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=====[[मोहन जोदड़ो]] स्नानागार के पूर्व में स्थित स्तूप का निर्माण किस काल में किया गया?=====
+
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{Opt|विकल्प 1=मौर्य काल |विकल्प 2=कुषाण काल|विकल्प 3=शुंग काल|विकल्प 4=सातवाहन काल}}{{Ans|विकल्प 1=[[मौर्य काल]]|विकल्प 2='''[[कुषाण काल]]'''{{Check}} |विकल्प 3=शुंग काल |विकल्प 4=[[सातवाहन काल]]|विवरण=}}
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान नोट}}
====='सिंध का बाग' या 'मृतकों का टीला' हड़प्पा सभ्यता के किस काल में किया गया?=====
+
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
{{Opt|विकल्प 1=हड़प्पा |विकल्प 2=मोहन जोदड़ो|विकल्प 3=कालीबंगा|विकल्प 4=लोथल}}{{Ans|विकल्प 1=[[हड़प्पा]]|विकल्प 2='''[[मोहन जोदड़ो]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[कालीबंगा]] |विकल्प 4=[[लोथल]]|विवरण=}}
+
{| class="bharattable-green" width="100%"
=====[[भारत]] में कृषि का प्राचीनतम साक्ष्य कहाँ से मिलता है?=====
+
|-
{{Opt|विकल्प 1=हड़प्पा |विकल्प 2=मेहरगढ़|विकल्प 3=सराय नहर|विकल्प 4=बुर्जहोम}}{{Ans|विकल्प 1=[[हड़प्पा]]|विकल्प 2='''मेहरगढ़'''{{Check}} |विकल्प 3=सराय नहर |विकल्प 4=बुर्जहोम|विवरण=}}
+
| valign="top"|
=====अब तक [[सिंधु सभ्यता]] में कुल कितनी फसलों के उगाये जाने का संकेत मिल चुका है?=====
+
{| width="100%"
{{Opt|विकल्प 1=तीन |विकल्प 2=पाँच |विकल्प 3=नौ |विकल्प 4=ग्यारह}}{{Ans|विकल्प 1=तीन |विकल्प 2=पाँच |विकल्प 3='''नौ'''{{Check}} |विकल्प 4=ग्यारह|विवरण=}}
+
|
=====उत्तरोत्तर हड़प्पा संस्कृति के अवशेष कहाँ से मिलते हैं?=====
+
<quiz display=simple>
{{Opt|विकल्प 1=रंगपुर |विकल्प 2=कालीबंगा |विकल्प 3=लोथल |विकल्प 4=रोपड़}}{{Ans|विकल्प 1='''रंगपुर'''{{Check}} |विकल्प 2=[[कालीबंगा]] |विकल्प 3=[[लोथल]] |विकल्प 4=[[रोपड़]]|विवरण=}}
+
{[[टीपू सुल्तान]] ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के साथ युद्ध करते हुए कब वीरगति प्राप्त की?
=====सुरकोटदा किस लिए प्रसिद्ध है?=====
+
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=परिपक्व हड़प्पा संस्कृति के लिए |विकल्प 2=घोड़े की हड्डियों के अवशेष के लिए |विकल्प 3=युगल शवाधान के लिए |विकल्प 4=उपर्युक्त सभी के लिए}}{{Ans|विकल्प 1=परिपक्व हड़प्पा संस्कृति के लिए |विकल्प 2='''घोड़े की हड्डियों के अवशेष के लिए'''{{Check}} |विकल्प 3=युगल शवाधान के लिए |विकल्प 4=उपर्युक्त सभी के लिए|विवरण=}}
+
-1857 ई.
=====[[मोहन जोदड़ो]] की सबसे बड़ी इमारत निम्न में से कौन सी है?=====
+
-1793 ई.
{{Opt|विकल्प 1=स्नानागार |विकल्प 2=अन्नागार |विकल्प 3=ईटों से बना सभा भवन |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=स्नानागार |विकल्प 2='''अन्नागार'''{{Check}} |विकल्प 3=ईटों से बना सभा भवन |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=}}
+
+1799 ई.
=====[[सिंधु सभ्यता]] में कुम्भकारों के भट्ठों के अवशेष कहाँ मिलते हैं?=====
+
-1769 ई.
{{Opt|विकल्प 1=हड़प्पा में |विकल्प 2=कालीबंगा में |विकल्प 3=मोहन जोदड़ो में |विकल्प 4=लोथल में}}{{Ans|विकल्प 1=[[हड़प्पा]] में |विकल्प 2=[[कालीबंगा]] में |विकल्प 3='''[[मोहन जोदड़ो]]'''{{Check}} में |विकल्प 4=[[लोथल]] में|विवरण=}}
+
||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|right|100px|टीपू सुल्तान]] '[[टीपू सुल्तान]]' [[भारतीय इतिहास]] में 'शेर-ए-मैसूर' के नाम से प्रसिद्ध है। वह प्रसिद्ध योद्धा [[हैदर अली]] का पुत्र था। हैदर अली की मृत्यु के बाद पुत्र टीपू सुल्तान ने [[मैसूर]] की सेना की कमान संभाली थी। टीपू अपने पिता की ही भांति योग्य एवं पराक्रमी था। '[[मैसूर युद्ध तृतीय|मैसूर की तीसरी लड़ाई]]' में भी जब [[अंग्रेज़]] [[टीपू सुल्तान]] को नहीं हरा पाए, तो उन्होंने [[मैसूर]] के इस शेर से 'मेंगलूर की संधि' नाम से एक समझौता किया। लेकिन 'फूट डालो और शासन करो' की नीति चलाने वाले अंग्रेज़ों ने संधि करने के कुछ समय बाद ही टीपू से गद्दारी कर डाली। [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने [[हैदराबाद]] के साथ मिलकर चौथी बार टीपू पर ज़बर्दस्त हमला किया और आख़िरकार '[[4 मई]], सन् 1799 ई.' को मैसूर का शेर [[श्रीरंगपट्टनम]] की रक्षा करते हुए शहीद हुआ। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुल्तान]]
=====सैन्धव निवासियों का प्रिय पशु निम्न में से कौन-सा था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=कुत्ता |विकल्प 2=साँड़|विकल्प 3=घोड़ा|विकल्प 4=ऊँट}}{{Ans|विकल्प 1=कुत्ता|विकल्प 2='''साँड़'''{{Check}} |विकल्प 3=घोड़ा |विकल्प 4=ऊँट|विवरण=}}
 
