गिद्ध

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सफ़ेद गिद्ध

गिद्ध (अंग्रेज़ी Vulture) कत्थई और काले रंग के भारी क़द के पक्षी हैं, जिनकी दृष्टि बहुत तेज होती है। भारत में गिद्धों को तीन प्रजातियों लॉन्ग बिल्ड वल्चर, स्लेन्डर बिल्ड वल्चरव्हाइट रम्पड वल्चर में बाँटा गया हैं।

लक्षण

शिकारी पक्षियों की तरह गिद्ध की चोंच भी टेढ़ी और मज़बूत होती है, लेकिन इनके पंजे और नाखून इतने जैसे तेज और मज़बूत नहीं होते। ये झुंडों में रहने वाले मुर्दाखेर पक्षी हैं। गिद्ध प्रकृति के बेहतरीन सफ़ाईकर्मी हैं, ये जहाँ मौजूद होते हैं, वहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र को स्वच्छ व स्वस्थ रखने में हमारी मदद करते हैं।

भोजन

गिद्ध सड़े-गले माँस को जिसमें असंख्य घातक बैक्टीरियावाइरस होते हैं, उस माँस को अपना भोजन बनाकर अपनी मज़बूत पाचन प्रणाली द्वारा उसे हज़म कर लेते हैं, नतीजतन रैबीज, मुँह व पैर पकने वाली बीमारियों पर नियन्त्रण बरकरार रहता हैं। ये किसी ऊँचे पेड़ पर अपना भद्दा सा घोंसला बनाते हैं, जिसमें मादा एक या दो सफ़ेद रंग के अंडे देती है। गिद्ध साल में एक बार जनवरी-फ़रवरी के महीने में अंडे देता है।[1]

काला गिद्ध

विभिन्न प्रजातियाँ

गिद्ध शिकारी पक्षियों के अंतर्गत आने वाले मुर्दाखोर पक्षी हैं, जिन्हें गृद्ध कुल (Family Vulturidae) में एकत्र किया गया है। गिद्ध की प्रजातियाँ दो भागों में बाँटी जाती हैं। पहले भाग में अमरीका के कॉण्डर (Condor), किंग वल्चर (King Vulture), कैलिफोर्नियन वल्चर (Californian Vulture), टर्की बज़र्ड (Turkey Buzzard) और अमरीकी ब्लैक वल्चर (American Black Vulture) होते हैं।

दूसरे भाग में अफ्रीका और एशिया के राजगृद्ध (King Vulture), काला गिद्ध (Black Vulture), चमर गिद्ध (White beaked Vulture), बड़ा गिद्ध ( Griffon Vulture) और गोबर गिद्ध (Scavenger Vulture) मुख्य हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आसमानी बादशाहों का नष्ट होता वंश! (हिन्दी) दुधवा लाइव। अभिगमन तिथि: 22 अक्टूबर, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

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