अपोलोनियस (दार्शनिक)
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अपोलोनियस् (त्याना का)नव-पिथागोरस् संप्रदाय का दार्शनिक और सिद्ध पुरुष, जिसका जन्म ई. सन् के आरंभ से थोड़े ही पूर्व हुआ था। इसने तार्सस् और इगाए में अस्क्लेपियस् (यूनान के धन्वंतरि) के मंदिर में शिक्षा प्राप्त की थी और तत्पश्चात् निनेवे, बाबुल और भारत की यात्रा की। यह योगियों के वेश में रहता था। कोई इसको सिद्ध मानते थे, कोई ऐंद्रजालिक। सिद्ध के रूप में इसने ग्रीस, इटली और स्पेन की भी यात्रा की थी। नीरो और दोमीतियान् दोनों ने इसपर राजद्रोह का आरोप लगाया पर यह बच गया। इसने एफेसस् में एक विद्यालय स्थापित किया जहाँ यह शतायु होकर परलोक सिजारा। इसकी तुलना ईसामसीह तक के साथ की गई है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 148 |
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