वीरेन डंगवाल
वीरेन डंगवाल
| |
पूरा नाम | वीरेन डंगवाल |
जन्म | 5 अगस्त, 1947 |
जन्म भूमि | कीर्तिनगर, टेहरी गढ़वाल, उत्तराखंड |
मृत्यु | 28 सितंबर, 2015 |
मृत्यु स्थान | बरेली, उत्तर प्रदेश |
अभिभावक | पिता- रघुनन्दन प्रसाद डंगवाल |
पति/पत्नी | डॉ. रीता डंगवाल |
संतान | पुत्र- प्रफुल्ल और प्रशांत |
कर्म-क्षेत्र | कवि, पत्रकार |
मुख्य रचनाएँ | 'इसी दुनिया में', 'दुष्चक्र में स्रष्टा', 'कवि ने कहा', 'स्याही ताल'। |
भाषा | हिन्दी |
शिक्षा | एम. ए., डी.फिल |
पुरस्कार-उपाधि | 'साहित्य अकादमी पुरस्कार', 'रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार', 'श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार', 'शमशेर सम्मान'। |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 13:01, 29 सितम्बर 2015 (IST)
|
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
वीरेन डंगवाल (अंग्रेज़ी: Viren Dangwal, जन्म: 5 अगस्त, 1947; मृत्यु- 28 सितंबर, 2015) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि एवं वरिष्ठ पत्रकार थे। साहित्य अकादमी सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित वीरेन डंगवाल अपनी शक्तिशाली कविताओं के साथ-साथ अपनी जनपक्षधरता, फक्कड़पन और यारबाश व्यक्तित्व के चलते बेहद लोकप्रिय थे। वीरेन डंगवाल दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला में संपादक भी रहे।
जीवन परिचय
वीरेन डंगवाल का जन्म कीर्तिनगर, टेहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में 5 अगस्त, 1947 को हुआ। उनकी माँ एक मिलनसार धर्मपरायण गृहणी थीं और पिता स्वर्गीय रघुनन्दन प्रसाद डंगवाल प्रदेश सरकार में कमिश्नरी के प्रथम श्रेणी अधिकारी। उनकी रुचि कविताओं कहानियों दोनों में रही है। उन्होंने मुज़फ़्फ़रनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल और अन्त में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 1968 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. और तत्पश्चात् डी.फिल की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
साहित्यिक परिचय
वीरेन डंगवाल एक ऐसे कवि थे, जिन्होंने जिंदगी को उसकी पूरी लय के साथ जिया। पिछले कुछ समय से वे मुंह के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझते रहे थे। 'राम सिंह' कविता से कविता जगत में मजबूत पहचान बनाने वाले वीरेन डंगवाल के तीन कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं- इसी दुनिया में, दुष्चक्र में स्रष्टा और अंत में स्याही ताल। बीमारी के दिनों में भी उनका सृजन कर्म जारी रहा और उनकी कई कविताएं प्रकाशित भी हुई। दिल्ली में जब भी संभव हुआ, वह धरना-प्रदर्शन, कविता पाठ, सांस्कृतिक आयोजनों में शामिल होते रहे और अपनी धीमी ही सही लेकिन मजबूत आवाज़ में साहित्य की दुनिया में अपना योगदान देते रहे। उनका फक्कड़ स्वभाव उनकी रचनाओं में भी साफ छलकता है। उन्होंने कुछ बेहद दुर्लभ अनुवाद भी किए, जिसमें पाब्लो नेरूदा, बर्तोल्त ब्रेख्त, वास्को पोपा और नाज़िम हिकमत की रचनाओं के तर्जुमे खासे चर्चित हुए। वीरेन डंगवाल की कविताओं का कई भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। उन्होंने उच्च स्तरीय संस्मरण भी लिखे, जिसमें शमशेर बहादुर सिंह, चंद्रकांत देवताले पर उनके आलेखों की गूंज रही। वीरेन जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे।[1]
मुख्य रचनाएँ
- इसी दुनिया में
- दुष्चक्र में स्रष्टा
- कवि ने कहा
- स्याही ताल
सम्मान एवं पुरस्कार
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (2004)
- रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (1992)
- श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार (1994)
- शमशेर सम्मान (2002)
निधन
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉ. वीरेन डंगवाल का 68 साल की आयु में सोमवार 28 सितम्बर, 2015 की सुबह बरेली, उत्तर प्रदेश में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बरेली के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। कैंसर होने के आने के बाद भी वह कई साल से लेखन में सक्रिय थे। कुछ समय पहले वह दिल्ली से बरेली आए थे और तबियत बिगड़ने के बाद उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनके परिवार में पत्नी डॉ. रीता डंगवाल, बेटे प्रफुल्ल और प्रशांत हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नहीं रहे कवि डॉ. वीरेन डंगवाल (हिन्दी) समय लाइव। अभिगमन तिथि: 28 सितम्बर, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख