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[[गढ़वाल]] की हिमालय पर्वतमाला में स्थित इस जगह से पास की [[झील|झीलों]] के अद्भुत दृश्य, घास के मैदान, [[नंदा देवी पर्वत|नंदा देवी]], त्रिशूल, केदार, बंदरपूंछ और चौखम्बा की चोटियों के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं। किंवदंतियों के अनुसार यह वही जगह है, जहाँ भगवान [[राम]] ने [[राक्षस|राक्षसों]] के राजा [[रावण]] को जीतने के बाद तप किया था। यह भी माना जाता है कि चाँद के देवता [[चन्द्रमा देवता|चन्द्रमा]] ने यहाँ अपना प्रायश्चित संपादित किया था। चन्द्रशिला आने वाले पर्यटक यहाँ स्केलिंग, स्कीइंग और पर्वता रोहण जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। चन्द्रशिला ट्रैक दर्शकों के बीच सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्गों में से एक है। यह मार्ग [[चोपता]] से शुरू होकर [[तुंगनाथ मन्दिर|तुंगनाथ]] तक पाँच किलोमीटर की दूरी तय करता है।
 
[[गढ़वाल]] की हिमालय पर्वतमाला में स्थित इस जगह से पास की [[झील|झीलों]] के अद्भुत दृश्य, घास के मैदान, [[नंदा देवी पर्वत|नंदा देवी]], त्रिशूल, केदार, बंदरपूंछ और चौखम्बा की चोटियों के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं। किंवदंतियों के अनुसार यह वही जगह है, जहाँ भगवान [[राम]] ने [[राक्षस|राक्षसों]] के राजा [[रावण]] को जीतने के बाद तप किया था। यह भी माना जाता है कि चाँद के देवता [[चन्द्रमा देवता|चन्द्रमा]] ने यहाँ अपना प्रायश्चित संपादित किया था। चन्द्रशिला आने वाले पर्यटक यहाँ स्केलिंग, स्कीइंग और पर्वता रोहण जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। चन्द्रशिला ट्रैक दर्शकों के बीच सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्गों में से एक है। यह मार्ग [[चोपता]] से शुरू होकर [[तुंगनाथ मन्दिर|तुंगनाथ]] तक पाँच किलोमीटर की दूरी तय करता है।
 
====कठिन चढ़ाई====
 
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निरंतर खड़ी चढ़ाई ट्रैकिंग को कठोर और मुश्किल बनाती है। चन्द्रशिला तक पहुँचना इतना आसान नहीं है। यहाँ तक पहुँचने से पहले [[चोपता]] जाना पड़ता है। वहाँ से चन्द्रशिला की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। चोपता के आस-पास का क्षेत्र 'गढ़वाल का चेरापूंजी' कहलाता है। रह-रह कर यहाँ बादल उमड़ पड़ते हैं और पल भर बाद ही [[वर्षा]] में सारा इलाका उसमें नहा उठता है। यह भी एक वजह है कि चोपता से चन्द्रशिला जाने वाले का जीवट होना जरूरी है। ऊपर से बारिश, नीचे से फिसलन और उस पर तेज सर्द हवाओं के झोंके अपने आप में एक रोमांच पैदा करते है। यहाँ जाने के लिए साथ में विंटर किट का होना जरूरी है। ऐसे में रास्ते में पड़ने वाले ढाबे जरूर राहत दिलाते हैं। सैलानी वहाँ खाने के लिए कम, हाथ सेंकने के लिए ज्यादा रुकते हैं।
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निरंतर खड़ी चढ़ाई ट्रैकिंग को कठोर और मुश्किल बनाती है। चन्द्रशिला तक पहुँचना इतना आसान नहीं है। यहाँ तक पहुँचने से पहले [[चोपता]] जाना पड़ता है। वहाँ से चन्द्रशिला की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। चोपता के आस-पास का क्षेत्र 'गढ़वाल का चेरापूंजी' कहलाता है। रह-रह कर यहाँ बादल उमड़ पड़ते हैं और पल भर बाद ही [[वर्षा]] में सारा इलाका उसमें नहा उठता है। यह भी एक वजह है कि चोपता से चन्द्रशिला जाने वाले का जीवट होना ज़रूरी है। ऊपर से बारिश, नीचे से फिसलन और उस पर तेज सर्द हवाओं के झोंके अपने आप में एक रोमांच पैदा करते है। यहाँ जाने के लिए साथ में विंटर किट का होना ज़रूरी है। ऐसे में रास्ते में पड़ने वाले ढाबे ज़रूर राहत दिलाते हैं। सैलानी वहाँ खाने के लिए कम, हाथ सेंकने के लिए ज्यादा रुकते हैं।
 
