शिशिर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- शिशिर (बहुविकल्पी) |
शिशिर हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ 'विष्णुपुराण'[1] के अनुसार मेरु पर्वत के दक्षिण में स्थित एक पर्वत[2]-
'त्रिकूटः शिशिरश्चैव पतंगो रुचकस्तथा।'
- सीता जी की खोज के समय कपिराज सुग्रीव ने पूर्व दिशा में जाने वाले दूतों के सात राज्यों से सुशोभित 'यवद्वीप' (जावा), 'सुवर्ण द्वीप' (सुमात्रा) तथा रुप्यक द्वीप में यत्नपूर्वक जनकसुता को तलाशने का आदेश दिया था। इसी क्रम में यह भी कहा गया था कि यव द्वीप के आगे 'शिशिर' नामक पर्वत है, जिसका शिखर स्वर्ग को स्पर्श करता है और जिसके ऊपर देवता तथा दानव निवास करते हैं।[3]
यनिवन्तों यव द्वीपं सप्तराज्योपशोभितम्।
सुवर्ण रुप्यक द्वीपं सुवर्णाकर मंडितम्।
जवद्वीप अतिक्रम्य शिशिरो नाम पर्वत:।
दिवं स्पृशति श्रृंगं देवदानव सेवित:।1
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णुपुराण 2,2,27
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 902 |
- ↑ रामायण का अर्थ राम का यात्रा पथ (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 23 अगस्त, 2014।
संबंधित लेख
|