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विवरण देवनागरी वर्णमाला का तीसरा स्वर है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से 'तालव्य', 'ह्रस्व' (जिसका दीर्घ रूप '' है), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत, तथा 'मूल' स्वर है और 'घोष' ध्वनि है।
अनुनासिक रूप 'इँ' (जैसे- इँचना, इँडुरी)
मात्रा 'ि' (जैसे- कि, ति, रि)
व्याकरण [ संस्कृत अ + इञ् ] पुल्लिंग- कामदेव, क्रोध, दया, आश्चर्य और भर्त्सना का सूचक एक शब्द; सम्बोधनवाची एक शब्द।
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देवनागरी वर्णमाला का तीसरा स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह 'तालव्य', 'ह्रस्व' (जिसका दीर्घ रूप '' है), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत, तथा 'मूल' स्वर है और 'घोष' ध्वनि है।

विशेष-
  1. 'इ' का अनुनासिक रूप 'इँ' है। जैसे- इँचना, इँडुरी आदि।
  2. 'इ' की मात्रा 'ि' है जो व्यंजन के बायीं और लगती है। जैसे- कि, ति, रि इत्यादि में।
  3. [ संस्कृत अ + इञ् ] पुल्लिंग- कामदेव, क्रोध, दया, आश्चर्य और भर्त्सना का सूचक एक शब्द; सम्बोधनवाची एक शब्द।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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