=====[[सिंधु घाटी सभ्यता|सैंधव सभ्यता]] के सम्बन्ध में निम्न में से कौन असत्य है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ये लकड़ी के हल का प्रयोग करते थे |विकल्प 2=सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय सिन्धु निवासियों को है|विकल्प 3=नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती थी|विकल्प 4=कोठार सिन्धु संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग थे}}{{Ans|विकल्प 1=ये लकड़ी के हल का प्रयोग करते थे|विकल्प 2=सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय सिन्धु निवासियों को है |विकल्प 3='''नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती थी'''{{Check}} |विकल्प 4=कोठार सिन्धु संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग थे|विवरण=}}
 
  
=====[[हड़प्पा]] सभ्यता की मुद्राएँ किससे निर्मित की जाती थीं?=====
+
{[[बुद्ध]] में वैराग्य भावना किन चार दृश्यों के कारण बलवती हुई?
{{Opt|विकल्प 1=तांबे से |विकल्प 2=सोने से|विकल्प 3=मिट्टी से|विकल्प 4=कांस्य से}}{{Ans|विकल्प 1=तांबे से|विकल्प 2=सोने से |विकल्प 3='''मिट्टी से'''{{Check}} |विकल्प 4=कांस्य से|विवरण=[[पाकिस्तान]] के [[पंजाब]] प्रान्त में स्थित 'माण्टगोमरी ज़िले' में [[रावी नदी]] के बायें तट पर यह पुरास्थल है। हड़प्पा में ध्वंशावशेषों के विषय में सबसे पहले जानकारी 1826 ई. में 'चार्ल्स मैन्सर्न' ने दी। 1856 ई. में 'ब्रण्टन बन्धुओं' ने हड़प्पा के पुरातात्विक महत्व को स्पष्ट किया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हड़प्पा]]}}
+
|type="()"}
=====[[हड़प्पा]] सभ्यता के अंतर्गत हल से जोते गये खेतों का साक्ष्य कहाँ से मिलता है?=====
+
+बूढ़ा, रोगी, मृतक, संन्यासी
{{Opt|विकल्प 1=रोपड़ |विकल्प 2=लोथल|विकल्प 3=कालीबंगा|विकल्प 4=वनमाली}}{{Ans|विकल्प 1=[[रोपड़]]|विकल्प 2=[[लोथल]] |विकल्प 3='''[[कालीबंगा]]'''{{Check}} |विकल्प 4=वनमाली|विवरण=यह स्थल [[राजस्थान]] के [[गंगानगर ज़िले]] में [[घग्घर नदी]] के बाएं तट पर स्थित है। खुदाई 1953 में 'बी.बी. लाल' एवं 'बी. के. थापड़' द्वारा करायी गयी। यहाँ पर प्राक हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। [[हड़प्पा]] एवं [[मोहनजोदाड़ो]] की भांति यहाँ पर सुरक्षा दीवार से घिरे दो टीले पाए गए हैं। कुछ विद्धानों का मानना है कि यह [[सिंधु घाटी सभ्यता|सैंधव सभ्यता]] की तीसरी राजधानी रही होगी। कालीबंगा के दुर्ग टीले के दक्षिण भाग में मिट्टी और कच्चे ईटों के बने हुए पांच चबूतरे मिले हैं, जिसके शिखर पर हवन कुण्डों के होने के साक्ष्य मिले हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कालीबंगा]]}}
+
-अन्धा, रोगी, लाश, संन्यासी
 +
-लंगड़ा, रोगी, लाश, संन्यासी
 +
-युवा, रोगी, लाश, संन्यासी
 +
||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|100px|अभिलिखित अभय मुद्रा में बुद्ध]] [[गौतम बुद्ध]] का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। वे [[शुद्धोदन|राजा शुद्धोदन]] और महामाया के पुत्र थे। शुद्धोदन ने सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनाना चाहा, उसमें क्षत्रियोचित गुण उत्पन्न करने के लिये समुचित शिक्षा आदि का प्रबंध भी किया, किंतु सिद्धार्थ सदा किसी चिंता में डूबे दिखाई देते थे। अंत में [[पिता]] ने उन्हें [[विवाह]] बंधन में बांध दिया। एक दिन जब सिद्धार्थ रथ पर भ्रमण के लिये निकले तो उन्होंने मार्ग में जो कुछ भी देखा, उसने उनके जीवन की दिशा ही बदल डाली। एक बार एक दुर्बल वृद्ध व्यक्ति को, एक बार एक रोगी को और एक बार एक शव को देख कर वे संसार से और भी अधिक विरक्त तथा उदासीन हो गये। एक अन्य अवसर पर उन्होंने प्रसन्नचित्त संन्यासी को देखा। उसके चेहरे पर शांति और तेज़ की अपूर्व चमक विराजमान थी। इस दृश्य को देखकर सिद्धार्थ अत्यधिक प्रभावित हुए और उनके मन में वैराग्य की भावना बलवती हो उठी। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बुद्ध]]
  
