पुरी

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जगन्नाथ मंदिर पुरी
जगन्नाथ मंदिर पुरी
विवरण पुरी, पूर्वी उड़ीसा राज्य, पूर्वी भारत में पुरी ज़िले के प्रशासनिक मुख्यालय, बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। यह समुद्रतटीय शहर एक व्यापारिक केंद्र के साथ रेल टर्मिनल और पर्यटन स्थल भी है।
राज्य उड़ीसा
ज़िला पुरी ज़िला
मार्ग स्थिति पुरी, उड़ीसा के सभी प्रमुख शहरों और पड़ोसी राज्यों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की बसें पुरी के लिए नियमित चलती रहती हैं।
कब जाएँ अक्टूबर से मार्च, रथयात्रा देखने के लिए जून और जुलाई
कैसे पहुँचें हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी
हवाई अड्डा नज़दीकी भुवनेश्वर हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन पुरी रेलवे स्टेशन
बस अड्डा पुरी बस अड्डा
क्या देखें पुरी पर्यटन
कहाँ ठहरें होटल, अतिथि-ग्रह, धर्मशाला
क्या ख़रीदें हस्तशिल्प वस्तुएँ
एस.टी.डी. कोड 06752
गूगल मानचित्र, नज़दीकी भुवनेश्वर हवाई अड्डा
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पुरी, पूर्वी उड़ीसा राज्य, पूर्वी भारत में पुरी ज़िले के प्रशासनिक मुख्यालय, बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। यह समुद्रतटीय शहर एक व्यापारिक केंद्र के साथ रेल टर्मिनल और पर्यटन स्थल भी है। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर पुरी ज़िले में स्थित है। इसके पूर्व में चावल की खेती वाले जलोढ़ मैदान तथा पश्चिम में पूर्वी घाट से आच्छन्न वनाच्छादित पर्वतीय क्षेत्र हैं। इन जंगलों में बांस और साल के वृक्ष हैं।

इतिहास

1803 में पुरी पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। 1804 में खुरदा के राजा ने विद्रोह किया और 1817-1818 में यहाँ किसान-विद्रोह हुआ। 1866 में उड़ीसा के अकाल में इस ज़िले के कई लोग मारे गए। पुरी हिन्दू तीर्थस्थल के रूप में भी विख्यात है और यहाँ 12 वीं शताब्दी का जगन्नाथ वाटिका है, जहाँ हर साल गर्मी के मौसम में श्रद्धालु उनकी प्रतिमा को रथ पर खींचकर ले जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पुरी में पहले एक प्राचीन बौद्ध मंदिर था। हिंदू धर्म के पुनरुत्कर्षकाल में इस मंदिर को श्री कृष्ण के मंदिर के रूप में बनाया गया। मंदिर की मुख्य मूर्तियाँ शायद तीसरी शताब्दी की हैं। ययातिकेसरी ने नवीं सदी ई. में पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। और तत्पश्चात् चौड़ गंगदेव ने 12 वीं सदी में इसका पुनः नवीनीकरण करवाया। इस मंदिर का आदि निर्माता कौन था। यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। 12 वीं सदी में मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार गंगवंशीय राजा अनंग भीमदेव ने करवाया था। अंग्रेज़ी शब्द जगरनॉट की उत्पत्ति जगन्नाथ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है विश्व के स्वामी।

इस मन्दिर पर मध्य काल में मुसलमानों ने कई बार आक्रमण किए। 15 वीं सदी में चैतन्य महाप्रभु ने इस मंदिर की यात्रा की थी। चीनी यात्री युवानच्वांग ने पुरी को 'चारित्रवन' नाम से अभिहित किया है। शास्त्रों में जगन्नाथपुरी का वर्णन उडिड्यानपीठ नाम से मिलता है। इसे शंखक्षेत्र भी कहा जाता था। दक्षिण के प्रसिद्ध वैष्णव आचार्य रामानुज ने पुरी की यात्रा 1122 ई. और 1137ई. में की थी। 14 वीं सदी से लेकर 1592 ई. तक पुरी पर मुस्लिम शासकों का शासन रहा। 1592 ई. में इस नगर पर अकबर का आधिपत्य हो गया। मुग़लों के पतन के पश्चात् इस पर मराठों ने क़ब्ज़ा कर लिया। इस पर मराठों का शासन 1803 ई. तक रहा। इसके उपरांत पुरी पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का क़ब्ज़ा हो गया।


उद्योग और व्यापार

यहाँ के उद्योगों में चावल मिल, मछली प्रसंस्करण शामिल हैं। और हस्तशिल्प में धातुकर्म पत्थर तराशने का काम और बुनाई का काम होता है।

शिक्षण संस्थान

राज्यपाल के ग्रीष्मकालीन आवास वाले इस शहर में महाविद्यालय, एक वेधशाला और एक महल है। यहाँ श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय भी है। खुरदा नगर जो पूर्वी रेलवे का प्रभागीय मुख्यालय है, में एक कला महाविद्यालय है।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार इस नगर की जनसंख्या 1,57,610 है, और ज़िले की कुल जनसंख्या 14,98,604 है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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