==दर्शनीय स्थल==
 
==दर्शनीय स्थल==
 
चोपता अपने आप में एक दर्शनीय स्थल है। ऊँचाई पर बसा चोपता हरियाली चरागाहों की जमीं है। किसी भी जगह की ट्रैकिंग के लिए इससे अच्छा बेस कैंप नहीं हो सकता। कुछ देर चलने के बाद अचानक गंगोत्री श्रंखला सामने आ खड़ी होती है। बाईं तरफ [[केदारनाथ]] की चोटी और माउंट सुमेरु चमकता नजर आता है। ऐसा लगता है मानो किसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म के साथ-साथ चले जा रहे हों। ऊपर चोटी तक का रास्ता क़रीब छ: किलोमीटर लंबा है, पर ये शहरी रास्तों के छ: किलोमीटर नहीं, बल्कि पहाड़ी रास्तों की दूरी है, जहाँ एक किलोमीटर भी छ: किलोमीटर के बराबर महसूस होता है। अंत में हौसला गिरा देने वाला मंजर आता है, जब डेढ़ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई नजर आती है। लेकिन ये [[पर्वत]] की ताजी, स्वच्छ, निर्मल हवा का जादू है, जो यात्रियों को फिर से जल्द ही खड़ा कर ट्रैकिंग के रास्ते पर दोबारा ले आता है।
 
चोपता अपने आप में एक दर्शनीय स्थल है। ऊँचाई पर बसा चोपता हरियाली चरागाहों की जमीं है। किसी भी जगह की ट्रैकिंग के लिए इससे अच्छा बेस कैंप नहीं हो सकता। कुछ देर चलने के बाद अचानक गंगोत्री श्रंखला सामने आ खड़ी होती है। बाईं तरफ [[केदारनाथ]] की चोटी और माउंट सुमेरु चमकता नजर आता है। ऐसा लगता है मानो किसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म के साथ-साथ चले जा रहे हों। ऊपर चोटी तक का रास्ता क़रीब छ: किलोमीटर लंबा है, पर ये शहरी रास्तों के छ: किलोमीटर नहीं, बल्कि पहाड़ी रास्तों की दूरी है, जहाँ एक किलोमीटर भी छ: किलोमीटर के बराबर महसूस होता है। अंत में हौसला गिरा देने वाला मंजर आता है, जब डेढ़ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई नजर आती है। लेकिन ये [[पर्वत]] की ताजी, स्वच्छ, निर्मल हवा का जादू है, जो यात्रियों को फिर से जल्द ही खड़ा कर ट्रैकिंग के रास्ते पर दोबारा ले आता है।

10:53, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

चन्द्रशिला उत्तराखंड में बद्रीनाथ और केदारनाथ के बीच बसी एक छोटी-सी चोटी है, जहाँ से हिमालय के अद्भुत दर्शन होते हैं। तुंगनाथ से तकरीबन दो किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद चौदह हज़ार फीट की ऊँचाई पर चंद्रशिला चोटी है। यहाँ केवल पैदल ही जाया जा सकता है। चन्द्रशिला से हिमालय इतना नजदीक है कि ऐसा लगता है मानो उसे छू ही लेंगे। यह जगह काफ़ी ऊँचाई पर स्थित है, जिस कारण यहाँ यात्रियों को ऑक्सीजन की कमी भी महसूस हो सकती है।