=====[[हड़प्पा]] सभ्यता की प्रमुख विशेषता निम्न में से कौन-सी है?=====
+
{[[सम्राट अशोक]] की वह कौन-सी पत्नी थी, जिसने उसे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था?
{{Opt|विकल्प 1=स्नानागार |विकल्प 2=धार्मिक स्थल|विकल्प 3=नगर नियोजन|विकल्प 4=अन्नागार}}{{Ans|विकल्प 1=स्नानागार|विकल्प 2=धार्मिक स्थल |विकल्प 3='''नगर नियोजन'''{{Check}} |विकल्प 4=अन्नागार|विवरण=}}
+
|type="()"}
=====वैदिक साहित्य के अंतर्गत आने वाले निम्नलिखित ग्रंथों में कौन बेमेल है?=====
+
-चंडालिका
{{Opt|विकल्प 1=स्मृतियाँ |विकल्प 2=वेद|विकल्प 3=उपनिषद|विकल्प 4=आरण्यक}}{{Ans|विकल्प 1='''[[स्मृतियाँ]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[वेद]] |विकल्प 3=[[उपनिषद]] |विकल्प 4=[[आरण्यक]]|विवरण='स्मृति' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक अर्थ में यह वेदवाङ्मय से इतर ग्रन्थों, यथा पाणिनि के व्याकरण, श्रौत, [[गृह्यसूत्र]] एवं [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]], [[महाभारत]], मनु, याज्ञवल्क्य एवं अन्य ग्रन्थों से सम्बन्धित है। किन्तु संकीर्ण अर्थ में स्मृति एवं धर्मशास्त्र का अर्थ एक ही है, जैसा कि मनु का कहना है। [[तैत्तिरीय आरण्यक]] में भी 'स्मृति' शब्द आया है। गौतम तथा वसिष्ठ ने स्मृति को धर्म का उपादान माना है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[स्मृतियाँ]]}}
+
-चारुलता
=====[[ऋग्वेद]] का वह कौन-सा प्रतापी देवता है, जिसका 250 सूक्तों में वर्णन मिलता है?=====
+
-गौतमी
{{Opt|विकल्प 1=अग्नि |विकल्प 2=इन्द्र|विकल्प 3=वरुण|विकल्प 4=द्यौ}}{{Ans|विकल्प 1=[[अग्नि]]|विकल्प 2='''[[इन्द्र]]'''{{Check}} |विकल्प 3=[[वरुण देवता|वरुण]] |विकल्प 4=द्यौ|विवरण=
+
+[[कारुवाकी]]
अधिकांश वैदिक विद्वानों का मत है कि वृत्र  सूखा (अनावृष्टि) का दानव है और उन बादलों का प्रतीक है जो आकाश में छाये रहने पर भी एक बूँद जल नहीं बरसाते। इन्द्र अपने वज्र प्रहार से वृत्ररूपी दानव का वध कर जल को मुक्त करता है और फिर [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर वर्षा होती है। ओल्डेनवर्ग एवं हिलब्रैण्ट ने वृत्र-वध का दूसरा अर्थ प्रस्तुत किया है। उनका मत है कि पार्थिव पर्वतों से जल की मुक्ति इन्द्र द्वारा हुई है। ऋग्वेद में इन्द्र को जहाँ अनावृष्टि के दानव वृत्र का वध करने वाला कहा गया है, वहीं उसे रात्रि के अन्धकार रूपी दानव का वध करने वाला एवं प्रकाश का जन्म देने वाला भी कहा गया है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[इन्द्र]]}}
+
||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|100px|भारतीय संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि ]]'सम्राट अशोक' को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार के लिए जाना जाता है। जीवन के उत्तरार्ध में [[अशोक]] [[गौतम बुद्ध]] का [[भक्त]] हो गया था। कतिपय लेखों में उसके नज़दीकी रिश्तेदारों के नाम भी दिये गये हैं। इनमें उसकी दूसरी रानी [[कारुवाकी]] और उसके पुत्र तीवर के उल्लेख हैं। एक बाद के लेख में अशोक के पोते [[दशरथ मौर्य|दशरथ]] का नाम आया है। [[अशोक के अभिलेख|अशोक के लेखों]] में और जनश्रुतियों में भी अशोक की कई पत्नियाँ होने का उल्लेख है। सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उसकी पहली पत्नी का नाम 'देवी' था, जो वेदिसगिरि के एक धनी श्रेष्ठी की पुत्री थी। अशोक ने उसके साथ तब [[विवाह]] किया, जब वह [[उज्जैन]] में वाइसराय था। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक का परिवार]], [[अशोक|सम्राट अशोक]]
=====ऋग्वैदिक काल में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=अनाज |विकल्प 2=मुद्रा|विकल्प 3=गाय|विकल्प 4=दास}}{{Ans|विकल्प 1=अनाज|विकल्प 2=मुद्रा |विकल्प 3='''गाय'''{{Check}} |विकल्प 4=दास|विवरण=}}
 
=====ऋग्वैदिक युगीन नदी 'परुष्णी' का महत्व क्यों है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=सर्वाधिक पवित्र नदी होने के कारण |विकल्प 2=ऋग्वेद में सबसे अधिक बार उल्लेख होने के कारण|विकल्प 3=दशराज्ञ युद्ध के कारण|विकल्प 4=उपर्युक्त सभी}}{{Ans|विकल्प 1=सर्वाधिक पवित्र नदी होने के कारण|विकल्प 2=ऋग्वेद में सबसे अधिक बार उल्लेख होने के कारण |विकल्प 3='''दशराज्ञ युद्ध के कारण'''{{Check}} |विकल्प 4=उपर्युक्त सभी|विवरण=}}
 
=====[[ऋग्वेद]] में निम्न में से किसका उल्लेख नहीं मिलता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=कृषि |विकल्प 2=यव|विकल्प 3=ब्रीहि|विकल्प 4=कपास}}{{Ans|विकल्प 1=[[कृषि]]|विकल्प 2=यव |विकल्प 3=ब्रीहि |विकल्प 4='''कपास'''{{Check}}|विवरण=}}
 
=====[[ऋग्वेद]] के दसवें मण्डल में किसका उल्लेख पहली बार मिलता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=योद्धा |विकल्प 2=पुरोहित|विकल्प 3=शूद्र|विकल्प 4=चाण्डाल}}{{Ans|विकल्प 1=योद्धा|विकल्प 2=पुरोहित |विकल्प 3='''शूद्र'''{{Check}} |विकल्प 4=चाण्डाल|विवरण=[[चित्र:Rigveda.jpg|thumb|150px|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ]]
 
*सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक।
 
*ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है।  
 
*ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं।
 
*ॠग्वेद के दस मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ मण्डल बड़े हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ऋग्वेद]]}}
 
=====[[ऋग्वेद]] में उल्लिखित कुल क़रीब 25 नदियों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी कौन-सी थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=गंगा नदी |विकल्प 2=यमुना नदी|विकल्प 3=सरस्वती नदी|विकल्प 4=सिन्धु नदी}}{{Ans|विकल्प 1=[[गंगा नदी]]|विकल्प 2=[[यमुना नदी]] |विकल्प 3='''[[सरस्वती नदी]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[सिन्धु नदी]]|विवरण=[[चित्र:Saraswati-River.png|सरस्वती नदी<br /> Saraswati River|thumb|150px]]
 
कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ॠग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज नदी|सतलुज]] (जो [[सिन्धु नदी|सिन्धु]] नदी की सहायक नदी है) और [[यमुना नदी|यमुना]] (जो [[गंगा नदी|गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी। आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है। ऋग्वेद में, [[वैदिक काल]] में इस नदी सरस्वती को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं। सरस्वती नदी [[हरियाणा]], [[पंजाब]] व [[राजस्थान]] से होकर बहती थी और कच्छ के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी। तब सरस्वती के किनारे बसा राजस्थान भी हराभरा था। उस समय यमुना, [[सतलुज नदी|सतलुज]] व घग्गर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ थीं। बाद में सतलुज व यमुना ने भूगर्भीय हलचलों के कारण अपना मार्ग बदल लिया और सरस्वती से दूर हो गईं। हिमालय की पहाड़ियों में प्राचीन काल से हीभूगर्भीय गतिविधियाँ चलती रही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सतलुज नदी]]}}
 
=====[[ऋग्वेद]] में 'जन' और 'विश' का उल्लेख क्रमश: कितनी बार हुआ है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=(250,175) |विकल्प 2=(275,175)|विकल्प 3=(200,150)|विकल्प 4=(275,170)}}{{Ans|विकल्प 1=(250,175)|विकल्प 2=(275,175) |विकल्प 3=(200,150) |विकल्प 4='''(275,170)'''{{Check}}|विवरण=}}
 
=====ऋग्वैदिक युग की सर्वाधिक प्राचीन संस्था कौन-सी थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=सभा |विकल्प 2=समिति|विकल्प 3=विद्थ|विकल्प 4=परिषद}}{{Ans|विकल्प 1=सभा|विकल्प 2=समिति |विकल्प 3='''विद्थ'''{{Check}} |विकल्प 4=परिषद|विवरण=}}
 
====='आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=वीर |विकल्प 2=श्रेष्ठ या कुलीन|विकल्प 3=विद्वान|विकल्प 4=यज्ञकर्ता}}{{Ans|विकल्प 1=वीर|विकल्प 2='''श्रेष्ठ या कुलीन'''{{Check}} |विकल्प 3=विद्वान |विकल्प 4=यज्ञकर्ता|विवरण=}}
 
=====ऋग्वैदिक आर्यों की भाषा क्या थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=द्रविड़ भाषा |विकल्प 2=प्राकृत भाषा|विकल्प 3=संस्कृत भाषा|विकल्प 4=पालि भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=द्रविड़ भाषा|विकल्प 2=[[प्राकृत भाषा]] |विकल्प 3='''[[संस्कृत भाषा]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[पालि भाषा]]|विवरण=*संस्कृत [[भारत]] की एक शास्त्रीय भाषा है। यह दुनिया की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है। '''संस्कृत का अर्थ है, संस्कार की हुई भाषा।  इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है। संस्कृत को देववाणी भी कहते हैं।'''
 
*संस्कृत हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य भाषा है।
 
*आधुनिक भारतीय भाषाएँ हिन्दी, मराठी, सिन्धी, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], बंगला, उड़िया, नेपाली, कश्मीरी, उर्दू आदि सभी भाषाएं इसी से उत्पन्न हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है।
 
*[[हिन्दू धर्म]] के लगभग सभी [[धर्मग्रन्थ]] संस्कृत भाषा में ही लिखे हुए हैं। आज भी हिन्दू धर्म के [[यज्ञ]] और पूजा संस्कृत भाषा में ही होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा]]}}
 
=====ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=पितृसत्तात्मक |विकल्प 2=मातृसत्तात्मक|विकल्प 3=(1 एवं 2 दोनों)|विकल्प 4=(केवल 1)}}{{Ans|विकल्प 1='''पितृसत्तात्मक'''{{Check}}|विकल्प 2=मातृसत्तात्मक |विकल्प 3=(1 एवं 2 दोनों) |विकल्प 4=(केवल 1)|विवरण=}}
 
=====वैदिककालीन लोगों ने सर्वप्रथम किस धातु का प्रयोग किया?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=लोहा |विकल्प 2=कांसा|विकल्प 3=तांबा|विकल्प 4=सोना}}{{Ans|विकल्प 1=लोहा|विकल्प 2=कांसा |विकल्प 3='''तांबा'''{{Check}} |विकल्प 4=सोना|विवरण=}}
 
=====हल सम्बन्धी अनुष्ठान का पहला व्याख्यात्मक वर्णन कहाँ से मिला है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=गोपथ ब्राह्मण में |विकल्प 2=शतपथ ब्राह्मण में|विकल्प 3=ऐतरेय ब्राह्मण में|विकल्प 4=पंचविंश ब्राह्मण में}}{{Ans|विकल्प 1=[[गोपथ ब्राह्मण]] में|विकल्प 2='''[[शतपथ ब्राह्मण]] में'''{{Check}} |विकल्प 3=[[ऐतरेय ब्राह्मण]] में |विकल्प 4=[[पंचविंश ब्राह्मण]] में|विवरण=}}
 
  
=====किस [[वेद]] की रचना गद्य एवं पद्य दोनों में की गई है?=====
+
{निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन राजवंश कौन-सा है?
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद |विकल्प 2=सामवेद|विकल्प 3=यजुर्वेद|विकल्प 4=अथर्ववेद}}{{Ans|विकल्प 1=[[ऋग्वेद]]|विकल्प 2=[[सामवेद]] |विकल्प 3='''[[यजुर्वेद]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[अथर्ववेद]]|विवरण=[[चित्र:Yajurveda.jpg|thumb|150px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]]
+
|type="()"}
 
+
+[[मौर्य वंश]]
'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था। इस [[वेद]] में अनेक प्रकार के यज्ञों को सम्पन्न करने की विधियों का उल्लेख है। यह गद्य तथा पद्य दोनों में लिखा गया है। गद्य को 'यजुष' कहा गया है। यजुर्वेद का अन्तिम अध्याय [[ईशावास्योपनिषद|ईशावास्य उपनिषयद]] है, जिसका सम्बन्ध आध्यात्मिक चिन्तन से है। उपनिषदों में यह लघु [[उपनिषद]] आदिम माना जाता है क्योंकि इसे छोड़कर कोई भी अन्य उपनिषद संहिता का भाग नहीं है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]]}}
+
-[[गुप्त वंश]]
=====वेदान्त किसे कहा गया है?=====
+
-[[कुषाण वंश]]
{{Opt|विकल्प 1=वेदों को |विकल्प 2=आरण्यकों को|विकल्प 3=ब्राह्मण ग्रंथों को|विकल्प 4=उपनिषदों को}}{{Ans|विकल्प 1=[[वेद|वेदों]] को|विकल्प 2=[[आरण्यक|आरण्यकों]] को |विकल्प 3=[[ब्राह्मण ग्रंथ|ब्राह्मण ग्रंथों]] को |विकल्प 4='''[[उपनिषद|उपनिषदों]] को'''{{Check}}|विवरण=[[वेद]] का वह भाग जिसमें विशुद्ध रीति से आध्यात्मिक चिन्तन को ही प्रधानता दी गयी है और फल सम्बन्धी कर्मों के दृढानुराग को शिथिल करना सुझाया गया है, 'उपनिषद' कहलाता है। उपलब्ध उपनिषद-ग्रन्थों की संख्या में से ईशादि 10 उपनिषद तो सर्वमान्य हैं। इनके अतिरिक्त 5 और उपनिषद (श्वेताश्वतरादि), जिन पर आचार्यों की टीकाएँ तथा प्रमाण-उद्धरण आदि मिलते हैं, सर्वसम्मत कहे जाते हैं। इन 15 के अतिरिक्त जो उपनिषद उपलब्ध हैं, उनकी शब्दगत ओजस्विता तथा प्रतिपादनशैली आदि की विभिन्नता होने पर भी यह अवश्य कहा जा सकता है कि इनका प्रतिपाद्य ब्रह्म या आत्मतत्त्व निश्चयपूर्वक अपौरूषेय, नित्य, स्वत:प्रमाण वेद-शब्द-राशि से सम्बद्ध है। उपनिषदों की कुल संख्या 108 है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उपनिषद]]}}
+
-[[कण्व वंश]]
 
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||[[चित्र:maurya-empire.jpg|right|150px|चंद्रगुप्त मौर्य का सभा गृह]][[चंद्रगुप्त मौर्य]] की माता का नाम 'मुरा' था। इसी से यह वंश '[[मौर्य वंश]]' कहलाया। [[चंद्रगुप्त]] के बाद उसके पुत्र [[बिंदुसार]] ने 298 ई.पू. से 273 ई. पू. तक राज्य किया। बिंदुसार के बाद उसका पुत्र [[अशोक]] 273 ई.पू. से 232 ई.पू. तक गद्दी पर रहा। अशोक के समय में [[कलिंग]] का भारी नरसंहार हुआ, जिससे द्रवित होकर उसने [[बौद्ध धर्म]] ग्रहण कर लिया। 316 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी [[भारत]] पर अधिकार कर लिया था। अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मौर्य वंश]], [[चंद्रगुप्त मौर्य]]
====='असतो मा सदगमय' कहाँ से लिया गया है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद से |विकल्प 2=सामवेद से|विकल्प 3=यजुर्वेद से|विकल्प 4=अथर्ववेद से}}{{Ans|विकल्प 1='''[[ऋग्वेद]] से'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सामवेद]] से |विकल्प 3=[[यजुर्वेद]] से |विकल्प 4=[[अथर्ववेद]] से|विवरण=[[चित्र:Rigveda.jpg|thumb|150px|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ]]
 
*सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक।
 
*ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है।
 
*ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं।
 
*ॠग्वेद के दस मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ मण्डल बड़े हैं। ऋग्वेद के समस्य सूक्तों के ऋचाओं (मंत्रों) की संख्या 10600 है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ॠग्वेद]]}}
 
 
 
=====किस [[उपनिषद]] को बुद्ध से भी प्राचीन माना जाता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=कठोपनिषद |विकल्प 2=छान्दोग्य उपनिषद|विकल्प 3=बृहदारण्यकोपनिषद|विकल्प 4=मुण्डकोपनिषद}}{{Ans|विकल्प 1='''[[कठोपनिषद]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[छान्दोग्य उपनिषद]] |विकल्प 3=[[बृहदारण्यकोपनिषद]] |विकल्प 4=[[मुण्डकोपनिषद]]|विवरण=कृष्ण [[यजुर्वेद]] शाखा का यह उपनिषद अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपनिषदों में है। इस उपनिषद के रचयिता कठ नाम के तपस्वी आचार्य थे। वे मुनि वैशम्पायन के शिष्य तथा यजुर्वेद की कठशाखा के प्रवृर्त्तक थे। इसमें दो अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन वल्लियां हैं, जिनमें वाजश्रवा-पुत्र [[नचिकेता]] और यम के बीच संवाद हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कठोपनिषद]]}}
 
 
 
=====उत्तरवैदिक काल के महत्वपूर्ण देवता कौन थे?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=रुद्र |विकल्प 2=विष्णु|विकल्प 3=प्रजापति|विकल्प 4=पूषन}}{{Ans|विकल्प 1=[[रुद्र]]|विकल्प 2=[[विष्णु]] |विकल्प 3='''प्रजापति'''{{Check}} |विकल्प 4=पूषन|विवरण=}}
 
=====[[भारत]] का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहाँ से उद्धत है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=मुण्डकोपनिषद से |विकल्प 2=कठोपनिषद से|विकल्प 3=छान्दोग्य उपनिषद से|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''[[मुण्डकोपनिषद]] से'''{{Check}} |विकल्प 2=[[कठोपनिषद]] से |विकल्प 3=[[छान्दोग्य उपनिषद]] से |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=यह उपनिषद अथर्ववेदीय शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म 'ॐ: का विशद विवेचन किया गया है। इसे मन्त्रोपनिषद नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ मन्त्र हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला। इस उपनिषद में महर्षि [[अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-अपरा' विद्या का ज्ञान कराया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुण्डकोपनिषद]]}}
 
 
 
=====उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों की रचना लगभग 1000 ई. पू.-600 ई. पू. के मध्य किन स्थानों पर की गई?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=सैन्धव घाटी के मैदान में |विकल्प 2=आर्यावर्त के मैदान में|विकल्प 3=गंगा के उत्तरी मैदान में|विकल्प 4=मध्य एशिया के मैदान में}}{{Ans|विकल्प 1=सैन्धव घाटी के मैदान में|विकल्प 2=आर्यावर्त के मैदान में |विकल्प 3='''गंगा के उत्तरी मैदान में'''{{Check}} |विकल्प 4=मध्य एशिया के मैदान में|विवरण=}}
 
====='सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थीं' का उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद में |विकल्प 2=अथर्ववेद में|विकल्प 3=यजुर्वेद में|विकल्प 4=सामवेद में}}{{Ans|विकल्प 1=[[ऋग्वेद]] में|विकल्प 2='''[[अथर्ववेद]]'''{{Check}} में |विकल्प 3=[[यजुर्वेद]] में |विकल्प 4=[[सामवेद]] में|विवरण=[[चित्र:Atharvaveda.jpg|thumb|150px|अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]]
 
