयज्ञ में सदस्य थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 96 |
- ↑ महाभारत आदि पर्व 53; 1-26
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