वासुदेव महादेव अभ्यंकर

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वासुदेव महादेव अभ्यंकर अनेक शास्त्रों के मूर्धन्य विद्वान और प्रसिद्ध वैयाकरण थे। इनका जन्म 1862 ई. में हुआ था।

शिक्षा

वासुदेव महादेव की शिक्षा सतारा के प्रसिद्ध विद्वान पंडित राजाराम शास्त्री गोडबोले की देखरेख में हुई।

प्रतिभा का परिचय

अभ्यंकर ने अपनी प्रतिभा का परिचय वेदांत, मीमांसा, साहित्य, न्याय, ज्योतिष आदि ज्ञान के सभी क्षेत्रों में दिया। उन्होंने संस्कृत के अनेक ग्रंथों पर टीकाएं लिखीं। मौलिक रचनाओं में 'अद्वैतामोद', 'कायशुद्धि', 'धर्मतत्व निर्णय', 'सूत्रांतर परिग्रह विचार:' विशेष उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने ब्रह्मसूत्र शांकर भाष्य और पंतजलि महाभाष्य का मराठी भाषा में अनुवाद भी प्रस्तुत किया।

उपाधि

1921 में पांडित्य के लिए उनको 'महामहोपाध्याय' की उपाधि दी गई और शंकेश्वर के शंकराचार्य ने 'विद्वद्रत्न' की पदवी से सम्मानित किया। उनकी विद्वता से प्रभावित होकर महादेव गोविन्द राना डे ने उन्हें फ़र्ग्यूसन कॉलेज में बुला लिया था।

निधन

अभ्यंकर की 1943 ई. में मृत्यु हो गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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