 
 
अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है। अथर्ववेद मे दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है, इसका स्वर [[ॠग्वेद]] के उस अधिक पुरोहिती स्वर से भिन्न है, जो महान [[देवता|देवों]] को महिमामंडित करता है और [[सोम रस|सोम]] के प्रभाव में कवियों की उत्प्रेरित दृष्टि का वर्णन करता है। [[यज्ञ|यज्ञों]] व देवों को अनदेखा करने के कारण वैदिक पुरोहित वर्ग इसे अन्य तीन वेदों के बराबर नहीं मानता था। इसे यह दर्जा बहुत बाद में मिला। इसकी भाषा ॠग्वेद की भाषा की तुलना में स्पष्टतः बाद की है और कई स्थानों पर ब्राह्मण ग्रंथों से मिलती है। अतः इसे लगभग 1000 ई.पू. का माना जा सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]]}}
 
=====उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों में किस आश्रम का उल्लेख नहीं मिलता?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=संन्यास |विकल्प 2=ब्रह्मचर्य|विकल्प 3=गृहस्थ|विकल्प 4=वानप्रस्थ}}{{Ans|विकल्प 1='''संन्यास'''{{Check}}|विकल्प 2=ब्रह्मचर्य |विकल्प 3=गृहस्थ |विकल्प 4=वानप्रस्थ|विवरण=}}
 
====='गायत्री मंत्र' किस [[वेद]] से लिया गया है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद |विकल्प 2=सामवेद|विकल्प 3=यजुर्वेद|विकल्प 4=अथर्ववेद}}{{Ans|विकल्प 1='''[[ऋग्वेद]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सामवेद]] |विकल्प 3=[[यजुर्वेद]] |विकल्प 4=[[अथर्ववेद]]|विवरण=}}
 
=====[[वेद|वेदों]] को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=क्योंकि वेदों की रचना देवताओं द्वारा की गई है |विकल्प 2=क्योंकि वेदों की रचना पुरुषों द्वारा की गई है|विकल्प 3=क्योंकि वेदों की रचना ऋषियों द्वारा की गई है|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''क्योंकि वेदों की रचना देवताओं द्वारा की गई है'''{{Check}}|विकल्प 2=क्योंकि वेदों की रचना पुरुषों द्वारा की गई है |विकल्प 3=क्योंकि वेदों की रचना ऋषियों द्वारा की गई है |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=}}
 
=====राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=सैन्धव काल में |विकल्प 2=ऋग्वैदिक काल में|विकल्प 3=उत्तरवैदिक काल में|विकल्प 4=महाकाव्य में}}{{Ans|विकल्प 1=सैन्धव काल में|विकल्प 2=ऋग्वैदिक काल में |विकल्प 3='''उत्तरवैदिक काल में'''{{Check}} |विकल्प 4=महाकाव्य में|विवरण=}}
 
=====आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=दक्षिणी रूस |विकल्प 2=मध्य एशिया में बैक्ट्रिया|विकल्प 3=भारत में सप्तसैन्धव प्रदेश|विकल्प 4=मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र}}{{Ans|विकल्प 1=दक्षिणी रूस|विकल्प 2='''मध्य एशिया में बैक्ट्रिया'''{{Check}} |विकल्प 3=भारत में सप्तसैन्धव प्रदेश |विकल्प 4=मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र|विवरण=}}
 
=====सर्वप्रथम चारों आश्रमों के विषय में जानकारी कहाँ से मिलती है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=जाबालोपनिषद से |विकल्प 2=छान्दोग्य उपनिषद|विकल्प 3=मुण्डकोपनिषद से|विकल्प 4=कठोपनिषद से}}{{Ans|विकल्प 1='''[[जाबालोपनिषद]] से'''{{Check}}|विकल्प 2=[[छान्दोग्य उपनिषद]] से |विकल्प 3=[[मुण्डकोपनिषद]] से |विकल्प 4=[[कठोपनिषद]] से|विवरण=[[चित्र:Yajurveda.jpg|thumb|150px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]]
 
[[यजुर्वेद|शुक्ल यजुर्वेद]] के इस उपनिषद में कुल छह खण्ड हैं।
 
#प्रथम खण्ड में भगवान [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] और ऋषि [[याज्ञवल्क्य]] के संवाद द्वारा प्राण-विद्या का विवेचन किया गया है।
 
#द्वितीय खण्ड में [[अत्रि]] मुनि और याज्ञवल्क्य के संवाद द्वारा 'अविमुक्त' क्षेत्र को भृकुटियों के मध्य बताया गया है।
 
#तृतीय खण्ड में ऋषि याज्ञवल्क्य द्वारा मोक्ष-प्राप्ति का उपाय बताया गया है।
 
#चतुर्थ खण्ड में विदेहराज [[जनक]] के द्वारा संन्यास के विषय में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर याज्ञवल्क्य देते हैं।
 
#पंचम खण्ड में अत्रि मुनि संन्यासी के यज्ञोपवीत, वस्त्र, भिक्षा आदि पर याज्ञवल्क्य से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं और
 
#षष्ठ खण्ड में प्रसिद्ध संन्यासियों आदि के आचरण की समीक्षा की गयी है और दिगम्बर परमंहस का लक्षण बताया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]] }}
 
 
 
====='गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में |विकल्प 2=उत्तरवैदिक काल में|विकल्प 3=सैन्धव काल में|विकल्प 4=सूत्रकाल में}}{{Ans|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में|विकल्प 2='''उत्तरवैदिक काल में'''{{Check}} |विकल्प 3=सैन्धव काल में |विकल्प 4=सूत्रकाल में|विवरण=}}
 
