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माधवी कुट्टी नाम से मशहूर कमला दास ने रचनाएँ की। उनकी सबसे चर्चित और विवादास्पद रचना उनकी आत्मकथा है जिसका नाम है माई स्टोरी। कमला दास का लेखन अंतरराष्ट्रीय साहित्य जगत में भी ध्यान खींचता रहा। नोबेल की दावेदारी के लिए भी [[1984]] में नामांकित किया गया था। उन्हें कुछ जानकार सिमोन द बोउवार जैसी लेखिका के समकक्ष मानते हैं।
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कमला दास [[अंग्रेज़ी]] और [[मलयालम भाषा|मलयालम]] की प्रसिद्ध लेखिका थी। कमला दास का जन्म [[31 मार्च]] 1934 को केरल के त्रिचूर ज़िले के एक उच्च [[ब्राह्मण]] नायर परिवार में हुआ था। ये  बचपन से ही कवितायें लिखती थीं। कमला दास की माँ बालमणि अम्मा एक बहुत अच्छी कवयित्री थीं और उनके लेखन का कमला दास पर खासा असर पड़ा। यही कारण है कि उन्होंने कविताएँ लिखना शुरू किया। माधव दास नालापत, चिन्नेन दास, जयसूर्या दास इनकी संतानें थी।
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== विवाह ==
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कमला दास का मात्र पन्द्रह वर्ष की आयु में ही उनका [[विवाह]] [[कलकत्ता]] के माधव दास से हो गया। वे बचपन से ही [[कविता|कवितायें]] लिखती थीं लेकिन शादी के बाद उन्हें लिखने के लिए तब तक जागना पड़ता था जब तक पूरा परिवार न सो जाए। कभी कभी वे रसोई में देर तक लिखती रहतीं थी। कमला दास के पिता कलकत्ता में ऊँचे ओहदे पर थे। वहॉ उनका बचपन उस वक्त के दूसरे संभ्रांत सम्पन्न परिवारों की बच्चियों की ही तरह लिखने-पढ़ने-खाने-पीने की सुविधाओं के बावजूद घर की चहारदीवारियों सिमटा रहा। उन्हें घर में ही पढ़ाया-लिखाया गया। 15 वर्ष की कोमल आयु में अपनी उम्र से 15 वर्ष बड़े [[भारतीय रिजर्व बैंक|रिजर्व बैंक]] के एक आला अफसर से ब्याह दिया गया।
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सोलह वर्ष की उम्र में मानसिक परिपक्वता पाने से पहले ही कमला [[मॉ]] बन चुकी थीं। बाद को उन्होंने बेबाकी से लिखा कि सचमुच में मॉ बनना क्या होता है, यह तो उन्होंने वर्षो बाद अपने तीसरे बेटे के जन्म के साथ ही समझ पाया। माधवी कुट्टी उनकी नानी का नाम था, जिससे वे [[मलयालम भाषा|मलयालम]] में लिखती थीं। अंग्रेज़ी में उन्होंने कमला दास के नाम से लिखा। [[लेखन]] और पेंटिंग से भी जीवन का सूनापन न भर पाईं।
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== राजनीतिक जीवन ==
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कमला दास ने [[1984]] में एक राजनैतिक पार्टी बना कर चुनाव भी लड़ा, पर जमानत जब्त हो गई। इसके बाद वे राजनीति से हट गईं, और क्रमश: सार्वजनिक जीवन से भी।
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==धर्म परिवर्तन ==
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कमला दास ने [[1999]] में अचानक धर्मातरण कर उन्होंने [[इस्लाम]] स्वीकार कर लिया तो सुरैया नाम भी उनसे जुड़ गया। बाद को पर्दाप्रथा के विरोध तथा अभिव्यक्त की आज़ादी की मॉग को लेकर कट्टर मुसल्मानों से भी ठनी। ऐसे तमाम लंबे और टकराव से भरे दौरों से गुजराती कमला ने लगातार तीन दशकों तक [[कविता]], [[कहानी]], [[उपन्यास]] और आत्मवृत्त लिखे।
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12:22, 18 जून 2017 का अवतरण

