सर सूखे पंछी उड़े -रहीम

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सर सूखे पंछी उड़े, और सरन समाहिं ।
दीन मीन बिन पंख के, कहु ‘रहीम’ कहँ जाहिं ॥

अर्थ

सरोवर सूख गया, और पक्षी वहाँ से उड़कर दूसरे सरोवर पर जा बसे। पर बिना पंखों की मछलियाँ उसे छोड़ और कहाँ जायें ? उनका जन्म-स्थान और मरण-स्थान तो वह सरोवर ही है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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