साहित्य अकादमी पुरस्कार

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साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार
विवरण साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त भारत की प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है।
स्थापना सन् 1954
प्रथम पुरस्कार सन् 1955
अंतिम पुरस्कार सन् 2013
पुरस्कार राशि 50,000/- रुपए[1]
संबंधित लेख साहित्य अकादमी, साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी
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साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है। सन् 1954 में अपनी स्थापना के समय से ही साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त भारत की प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में बढ़ाकर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में बढ़ाकर 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए।

चयन प्रक्रिया

पुरस्कार के लिए पुस्तक के चयन की प्रक्रिया इस प्रकार है-

पुरस्कार के लिए विचारणीयता के मानदंड
  • पुरस्कार के विचारार्थ होने के लिए पुस्तक का संबद्ध भाषा तथा साहित्य में विशिष्ट योगदान होना चाहिए। पुस्तक सर्जनात्मक या समालोचनात्मक हो, किन्तु निम्नलिखित में से किसी भी श्रेणी की नहीं होनी चाहिए:
    • अनूदित कृति, अथवा
    • संचयन, अथवा
    • संक्षिप्त या संकलन या टीका, अथवा
    • विश्वविद्यालय या परीक्षा की उपाधि के लिए तैयार किया गया प्रबंध या शोधाकार्य, अथवा
    • ऐसे लेखक की कृति, जिसे अकादेमी से (अनुवाद पुरस्कार के अतिरिक्त) पहले भी पुरस्कार मिल चुका है, अथवा
    • ऐसे लेखक की कृति जो अकादेमी के कार्यकारी मंडल का सदस्य है।
  • पूर्व प्रकाशित पुस्तकों की रचनाओं से तैयार नया संग्रह अथवा पूर्व प्रकाशित पुस्तकों के संशोधित संस्करण पुरस्कार हेतु विचारणीय नहीं होंगे। तथापि पुस्तक में शामिल रचनाओं का 75 प्रतिशत भाग यदि पहली बार प्रकाशित हुआ है तो उस स्थिति में वह पुस्तक पुरस्कार हेतु विचारणीय हो सकती है।
  • कोई अपूर्ण कृति पुरस्कार हेतु विचारणीय हो सकती है यदि पुस्तक में सम्मिलित भाग अपने आप में पूर्ण हो।
  • लेखक की मृत्यु के बाद प्रकाशित कृति केवल तभी पुरस्कार के लिए विचारणीय होगी, यदि लेखक की मृत्यु पुरस्कार के लिए निर्धारित तीन वर्ष के भीतर या उसके बाद हुई हो। उदाहरण के लिए यदि लेखक का मृत्यु वर्ष 2000 से पूर्व का हो, उस स्थिति में उसकी कृति वर्ष 2004 के पुरस्कार हेतु विचारणीय नहीं होगी।
  • ऐसी पुस्तक पुरस्कार के अयोग्य होगी, जिसके संबंध में कार्यकारी मंडल को विश्वास हो जाए कि उसे पुरस्कार दिलाने के लिए समर्थन जुटाया गया है।

पुरस्कार प्राप्त करने की प्रक्रिया

  • वर्ष का प्रारंभ होते ही प्रत्येक भाषा की सभी मान्यता प्राप्त साहित्यिक संस्थाओं से यह अनुरोध किया जाएगा कि वे उस वर्ष के पुरस्कार हेतु अपनी संस्तुतियाँ निर्धारित प्रपत्र में भेजें, जो तीन से अधिक न हों।
  • प्रत्येक भाषा परामर्श मंडल एक व्यक्ति को नियम 2(i) में विनिर्दिष्ट अवधि में प्रकाशित अनूदित कृतियों के शीर्षकों की आधार-सूची तैयार करने के लिए नामित करेगा। उसे मानदेय के रूप में उतनी राशि प्रदान की जाएगी, जो अकादेमी द्वारा समय-समय पर निधरारित की जाती है। यदि किसी कारण से नामांकन में विलम्ब होता है, तब उस स्थिति में अध्यक्ष दूसरे व्यक्ति को नियुक्त करेगा और यदि वह व्यक्ति उपयुक्त न हो, तो कोई अन्य व्यक्ति उसका स्थान ग्रहण कर आधार-सूची तैयार करेगा।
  • खंड 3(i) में संदर्भित पत्र समस्त भाषा परामर्श मंडल के सदस्यों को भेजा जाना चाहिए, जिसमें अनुरोध हो कि वे निर्धारित प्रपत्र के अनुसार अपनी संस्तुतियाँ भेजें। उनसे यह भी अनुरोध किया जाना चाहिए कि वे तीन से अधिक पुस्तकों की अनुशंसा न करें। क्षेत्रीय सचिव परामर्श मंडल के प्रत्येक सदस्य को धारा 3(ii) में संदर्भित आधार-सूची की प्रति पिछले वर्ष की आधार-सूची सहित उपलब्ध कराएगा।
  • धारा 3(i) एवं 3(iii) के तहत प्राप्त संस्तुतियाँ संकलित कर नियम 4(i) के अनुसार चयन समिति के समक्ष धारा 3(ii) के निष्पादन हेतु आधार-सूची के साथ प्रस्तुत की जाएँगी।

चयन समिति का गठन और उसके कार्य

  • प्रत्येक वर्ष तथा प्रत्येक भाषा के लिए एक त्रि-सदस्यीय चयन समिति होगी। सदस्यों का चयन भाषा परामर्श मंडल द्वारा संस्तुत सात नामों के पैनल में से अकादेमी के अध्यक्ष करेंगे।
  • भाषा परामर्श मंडल के सदस्यों एवं मान्यता प्राप्त साहित्यिक संस्थाओं द्वारा संस्तुत प्रत्येक पुस्तक की पाँच प्रतियाँ ख़रीदी जाएँगी।
  • ख़रीदी गई पुस्तकों की एक-एक प्रति चयन समिति के प्रत्येक सदस्य एवं संयोजक को भेजी जाएगी।
  • चयन समिति की बैठक का आयोजन या तो राज्य के मुख्यालय में या फिर क्षेत्रीय कार्यालय में होना चाहिए। भाषा परामर्श मंडल का संयोजक बैठक का भी संयोजक होगा। वह सुनिश्चित करेगा/करेगी कि भाषा परामर्श मंडल की बैठक में विचार-विमर्श इन नियमों के अनुरूप हो तथा वह मंडल की रिपोर्ट पर प्रतिहस्ताक्षर भी करेगा/करेगी।
  • चयन समिति के सदस्य विमर्श के अनुसार प्रस्तुत पुस्तकों के संदर्भ में अपनी वरीयता सूची उसके समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। वे यह भी अनुशंसा कर सकते हैं कि उनके विचार में, उस अवधि के दौरान कोई भी पुस्तक पुरस्कार की पात्रा नहीं है। कोई सदस्य यदि किसी कारणवश बैठक में उपस्थित नहीं हो पाता हो वह अपना विचार लिखित रूप में भेज सकता/सकती है, लेकिन चयन समिति की बैठक इसलिए अमान्य नहीं मानी जाएगी कि कोई सदस्य उपस्थित नहीं है या उसने अपनी अनुशंसा लिखित रूप में नहीं भेजी है।
  • तत्पश्चात् चयन समिति के सदस्यों से प्राप्त संस्तुतियाँ कार्यकारी मंडल के समक्ष निर्णय हेतु प्रस्तुत की जाएँगी।
  • चयन समिति के सदस्यों तथा संयोजक को वास्तविक यात्रा भत्ते के अतिरिक्त मानदेय भी प्रदान किया जाएगा, जिसके बारे में साहित्य अकादेमी निर्णय करेगी।