दीपिका4
कमला दास
पूरा नाम कमला दास
अन्य नाम कमला सुरय्या
जन्म 31 मार्च, 1934
जन्म भूमि केरल
मृत्यु 31 मई, 2009
मृत्यु स्थान पुणे, महाराष्ट्र
पति/पत्नी माधव दास
संतान माधव दास नालापत, चिन्नेन दास, जयसूर्या दास
मुख्य रचनाएँ दि साइरंस, समर इन कलकत्ता, दि डेस्केंडेंट्स, दि ओल्ड प्लेहाउस एंड अदर पोएम्स, कॉलेकटेड पोएम्स वाल्यूम एक।
भाषा अंग्रेज़ी, मलयालम
विशेष योगदान अवार्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलोजी, नोबेल पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, केन्ट पुरस्कार आदि।
नागरिकता भारतीय
अद्यतन‎ 05:18, 4 जून 2017 (IST)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

कमला दास (अंग्रेज़ी: Kamala Das; जन्म- 31 मार्च, 1934, केरल; मृत्यु- 31 मई, 2009, पुणे, महाराष्ट्र) अंग्रेज़ी और मलयालम की प्रसिद्ध लेखिका थी। इन्हें कमला साहित्य अकादमी, एशियन पोएट्री अवार्ड तथा कई अन्य पुरस्कारों से नवाज़ा गया है। कमला दास ने वर्ष 1984 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार के दावेदारों की सूची में भी जगह बनाई। ये कमला सुरय्या के नाम से भी जानी जाती हैं।

जीवन परिचय

कमला दास का जन्म 31 मार्च, 1934 को केरल के त्रिचूर ज़िले में हुआ था। यह उच्च ब्राह्मण नायर परिवार से थी। मात्र पन्द्रह वर्ष की आयु में ही इनका विवाह कलकत्ता के माधव दास से हो गया। वे बचपन से ही कवितायें लिखती थीं लेकिन शादी के बाद उन्हें तब तक जागना पड़ता था जब तक पूरा परिवार न सो जाए। उनकी विवादास्पद आत्मकथा ‘मेरी कहानी’ इतनी पढ़ी गई कि भारत की हर भाषा सहित इस पुस्तक का पंद्रह विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ था। इस्लाम धर्म क़बूल करने के बाद इन्हें कमला सुरैया के नाम से जाना गया।

साहित्यिक जीवन

माधवी कुट्टी नाम से मशहूर कमला दास ने रचनाएँ की। उनकी सबसे चर्चित और विवादास्पद रचना उनकी आत्मकथा है जिसका नाम है माई स्टोरी। कमला दास का लेखन अंतरराष्ट्रीय साहित्य जगत में भी ध्यान खींचता रहा। नोबेल की दावेदारी के लिए भी 1984 में नामांकित किया गया था। उन्हें कुछ जानकार सिमोन द बोउवार जैसी लेखिका के समकक्ष मानते हैं।

पुरस्कार

  • वर्ष 1984 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
  • अवार्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलोजी (1964)
  • केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार 1969 ('कोल्ड' के लिए)
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985)
  • एशियन पोएट्री पुरस्कार(1998)
  • केन्ट पुरस्कार (1999)
  • एशियन वर्ल्डस पुरस्कार (2000)
  • वयलॉर पुरस्कार (2001)
  • डी. लिट' की मानद उपाधि कालीकट विश्वविद्यालय द्वारा (2006)
  • मुट्टाथु वरक़े अवार्ड (2006)
  • एज्हुथाचन पुरस्कार (2009)