=====[[ब्राह्मण ग्रंथ|ब्राह्मण ग्रंथों]] में सर्वाधिक प्राचीन कौन है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ऐतरेय ब्राह्मण |विकल्प 2=शतपथ ब्राह्मण|विकल्प 3=पंचविंश ब्राह्मण|विकल्प 4=गोपथ ब्राह्मण}}{{Ans|विकल्प 1=[[ऐतरेय ब्राह्मण]]|विकल्प 2='''[[शतपथ ब्राह्मण]]'''{{Check}} |विकल्प 3=[[पंचविंश ब्राह्मण]] |विकल्प 4=[[गोपथ ब्राह्मण]]|विवरण=शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के दोनों शाखाओं काण्व व माध्यन्दिनी से सम्बद्ध है। यह सभी ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचियता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। शतपथ के अन्त में उल्लेख है- 'ष्आदिन्यानीमानि शुक्लानि यजूशि बाजसनेयेन याज्ञावल्येन ख्यायन्ते।' शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] का पूर्ण एवं विस्तृत अध्ययन मिलता हे। 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं। इसमें [[गांधार|गंधार]], कैकय और शाल्व जनपदों की विशेष चर्चा की गई है। अन्य काण्डों में [[आर्यावर्त]] के मध्य तथा पूर्वी भाग कुरू, [[पांचाल|पंचाल]], [[कोसल]], विदेह, सृजन्य आदि जनपदों का उल्लेख हैं। शतपथ ब्राह्मण में वैदिक [[संस्कृत]] के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। शतपथ ब्राह्मण में यज्ञों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। [[अश्वमेध यज्ञ]] के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख है, जिसमें [[जनक]], [[दुष्यन्त]] और [[जनमेजय]] का नाम महत्वपूर्ण है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शतपथ ब्राह्मण]]}}
 
 
 
=====षड्दर्शन का बीजारोपण किस काल में हुआ है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में |विकल्प 2=उत्तरवैदिक काल में|विकल्प 3=सैन्धव काल में|विकल्प 4=सूत्रकाल में}}{{Ans|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में|विकल्प 2='''उत्तरवैदिक काल में'''{{Check}} |विकल्प 3=सैन्धव काल में |विकल्प 4=सूत्रकाल में|विवरण=}}
 
=====[[जैन धर्म]] का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=पार्श्वनाथ |विकल्प 2=ऋषभदेव|विकल्प 3=महावीर स्वामी|विकल्प 4=नेमिनाथ}}{{Ans|विकल्प 1=[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]]|विकल्प 2=[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]] |विकल्प 3='''[[महावीर|महावीर स्वामी]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]]|विवरण=[[चित्र:Mahaveer.jpg|महावीर<br /> Mahaveer|thumb|150px]]
 
'''वर्धमान महावीर''' या महावीर, [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान श्री ऋषभनाथ (श्री आदिनाथ) की परम्परा में 24वें तीर्थंकर थे। इनका जीवन काल 599 ईसवी ,ईसा पूर्व से 527 ईस्वी ईसा पूर्व तक माना जाता है। जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर वर्धमान का जन्म [[वृज्जि]] गणराज्य की [[वैशाली]] नगरी के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ उस गणराज्य के राजा थे। कलिंग नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का विवाह हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने जेष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। महावीर ने पार्श्वनाथ के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिमार्जित करके उसे [[जैन]] दर्शन का स्थायी आधार प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महावीर]]}}
 
 
 
=====जैन परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=(25) |विकल्प 2=(23)|विकल्प 3=(20)|विकल्प 4=(24)}}{{Ans|विकल्प 1=(25)|विकल्प 2=(23) |विकल्प 3=(20) |विकल्प 4='''(24)'''{{Check}}|विवरण=}}
 
 
 
====='राजगृह' में [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने सर्वाधिक निवास किस ऋतु में किया?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ग्रीष्म ऋतु |विकल्प 2=वर्षा ऋतु|विकल्प 3=शीत ऋतु|विकल्प 4=बसन्त ऋतु}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रीष्म ऋतु|विकल्प 2='''वर्षा ऋतु'''{{Check}} |विकल्प 3=शीत ऋतु |विकल्प 4=बसन्त ऋतु|विवरण=}}
 
=====[[जैन धर्म]] के पहले तीर्थंकर के रूप में किसे जाना जाता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=महावीर स्वामी को |विकल्प 2=ऋषभदेव को|विकल्प 3=पार्श्वनाथ को|विकल्प 4=अजितनाथ को}}{{Ans|विकल्प 1=[[महावीर|महावीर स्वामी]] को|विकल्प 2='''[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]]'''{{Check}} को |विकल्प 3=[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]] को |विकल्प 4=अजितनाथ को|विवरण=[[चित्र:Seated-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-38.jpg|thumb|150px|आसनस्थ ऋषभनाथ<br /> Seated Rishabhanatha<br /> [[जैन संग्रहालय मथुरा|राजकीय जैन संग्रहालय]], [[मथुरा]]]]
 
*इनमें प्रथम तीर्थंकर ॠषभदेव हैं। [[जैन|जैन]] साहित्य में इन्हें प्रजापति, आदिब्रह्मा, आदिनाथ, बृहद्देव, पुरुदेव, नाभिसूनु और वृषभ नामों से भी समुल्लेखित किया गया है।
 
*युगारंभ में इन्होंने प्रजा को आजीविका के लिए कृषि (खेती), मसि (लिखना-पढ़ना, शिक्षण), असि (रक्षा , हेतु तलवार, लाठी आदि चलाना), शिल्प, वाणिज्य (विभिन्न प्रकार का व्यापार करना) और सेवा- इन षट्कर्मों (जीवनवृतियों) के करने की शिक्षा दी थी, इसलिए इन्हें 'प्रजापति', माता के गर्भ से आने पर हिरण्य (सुवर्ण रत्नों) की वर्षा होने से ‘हिरण्यगर्भ’, विमलसूरि-, दाहिने पैर के तलुए में बैल का चिह्न होने से ‘ॠषभ’, धर्म का प्रवर्तन करने से ‘वृषभ’, शरीर की अधिक ऊँचाई होने से ‘बृहद्देव’ एवं पुरुदेव, सबसे पहले होने से ‘आदिनाथ’ और सबसे पहले मोक्षमार्ग का उपदेश करने से ‘आदिब्रह्मा’ कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ॠषभनाथ तीर्थंकर]]}}
 
 
 
=====[[महावीर|महावीर स्वामी]] 'यती' कब कहलाए?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=घर त्यागने के बाद |विकल्प 2=इन्द्रियों को जीतने के बाद|विकल्प 3=ज्ञान प्राप्त करने के बाद|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''घर त्यागने के बाद'''{{Check}}|विकल्प 2=इन्द्रियों को जीतने के बाद |विकल्प 3=ज्ञान प्राप्त करने के बाद |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=}}
 
