सहदेव पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के सबसे छोटे पुत्र थे, जो ज्योतिष के पंडित थे। यह विद्या इन्होंने द्रोणाचार्य से सीखी थी। पशुपालन शास्त्र में भी ये परम दक्ष थे और अज्ञातवास के समय विराट के यहाँ इन्होंने राज्य के पशुओं की देखरेख का काम किया था।
जब नकुल और सहदेव का जन्म हुआ था, तब यह आकाशवाणी हुई की, ‘शक्ति और रूप में ये जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से भी बढ़कर होंगे।’
सहदेव पाँचों भाइयों में सबसे सुन्दर और सुकुमार था।
इनकी पत्नी की नाम 'विजया' था, जिससे इनका 'सुहोत्र' नामक एक पुत्र हुआ था।