निधन

कमला दास का निधन 31 मई, 2009 को पुणे, महाराष्ट्र मे हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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दीपिका4
कमला दास
पूरा नाम कमला दास
अन्य नाम कमला सुरय्या
जन्म 31 मार्च, 1934
जन्म भूमि केरल
मृत्यु 31 मई, 2009
मृत्यु स्थान पुणे, महाराष्ट्र
पति/पत्नी माधव दास
संतान माधव दास नालापत, चिन्नेन दास, जयसूर्या दास
मुख्य रचनाएँ दि साइरंस, समर इन कलकत्ता, दि डेस्केंडेंट्स, दि ओल्ड प्लेहाउस एंड अदर पोएम्स, कॉलेकटेड पोएम्स वाल्यूम एक।
भाषा अँग्रेज़ी, मलयालम
विशेष योगदान अवार्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलोजी, नोबेल पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, केन्ट पुरस्कार आदि।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी कमला दास ने तमाम लंबे और टकराव से भरे दौरों से गुजराती कमला ने लगातार तीन दशकों तक कविता, कहानी, उपन्यास और आत्मवृत्त लिखे।
अद्यतन‎ 05:18, 4 जून 2017 (IST)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

कमला दास अंग्रेज़ी और मलयालम की प्रसिद्ध लेखिका थी। कमला दास का जन्म 31 मार्च 1934 को केरल के त्रिचूर ज़िले के एक उच्च ब्राह्मण नायर परिवार में हुआ था। ये बचपन से ही कवितायें लिखती थीं। कमला दास की माँ बालमणि अम्मा एक बहुत अच्छी कवयित्री थीं और उनके लेखन का कमला दास पर खासा असर पड़ा। यही कारण है कि उन्होंने कविताएँ लिखना शुरू किया। माधव दास नालापत, चिन्नेन दास, जयसूर्या दास इनकी संतानें थी।

विवाह

कमला दास का मात्र पन्द्रह वर्ष की आयु में ही उनका विवाह कलकत्ता के माधव दास से हो गया। वे बचपन से ही कवितायें लिखती थीं लेकिन शादी के बाद उन्हें लिखने के लिए तब तक जागना पड़ता था जब तक पूरा परिवार न सो जाए। कभी कभी वे रसोई में देर तक लिखती रहतीं थी। कमला दास के पिता कलकत्ता में ऊँचे ओहदे पर थे। वहॉ उनका बचपन उस वक्त के दूसरे संभ्रांत सम्पन्न परिवारों की बच्चियों की ही तरह लिखने-पढ़ने-खाने-पीने की सुविधाओं के बावजूद घर की चहारदीवारियों सिमटा रहा। उन्हें घर में ही पढ़ाया-लिखाया गया। 15 वर्ष की कोमल आयु में अपनी उम्र से 15 वर्ष बड़े रिजर्व बैंक के एक आला अफसर से ब्याह दिया गया। सोलह वर्ष की उम्र में मानसिक परिपक्वता पाने से पहले ही कमला मॉ बन चुकी थीं। बाद को उन्होंने बेबाकी से लिखा कि सचमुच में मॉ बनना क्या होता है, यह तो उन्होंने वर्षो बाद अपने तीसरे बेटे के जन्म के साथ ही समझ पाया। माधवी कुट्टी उनकी नानी का नाम था, जिससे वे मलयालम में लिखती थीं। अंग्रेज़ी में उन्होंने कमला दास के नाम से लिखा। लेखन और पेंटिंग से भी जीवन का सूनापन न भर पाईं।

राजनीतिक जीवन

कमला दास ने 1984 में एक राजनैतिक पार्टी बना कर चुनाव भी लड़ा, पर जमानत जब्त हो गई। इसके बाद वे राजनीति से हट गईं, और क्रमश: सार्वजनिक जीवन से भी।

धर्म परिवर्तन

कमला दास ने 1999 में अचानक धर्मातरण कर उन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया तो सुरैया नाम भी उनसे जुड़ गया। बाद को पर्दाप्रथा के विरोध तथा अभिव्यक्त की आज़ादी की मॉग को लेकर कट्टर मुसल्मानों से भी ठनी। ऐसे तमाम लंबे और टकराव से भरे दौरों से गुजराती कमला ने लगातार तीन दशकों तक कविता, कहानी, उपन्यास और आत्मवृत्त लिखे।


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प्रारम्भिक
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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