ज़िला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम

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1986 की नई शिक्षा नीति और 1992 में उसमें किए गए संशोधन तथा इसकी कार्य योजना के अनुरूप सबको प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए ज़िला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम की एक नई पहल की गयी। इसमें सबको शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कार्य योजना में गयी रणनीति को विकेंद्रित रूप में लागू करने की बात कही गयी है। ज़िला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है। ज़िला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम एक ऐसी परियोजना है जिसमें 85 प्रतिशत धन केंद्र सरकार और 15 प्रतिशत धन सम्बन्धित राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। डीपीईपी अपने सर्वाधिक प्रचालन में 18 राज्यों में 273 ज़िलों में सक्रिय था। परंतु कार्यक्रम के विभिन्न चरणों के उत्तरोत्तर बंद किये जाने से अब यह केवल दो राज्यों- राजस्थानउड़ीसा के 17 ज़िलों में सक्रिय है।

  • वर्तमान काल में स्कूलों की सुविधा हर जगह उपलब्ध है। देश की 94 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या को एक किमी. की दूरी के अंदर ही प्राथमिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है। जहां तक उच्च प्राइमरी शिक्षा का प्रश्न है, यह दूरी 3 किमी है। प्राइमरी स्तर पर संपूर्ण देश एवं अधिकांश राज्यों में सकल नामांकन अनुपात 100 प्रतिशत से अधिक है। किंतु कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहाँ यह अनुपात काफ़ी कम है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर और मेघालय शामिल हैं। इन राज्यों के अतिरिक्त, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और सिक्किम ऐसे राज्य हैं जहाँ उच्च प्राइमरी स्तर पर सकल नामांकन अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। इन राज्यों में अधिकांशत: साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम है।
  • प्राथमिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम का अंतिम उद्देश्य है, किंतु यह कार्यक्रम लैंगिक एवं क्षेत्रीय असमानताओं को ध्यान में रखे बिना सफल नहीं हो सकता है। प्राइमरी स्तर पर लड़कियों का नामांकन 1950-51 के 54 लाख से बढ़कर 1998-99 में 4.82 करोड़ हो चुका था। उच्च प्राइमरी स्तर पर यह संख्या 1950-51 के 5 लाख से बढ़कर 1.63 करोड़ तक पहुँच चुकी है। वर्तमान काल में लड़कियों के नामांकन की दर लड़कों से अधिक है। किन्तु असमानताएं आज भी स्पस्ट दृष्टिगोचर है। प्राइमरी स्तर पर लड़कियों के नामांकन का प्रतिशत 43.5 और उच्च प्राइमरी स्तर पर 40.5 है। लड़कियों द्वारा बीच में शिक्षा छोडऩे की दर भी लड़कों से अधिक है।


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