सुन्दर दृश्य

गढ़वाल की हिमालय पर्वतमाला में स्थित इस जगह से पास की झीलों के अद्भुत दृश्य, घास के मैदान, नंदा देवी, त्रिशूल, केदार, बंदरपूंछ और चौखम्बा की चोटियों के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं। किंवदंतियों के अनुसार यह वही जगह है, जहाँ भगवान राम ने राक्षसों के राजा रावण को जीतने के बाद तप किया था। यह भी माना जाता है कि चाँद के देवता चन्द्रमा ने यहाँ अपना प्रायश्चित संपादित किया था। चन्द्रशिला आने वाले पर्यटक यहाँ स्केलिंग, स्कीइंग और पर्वता रोहण जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। चन्द्रशिला ट्रैक दर्शकों के बीच सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्गों में से एक है। यह मार्ग चोपता से शुरू होकर तुंगनाथ तक पाँच किलोमीटर की दूरी तय करता है।

कठिन चढ़ाई

निरंतर खड़ी चढ़ाई ट्रैकिंग को कठोर और मुश्किल बनाती है। चन्द्रशिला तक पहुँचना इतना आसान नहीं है। यहाँ तक पहुँचने से पहले चोपता जाना पड़ता है। वहाँ से चन्द्रशिला की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। चोपता के आस-पास का क्षेत्र 'गढ़वाल का चेरापूंजी' कहलाता है। रह-रह कर यहाँ बादल उमड़ पड़ते हैं और पल भर बाद ही वर्षा में सारा इलाका उसमें नहा उठता है। यह भी एक वजह है कि चोपता से चन्द्रशिला जाने वाले का जीवट होना ज़रूरी है। ऊपर से बारिश, नीचे से फिसलन और उस पर तेज सर्द हवाओं के झोंके अपने आप में एक रोमांच पैदा करते है। यहाँ जाने के लिए साथ में विंटर किट का होना ज़रूरी है। ऐसे में रास्ते में पड़ने वाले ढाबे ज़रूर राहत दिलाते हैं। सैलानी वहाँ खाने के लिए कम, हाथ सेंकने के लिए ज्यादा रुकते हैं।

दर्शनीय स्थल

चोपता अपने आप में एक दर्शनीय स्थल है। ऊँचाई पर बसा चोपता हरियाली चरागाहों की जमीं है। किसी भी जगह की ट्रैकिंग के लिए इससे अच्छा बेस कैंप नहीं हो सकता। कुछ देर चलने के बाद अचानक गंगोत्री श्रंखला सामने आ खड़ी होती है। बाईं तरफ केदारनाथ की चोटी और माउंट सुमेरु चमकता नजर आता है। ऐसा लगता है मानो किसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म के साथ-साथ चले जा रहे हों। ऊपर चोटी तक का रास्ता क़रीब छ: किलोमीटर लंबा है, पर ये शहरी रास्तों के छ: किलोमीटर नहीं, बल्कि पहाड़ी रास्तों की दूरी है, जहाँ एक किलोमीटर भी छ: किलोमीटर के बराबर महसूस होता है। अंत में हौसला गिरा देने वाला मंजर आता है, जब डेढ़ किलोमीटर की सीधी चढ़ाई नजर आती है। लेकिन ये पर्वत की ताजी, स्वच्छ, निर्मल हवा का जादू है, जो यात्रियों को फिर से जल्द ही खड़ा कर ट्रैकिंग के रास्ते पर दोबारा ले आता है।

कैसे जाएँ

दिल्ली से चन्द्रशिला की दूरी 417 किलोमीटर है। दिल्ली से ऋषिकेश (230 किलोमीटर) होते हुए चोपता (180 किलोमीटर) पहुँचा जा सकता है। उसके बाद तुंगनाथ (7 किलोमीटर) ट्रैक का बैस कैंप है, जहाँ से चन्द्रशिला तक पहुँचने में आधे घंटे का समय लगता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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