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+ | *वाष्पीकरण की दरें [[मौसम|मौसमों]] के बदलाव की दरों के बहुत निकट होती हैं और वे [[अप्रैल]] तथा [[मई]] में गर्मियों के महीनों में अपने शीर्षस्थ स्तर तक पहुंच जाती हैं। इस अवधि के दौरान देश के केन्द्रीय हिस्से वाष्पीकरण की उच्चतम दरों का परिचय देते हैं।<ref>{{cite web |url= http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3|title= वाष्पीकरण |accessmonthday= 28 दिसम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=इंडिया वाटर पोर्टल|language= हिन्दी}}</ref> | ||
+ | *[[मानसून]] के आगमन के साथ ही वाष्पीकरण की दर में भारी गिरावट आ जाती है। | ||
+ | *देश के अधिकांश भागों में वार्षिक संभावित वाष्पीकरण 150 से 250 सेंटीमीटर के भीतर रहता है। | ||
+ | *प्रायद्वीप में मासिक संभावित वाष्पीकरण, जो कि [[दिसम्बर]] में 15 सेंटीमीटर होता है, [[मई]] में बढ़कर 40 सेंटीमीटर तक पहुंच जाता है। पूर्वोत्तर में यह दर दिसम्बर में 6 सेंटीमीटर होती है जो कि मई में बढ़कर 20 सेंटीमीटर तक पहुंच जाती है। | ||
+ | *पश्चिमी [[राजस्थान]] में वाष्पीकरण [[जून]] में बढ़कर 40 सेंटीमीटर तक पहुंच जाता है। | ||
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12:12, 28 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
वाष्पीकरण (अंग्रेज़ी: Vaporization) अर्थात रसायन विज्ञान में द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। वाष्पीकरण की दर ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक तथा मानसून में आमतौर पर काफ़ी कम होती है।
- वाष्पीकरण की क्रिया दो प्रकार की होती है-
- वाष्पीकरण की दरें मौसमों के बदलाव की दरों के बहुत निकट होती हैं और वे अप्रैल तथा मई में गर्मियों के महीनों में अपने शीर्षस्थ स्तर तक पहुंच जाती हैं। इस अवधि के दौरान देश के केन्द्रीय हिस्से वाष्पीकरण की उच्चतम दरों का परिचय देते हैं।[1]
- मानसून के आगमन के साथ ही वाष्पीकरण की दर में भारी गिरावट आ जाती है।
- देश के अधिकांश भागों में वार्षिक संभावित वाष्पीकरण 150 से 250 सेंटीमीटर के भीतर रहता है।
- प्रायद्वीप में मासिक संभावित वाष्पीकरण, जो कि दिसम्बर में 15 सेंटीमीटर होता है, मई में बढ़कर 40 सेंटीमीटर तक पहुंच जाता है। पूर्वोत्तर में यह दर दिसम्बर में 6 सेंटीमीटर होती है जो कि मई में बढ़कर 20 सेंटीमीटर तक पहुंच जाती है।
- पश्चिमी राजस्थान में वाष्पीकरण जून में बढ़कर 40 सेंटीमीटर तक पहुंच जाता है।
- मानसून के आगमन के साथ संभावित वाष्पीकरण की दर आमतौर पर सारे देश में गिर जाती है।
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