"अल्मोड़ा की लोककथा" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
नया शहर बसाने का काम शुरू हुआ और इस प्रकार छह सौ साल पहले अल्मोडा नगर की नींव पडी। | नया शहर बसाने का काम शुरू हुआ और इस प्रकार छह सौ साल पहले अल्मोडा नगर की नींव पडी। | ||
</poem> | </poem> | ||
+ | {{main|लोककथा संग्रहालय, भारतकोश}} | ||
{{seealso|लोककथा संग्रहालय, मैसूर}} | {{seealso|लोककथा संग्रहालय, मैसूर}} | ||
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
02:25, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
![](/bharatkosh/w/images/thumb/c/c9/A-Veiw-Of-Almora.jpg/250px-A-Veiw-Of-Almora.jpg)
अल्मोड़ा का एक दृश्य
अल्मोड़ा से जुड़ी एक लोककथा भी है जिसके अनुसार-
"छह सौ साल पुरानी बात है। उत्तराखण्ड में कुमाऊँ का एक राजा था। वह एक बार शिकार खेलने अल्मोडा की घाटी में गया। वहाँ घना जंगल था। शिकार की टोह लेने के दौरान वहीं झाडियों में से एक खरगोश निकला। राजा ने उसका पीछा किया। अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और फिर दृष्टि से ओझल हो गया। इस घटना से स्तब्ध हुये राजा ने पंडितों की एक सभा बुलाई और उनसे इसका अर्थ पूछा।
पंडितों ने कहा इसका अर्थ है कि जहाँ चीता दृष्टि से ओझल हो जाय, वहाँ एक नया नगर बसना चाहिऐ, क्योंकि चीते केवल उसी स्थान से भाग जाते हैं, जहाँ मनुष्यों को एक बडी संख्या में बसना हो।
नया शहर बसाने का काम शुरू हुआ और इस प्रकार छह सौ साल पहले अल्मोडा नगर की नींव पडी।
मुख्य लेख : लोककथा संग्रहालय, भारतकोश
इन्हें भी देखें: लोककथा संग्रहालय, मैसूर
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख