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'''जुलाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''July'')  [[ग्रेगोरी कैलंडर]] के अनुसार [[वर्ष]] का सातवाँ [[माह|महीना]] है। यह वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके [[दिन|दिनों]] की संख्या 31 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह [[जूलियन कलॅण्डर|जूलियन कालदर्शक]] का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई [[दिन]] होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे [[अधिवर्ष]] (लीप का साल) कहते हैं। [[सूर्य]] पर आधारित [[पंचांग]] हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 [[सप्ताह]] (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।[[चित्र:Jagannath-Rathyatra-4.jpg|thumb|left|[[जगन्नाथ रथयात्रा]], [[पुरी]] ([[ओडिशा]])]]
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जुलाई के महीने में उड़ीसा के पुरी नामक नगर में [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ जी के प्रसिद्ध मंदिर]] में नयनाभिराम रथ-उत्सव मनाया जाता है। जगत के स्वामी जगन्नाथ जी, उनकी बहन [[सुभद्रा]] और भाई बलभद्र की मूर्तियाँ तीन अलग-अलग रथों में सजा कर नगर में जलूस निकाला जाता है। प्रमुख रथ 14 मीटर ऊँचा, 10 वर्गफुट की चौड़ा है तथा 16 पहियों पर चलता है। हजारों भक्त इनको खींच कर 1.5  किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर पहुँचाते हैं।
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जुलाई के महीने में उड़ीसा के पुरी नामक नगर में [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ जी के प्रसिद्ध मंदिर]] में नयनाभिराम रथ-उत्सव मनाया जाता है। जगत् के स्वामी जगन्नाथ जी, उनकी बहन [[सुभद्रा]] और भाई बलभद्र की मूर्तियाँ तीन अलग-अलग रथों में सजा कर नगर में जलूस निकाला जाता है। प्रमुख रथ 14 मीटर ऊँचा, 10 वर्गफुट की चौड़ा है तथा 16 पहियों पर चलता है। हजारों भक्त इनको खींच कर 1.5  किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर पहुँचाते हैं।
 
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[[दिल्ली]] में जुलाई के महीने में आम उत्सव का आयोजन किया जाता है। [[1987]] से प्रारंभ यह उत्सव दो दिन तक चलता है। इसमें आम की असंख्य किस्मों को प्रदर्शित किया जाता है। मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।  
 
[[दिल्ली]] में जुलाई के महीने में आम उत्सव का आयोजन किया जाता है। [[1987]] से प्रारंभ यह उत्सव दो दिन तक चलता है। इसमें आम की असंख्य किस्मों को प्रदर्शित किया जाता है। मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।  
 
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जून के अंतिम [[सप्ताह]] या जुलाई के प्रथम सप्ताह में [[केरल]] की चंपाकुलम झील में इस नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है। यह प्रतियोगिता राज्य में मौसम की सबसे पहली नौका दौड़ है। मलयालम महीने मिधुनम के मूलम दिवस पर आयोजित इस प्रतियोगिता को केरल की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित सर्प नाव दौड़ के रूप में माना जाता है। मल्लाहों का गीत वंछिपट्टू और रोमांचक चुंदनवैलम रेस इस आयोजन के प्रमुख आकर्षणों में से हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.abhivyakti-hindi.org/parva/parvaparichay/july.htm |title=जुलाई माह के पर्व |accessmonthday=2 जून |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अभिव्यक्ति |language=हिंदी  }}</ref>
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[[भारत]] में प्रतिवर्ष [[जुलाई|जुलाई माह]] के प्रथम [[सप्ताह]] में आयोजित किया जाने वाला महोत्सव है। यह महोत्सव [[भारत सरकार]] द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित किया जाता है। सन [[1960]] के दशक में यह पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन था। तत्कालीन कृषिमंत्री [[कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी]] ने इसका सूत्रपात किया था। सन [[1947]] में [[जवाहरलाल नेहरू|स्व. जवाहरलाल नेहरू]], [[राजेंद्र प्रसाद|स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] एवं [[अबुल क़लाम आज़ाद|मौलाना अब्दुल क़लाम आज़ाद]] के संयुक्त प्रयासों से देश की राजधानी [[दिल्ली]] में [[जुलाई]] के प्रथम [[सप्ताह]] को वन महोत्सव के रूप में मनाया गया, किंतु यह कार्य में विधिवत्ता नहीं रख सके। यह पुनीत कार्य सन [[1950]] में [[कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी]] द्वारा संपन्न हुआ, जो आज भी प्रतिवर्ष हम वन महोत्सव के रूप में मनाते आ रहे हैं।
  
  
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जुलाई
जुलाई
विवरण ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का सातवाँ महीना है।
हिंदी माह आषाढ़ - श्रावण
हिजरी माह रमज़ान - शव्वाल
कुल दिन 31
व्रत एवं त्योहार देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल एकादशी), गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा)
जयंती एवं मेले जगन्नाथ रथयात्रा पुरी
महत्त्वपूर्ण दिवस भारतीय स्टेट बैंक स्थापना दिवस (1), राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस (22), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल स्थापना दिवस (27), विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस (28)
पिछला जून
अगला अगस्त
अन्य जानकारी जुलाई वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है।

जुलाई (अंग्रेज़ी: July) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का सातवाँ महीना है। यह वर्ष के उन सात महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 31 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।

जुलाई के पर्व एवं त्योहार

रथयात्रा

जुलाई के महीने में उड़ीसा के पुरी नामक नगर में जगन्नाथ जी के प्रसिद्ध मंदिर में नयनाभिराम रथ-उत्सव मनाया जाता है। जगत् के स्वामी जगन्नाथ जी, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की मूर्तियाँ तीन अलग-अलग रथों में सजा कर नगर में जलूस निकाला जाता है। प्रमुख रथ 14 मीटर ऊँचा, 10 वर्गफुट की चौड़ा है तथा 16 पहियों पर चलता है। हजारों भक्त इनको खींच कर 1.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर पहुँचाते हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय आम उत्सव

दिल्ली में जुलाई के महीने में आम उत्सव का आयोजन किया जाता है। 1987 से प्रारंभ यह उत्सव दो दिन तक चलता है। इसमें आम की असंख्य किस्मों को प्रदर्शित किया जाता है। मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।

चंपाकुलम नौका दौड़

जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के प्रथम सप्ताह में केरल की चंपाकुलम झील में इस नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है। यह प्रतियोगिता राज्य में मौसम की सबसे पहली नौका दौड़ है। मलयालम महीने मिधुनम के मूलम दिवस पर आयोजित इस प्रतियोगिता को केरल की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित सर्प नाव दौड़ के रूप में माना जाता है। मल्लाहों का गीत वंछिपट्टू और रोमांचक चुंदनवैलम रेस इस आयोजन के प्रमुख आकर्षणों में से हैं।[1]

वन महोत्सव

भारत में प्रतिवर्ष जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाने वाला महोत्सव है। यह महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित किया जाता है। सन 1960 के दशक में यह पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन था। तत्कालीन कृषिमंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने इसका सूत्रपात किया था। सन 1947 में स्व. जवाहरलाल नेहरू, स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद एवं मौलाना अब्दुल क़लाम आज़ाद के संयुक्त प्रयासों से देश की राजधानी दिल्ली में जुलाई के प्रथम सप्ताह को वन महोत्सव के रूप में मनाया गया, किंतु यह कार्य में विधिवत्ता नहीं रख सके। यह पुनीत कार्य सन 1950 में कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा संपन्न हुआ, जो आज भी प्रतिवर्ष हम वन महोत्सव के रूप में मनाते आ रहे हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जुलाई माह के पर्व (हिंदी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 2 जून, 2013।

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