भूटान
भूटान नई और पुरानी परंपराओं का अनूठा मिश्रण है| भूटान धीरे-धीरे आधुनिक दुनिया के लिए अपनी प्राचीन परंपराओं के साथ एक अच्छा संतुलन बनाए हुए है। सत्रहवीं सदी के अंत में भूटान ने बौद्ध धर्म को अंगीकार किया। 1865 में ब्रिटेन और भूटान के बीच सिनचुलु संधि पर हस्ताक्षर हुआ, जिसके तहत भूटान को सीमावर्ती कुछ भूभाग के बदले कुछ वार्षिक अनुदान के करार किए गए। ब्रिटिश प्रभाव के तहत 1907 में वहाँ राजशाही की स्थापना हुई। तीन साल बाद एक और समझौता हुआ, जिसके तहत ब्रिटिश इस बात पर राजी हुए कि वे भूटान के आंतरिक मामलों में हस्त्क्षेप नहीं करेंगे लेकिन भूटान की विदेश नीति इंग्लैंड द्वारा तय की जाएगी। बाद में 1947 के पश्चात् यही भूमिका भारत को मिली।
भूगोल
भूटान चारों तरफ से स्थल से घिरा हुआ पर्वतीय क्षेत्र है। उत्तर में पर्वतों की चोटियाँ कहीं-कहीं 7000 मीटर से भी ऊँची हैं और सबसे ऊँची चोटी कुला कांगरी की है, कुला कांगरी 7553 मीटर ऊँची है। गांगखर पुएनसुम की ऊँचाई 6896 मीटर है, जिस पर अभी तक मनुष्य के क़दम नहीं पहुँचे हैं। भूटान का दक्षिणी हिस्सा अपेक्षाकृत कम ऊँचा है और यहाँ पर कई उपजाऊ और सघन घाटियाँ हैं, जो ब्रह्मपुत्र की घाटी से मिलती है। देश का लगभग 70% हिस्सा वनों से आच्छादित है। भूटान की ज़्यादातर आबादी मध्यवर्ती हिस्सों में रहती है। भूटान की राजधानी थिम्फू है और यह भूटान का सबसे बड़ा शहर भी है, यह भूटान के पश्चिमी हिस्से में स्थित है और इसकी आबादी 50,000 है। भूटान की जलवायु मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय है।
अर्थव्यवस्था
भूटान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि प्रधान है।भूटान के किसानों की जीविका का मुख्य प्रवास कृषि, पशुपालन है। पनीर, मक्खन और दूध जैसे पशु उत्पादों के किसानों के लिए एक प्रमुख आहार है। भूटान के लोगों की आय भी इन्हीं के द्वारा उत्पन्न होती है। कई किसानों के समूहों और कृषि और वन मंत्रालय द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा सहकारी समितियों के साथ, लोगों को सहकारी स्टालों जहाँ वे आसानी से अपने कृषि उत्पादों के बाज़ार कर सकते हैं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
भूटान की मुख्य फसलें चावल, मक्का, गेहूं, आलू, सेब, संतरे, इलायची, अदरक, मिर्च और नींबू है। राजधानी में एक फल आधारित उद्योग की स्थापना के साथ, आसपास के इलाकों से किसानों के लिए उनके फलों के उत्पादों के बाज़ार के लिए और इस तरह अतिरिक्त राजस्व कमाने के लिए कर रहे हैं।
भारत और भूटान के समझौते
- 1949 में भारत भूटान समझौते के तहत भारत ने भूटान की वो सारी ज़मीन उसे लौटा दी जो अंग्रेजों के अधीन थी। इस समझौते के तहत भारत का भूटान की विदेश नीति एवं रक्षा नीति में काफ़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका दी गई।
- भारत और भूटान के बीच आपसी संबध बेजोड़ सौहार्द और मैत्रीपूर्ण रहे हैं, जिनमें वर्ष के दौरान नियमित रूप से उच्च स्तरीय वार्तालाप के जरिए और भी प्रगाढ़ता आयी। भूटान के पांचवें नरेश का राज्यभिषेक भी हुआ।
- प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 16-17 मई, 2008 के दौरान भूटान की यात्रा की, जिसमें उन्होंने लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित किया। इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 2020 तक भारत भूटान में पन-बिजली विकास का लक्ष्य दुगुना करेगा ताकि भूटान भारत को 10,000 मेगावाट बिजली का निर्यात कर सके। भारत और भूटान के बीच क़ायम किये जा रहे प्रथम रेल संपर्क के लिए भारत सरकार सहायता जारी करेगी और भूटानी विद्यार्थियों के लिए प्रतिष्ठित नेहरू-वांग्चुक स्कालरशिप की स्थापना की जाएगी।
- भूटान के प्रधानमंत्री लियोन्छेन जिग्नी वाई थिन्ले ने 14-17 जुलाई 2008 की अवधि में भारत की सरकारी यात्रा की और 12-14 नवंबर, 2008 के दौरान दूसरे बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए एक बार फिर नई दिल्ली आये।
- भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभादेवी सिंह पाटिल और विदेश मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी ने 5-8 नवंबर 2008 की अवधि में नेपाल नरेश महामहिम जिग्में खेसर नामग्येल वांग्चुक के राज्याभिषेक क अवसर पर भूटान की सरकारी यात्रा की।
- भूटान ने वर्ष 2008 को पंडित जवाहर लाल नेहरू की भूटान यात्रा के स्वर्ण जयन्ती वर्ष के रूप में मनाया, जिन्होंने 1958 में भूटान की यात्रा की थी। भूटान का संसदीय शिष्टमंडल फ़रवरी, 2009 में भारत की यात्रा पर आया और उन्होंने भारतीय सांसदों से बातचीत की।
- भारत और भूटान के आपसी संबंध घनिष्ठ विचार-विमर्श, परिपक्वता, पूर्ण विश्वास और आपसी समझ पर आधारित हैं और वे आदर्श पड़ोसी के संबंधों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन विशेष संबंधों की नियमित यात्राओं की परंपरा और उच्च स्तरों पर विचारों के आदान-प्रदान के जरिए और भी स्थायित्व प्रदान किया जाता है।
- मई, 2008 में भूटान में लोकतांत्रिक रूप में चुनी गई प्रथम संसद और सरकार की स्थापना के बाद भारत सरकार ने भूटान की शाही सरकार के लोकतंत्र को मज़बूत बनाने में पूर्ण समर्थन और सहयोग देने का वायदा किया है।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापार और भागीदार रहा है।
- भूटान द्वारा 1960 के दशक के आरंभ में योजनाबद्ध विकास शुरू किये जाने के समय से ही भारत भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता पहुंचा रहा है।
- हाल ही में भारत सरकार ने 2020 तक भूटान में 10,000 मेगावाट पनबिजली पैदा करने का वायदा किया है ताकि वह भारत को निर्यात कर सके।
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