पुरस्कार की घोषणा और उसकी पुष्टि

  • कार्यकारी मंडल के अनुमोदन के बाद पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। पुरस्कार की घोषणा के साथ चयन समिति के सदस्यों के नाम भी घोषित कर दिए जाएँगे।
  • पुरस्कार प्रदान करने की तिथि और स्थान कार्यकारी मंडल निश्चित करेगा।
  • यदि पुरस्कार प्रदान किए जाने के पूर्व किसी पुरस्कार विजेता की मृत्यु हो जाती है तो उस स्थिति में वह पुरस्कार उसके/उसकी पति, पत्नी अथवा किसी क़ानूनी वारिस को दिया जाएगा।
  • यदि इन नियमों में से किसी भी उपबंध के लागू करने में कोई समस्या आती है तो उस स्थिति में अकादेमी का सचिव उस समस्या का निवारण नियमानुसार करेगा।

सामान्य नियम

  • नियम 1(2) के अंतर्गत पुरस्कार वर्ष के तत्काल पूर्ववर्ती वर्ष के पहले तीन वर्षों में साहित्य अकादेमी द्वारा मान्यता प्रदत्त भाषाओं में से किसी भी भाषा में भारतीय लेखक की प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति के लिए प्रत्येक वर्ष एक पुरस्कार होगा।
उदाहरण

2004 के पुरस्कार के लिए, 2000 से 2002 के मध्य प्रकाशित पुस्तकें ही विचारणीय होंगी।

  • नियम 5 (1) के अंतर्गत गठित जूरी की राय में यदि किसी भाषा में पुरस्कार वर्ष के पूर्ववर्ती तीन वर्ष में प्रकाशित कोई पुस्तक पुरस्कार के योग्य नहीं पाई जाती तो उस वर्ष उस भाषा के लिए पुरस्कार नहीं दिया जाएगा।
  • पुरस्कार के रूप में लेखक को उतनी राशि प्रदान की जाएगी, जितनी अकादेमी समय-समय पर निर्धारित करेगी। पुरस्कार राशि के अतिरिक्त एक प्रशस्ति-पत्र भी प्रकाशित किया जाएगा, जिसमें पुस्तक के वैशिष्टय तथा अपनी भाषा और साहित्य में लेखक के योगदान की संक्षेप में चर्चा होगी।
  • जहाँ दो या अधिक पुस्तकें समान योग्यता की पाई जाएँगी, वहाँ पुरस्कार-निर्धारण के समय उनके लेखकों के कुल साहित्यिक योगदान और संबद्ध भाषा में उनकी प्रतिष्ठा को भी धयान में रखा जाएगा।
आधार-सूची के निर्माण तथा भाषा परामर्श मंडल के सदस्यों की संस्तुतियाँ प्राप्त करना
  • अकादेमी हर वर्ष प्रत्येक मान्यता प्रदत्त भाषा की विचारणीय पुस्तकों की एक आधार सूची तैयार कराएगी जिसका निर्माण-कार्य एक विशेषज्ञ अथवा अकादेमी के अध्यक्ष के विवेक पर दो विशेषज्ञों को सौंपा जा सकता है। संस्कृत के संबंध में विशेषज्ञों की संख्या दो से कम या तीन से अधिक नहीं होगी। विशेषज्ञों के मानदेय की राशि समय-समय पर अकादेमी द्वारा निर्धारित की जाएगी।
  • भाषा परामर्श मंडल का प्रत्येक सदस्य अधिक-से-अधिक पाँच नामों का एक पैनल भेजेगा और अकादेमी के अध्यक्ष (जिन्हें इसके बाद अध्यक्ष कहा जाएगा) इस प्रकार प्राप्त पैनलों में से विशेषज्ञ या विशेषज्ञों का चुनाव करेंगे।
  • आधार-सूची तैयार करते समय विशेषज्ञ, नियमों में सुनिश्चित विचारणीयता के मानदंडों का कड़ाई से पालन करेंगे। इस प्रकार निर्मित आधार-सूची, जिसमें गत वर्ष संस्तुत कृतियाँ भी सम्मिलित होंगी, संबद्ध भाषा परामर्श मंडल के (संयोजक सहित) सभी सदस्यों को इस अनुरोध के साथ भेजी जाएगी कि वे अकादेमी द्वारा निर्धारित तिथि तक दो पुस्तकें अनुमोदित करें। प्रत्येक सदस्य
    • आधार-सूची से दोनों पुस्तकें, अथवा
    • एक पुस्तक आधार-सूची से और दूसरी अपनी रुचि की, अथवा
    • दोनों पुस्तकें अपनी रुचि की चुन सकता लें।

प्रारंभिक पैनल तथा उसके कार्य

  • प्रारंभिक पैनल में दस निर्णायक होंगे जिनका चयन अध्यक्ष द्वारा संबद्ध भाषा परामर्श मंडल के सदस्यों के सुझावों पर विचार करने के पश्चात् किया जाएगा।
  • भाषा परामर्श मंडल के सदस्यों से प्राप्त संस्तुतियों को संकलित करके प्रत्येक निर्णायक को भेजा जाएगा।
  • प्रत्येक निर्णायक दो पुस्तकें अनुमोदित करेगा। ये पुस्तकें पूर्ववर्ती नियम 4 (2) के अनुसार या तो सूची में से चुनी जा सकती हैं अथवा निर्णायक द्वारा स्वयं अपने विवेक से।
  • प्रत्येक निर्णायक को अकादेमी द्वारा निधर्रित मानदेय प्रदान किया जाएगा।

जूरी और उसके कार्य

  • प्रारंभिक पैनल के निर्णायकों की संस्तुतियों पर एक त्रि-सदस्यीय जूरी विचार करेगी। जूरी के सदस्यों का चयन अधयक्ष द्वारा इस संदर्भ में प्राप्त संबध्द परामर्श मंडल के सदस्यों की संस्तुतियों पर विचार करने के उपरांत किया जाएगा।
  • प्रारंभिक पैनल के निर्णायकों द्वारा अनुशंसित पुस्तकें ख़रीद कर अकादेमी जूरी के सदस्यों और संयोजक को भेजेगी।
  • संयोजक, जूरी और अकादेमी के बीच संपर्क सूत्रा का काम करेगा। वह यह सुनिश्चित करेगा/करेगी कि जूरी की बैठक उचित और संतोषजनक रूप से संपन्न हो। वह जूरी की रिपोर्ट पर प्रतिहस्ताक्षर भी करेगा/करेगी।
  • जूरी के सदस्य या तो सर्वसम्मति से अथवा बहुमत से पुरस्कार के लिए एक पुस्तक की अनुशंसा करेंगे। वे यह भी अनुशंसा कर सकते हैं कि उनके विचार में इस वर्ष कोई भी पुस्तक पुरस्कार के योग्य नहीं है। कोई सदस्य यदि किसी कारणवश बैठक में उपस्थित नहीं हो पाता तो वह अपना विचार लिखित रूप से भेज सकता/सकती है।
  • जूरी के सदस्यों और संयोजक को वास्तविक यात्रा भत्ते के अतिरिक्त दैनिक भत्ते और बैठक भत्ते का भुगतान उसी दर से किया जाएगा, जिस दर से कार्यकारी मंडल के सदस्यों को किया जाता है।

पुरस्कार की घोषणा

  • जूरी की संस्तुति को औपचारिक अनुमोदन और पुरस्कार की घोषणा के लिए कार्यकारी मंडल के समक्ष रखा जाएगा। पुरस्कार की घोषणा के साथ ही जूरी के सदस्यों के नाम और अन्तिम चरण में चुनी गई पुस्तकों की सूची भी घोषित कर दी जाएगी।
  • यदि भाषा परामर्श मंडल के किसी सदस्य या निर्णायक द्वारा संस्तुति भेजने की समय-सीमा की अनदेखी की जाती है, तो अकादेमी यह मानकर चलेगी कि उसका/उसकी कोई संस्तुति नहीं है और तदनुसार अपनी पुरस्कार-प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी सिवाय उस विशेष परिस्थिति के जिसमें अकादेमी समय-सीमा को बढ़ा पाने की स्थिति में हो तथा वास्तव में उसे ब़ढाती हो।
  • कार्यकारी मंडल के निर्णयानुसार पुरस्कार समारोह की तिथि और स्थान निर्धारित किया जाएगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में बढ़ाकर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में बढ़ाकर 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है।

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