====='स्यादवान' किस धर्म का मूलाधार था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=बौद्ध धर्म |विकल्प 2=जैन धर्म|विकल्प 3=वैष्णव धर्म|विकल्प 4=शैव धर्म}}{{Ans|विकल्प 1=[[बौद्ध धर्म]]|विकल्प 2='''[[जैन धर्म]]'''{{Check}} |विकल्प 3=[[वैष्णव धर्म]] |विकल्प 4=[[शैव धर्म]]|विवरण=[[चित्र:23rd-Tirthankara-Parsvanatha-Jain-Museum-Mathura-9.jpg|150px|thumb|[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]]<br /> Tirthankara Parsvanatha<br /> [[जैन संग्रहालय मथुरा|राजकीय जैन संग्रहालय]], [[मथुरा]]]]
 
जैन धर्म [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जैन धर्म]]}}
 
 
 
=====[[महावीर]] के निर्वाण के बाद जैन संघ का अगला अध्यक्ष कौन हुआ?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=गोशल |विकल्प 2=मल्लिनाथ|विकल्प 3=सुधर्मन|विकल्प 4=वज्र स्वामी}}{{Ans|विकल्प 1=गोशल|विकल्प 2=मल्लिनाथ |विकल्प 3='''सुधर्मन'''{{Check}} |विकल्प 4=वज्र स्वामी|विवरण=}}
 
=====आदि जैन ग्रंथों की भाषा क्या थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=संस्कृत भाषा |विकल्प 2=प्राकृत भाषा|विकल्प 3=पालि भाषा|विकल्प 4=अपभ्रंश भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=[[संस्कृत भाषा]]|विकल्प 2='''[[प्राकृत भाषा]]'''{{Check}} |विकल्प 3=[[पालि भाषा]] |विकल्प 4=अपभ्रंश भाषा|विवरण=प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।
 
#अर्धमागधी प्राकृत
 
#पैशाची प्राकृत 
 
#महाराष्ट्री प्राकृत
 
#शौरसेनी प्राकृत{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्राकृत]]}}
 
 
 
=====[[जैन धर्म]] के पाँचों व्रतों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत कौन-सा है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=अमृषा (सत्य) |विकल्प 2=अहिंसा|विकल्प 3=अचीर्य (अस्तेय)|विकल्प 4=अपरिग्रह}}{{Ans|विकल्प 1=अमृषा (सत्य)|विकल्प 2='''अहिंसा'''{{Check}} |विकल्प 3=अचीर्य (अस्तेय) |विकल्प 4=अपरिग्रह|विवरण=}}
 
=====[[जैन धर्म]] का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=शासक वर्ग |विकल्प 2=किसान वर्ग|विकल्प 3=व्यापारी वर्ग|विकल्प 4=शिल्पी वर्ग}}{{Ans|विकल्प 1=शासक वर्ग|विकल्प 2=किसान वर्ग |विकल्प 3='''व्यापारी वर्ग'''{{Check}} |विकल्प 4=शिल्पी वर्ग|विवरण=}}
 
=====[[जैन धर्म]] 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में |विकल्प 2=अशोक के समय में|विकल्प 3=कनिष्क के समय में|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के समय में'''{{Check}}|विकल्प 2=[[अशोक]] के समय में |विकल्प 3=[[कनिष्क]] के समय में |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=चंद्रगुप्त धर्म में भी रुचि रखता था। यूनानी लेखकों के अनुसार जिन चार अवसरों पर राजा महल से बाहर जाता था, उनमें एक था [[यज्ञ]] करना। कौटिल्य उसका पुरोहित तथा मुख्यमंत्री था। [[हेमचंद्र]] ने भी लिखा है कि वह ब्राह्मणों का आदर करता है। [[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि चंद्रगुप्त वन में रहने वाले तपस्वियों से परामर्श करता था और उन्हें [[देवता|देवताओं]] की पूजा के लिए नियुक्त करता था। वर्ष में एक बार विद्वानों (ब्राह्मणों) की सभा बुलाई जाती थी ताकि वे जनहित के लिए उचित परामर्श दे सकें। दार्शनिकों से सम्पर्क रखना चंद्रगुप्त की जिज्ञासु प्रवृत्ति का सूचक है। [[जैन]] अनुयायियों के अनुसार जीवन के अन्तिम चरण में चंद्रगुप्त ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि जब मगध में 12 वर्ष का दुर्भिक्ष पड़ा तो चंद्रगुप्त राज्य त्यागकर जैन आचार्य [[भद्रबाहु]] के साथ [[श्रवण बेल्गोला]] (मैसूर के निकट) चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भाँति उसने निराहार समाधिस्थ होकर प्राणत्याग किया (अर्थात केवल्य प्राप्त किया)। 900 ई0 के बाद के अनेक अभिलेख भद्रबाहु और चंद्रगुप्त का एक साथ उल्लेख करते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चन्द्रगुप्त मौर्य]]}}
 
=====[[जैन धर्म]] के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है |विकल्प 2=वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है|विकल्प 3=पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है|विकल्प 4=जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है}}{{Ans|विकल्प 1=जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है|विकल्प 2='''वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है'''{{Check}} |विकल्प 3=पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है |विकल्प 4=जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है|विवरण=}}
 
=====[[ऋग्वेद]] में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किसी आभूषण के लिए किया गया है, वह है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=कान का बुन्दा|विकल्प 2=माथे का टीका|विकल्प 3=हाथ का कंगन|विकल्प 4=गले का हार}}{{Ans|विकल्प 1=कान का बुन्दा|विकल्प 2=माथे का टीका|विकल्प 3=हाथ का कंग|विकल्प 4='''गले का हार'''{{Check}} |विवरण=}}
 
=====[[अथर्ववेद]] में किन दो संस्थाओं को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=पंचायत एवं ग्राम सभा|विकल्प 2=समिति एवं विरथ|विकल्प 3=सभा एवं समिति|विकल्प 4=सभा एवं विश्र}}{{Ans|विकल्प 1=पंचायत एवं ग्राम सभा|विकल्प 2=समिति एवं विरथ|विकल्प 3='''सभा एवं समिति'''{{Check}} |विकल्प 4=सभा एवं विश्|विवरण=}}
 
=====विशाखादत्त के [[मुद्राराक्षस]] में वर्णित नाम चन्द्रसिरी (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=अशोक महान्|विकल्प 2=चन्द्रगुप्त|विकल्प 3=बिन्दुसार|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=[[अशोक|अशोक महान]] |विकल्प 2='''[[चंद्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[बिन्दुसार]]|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}}
 
 
 
=====[[महाभारत]] में [[माद्री]], [[देवकी]], भद्रा, [[रोहिणी]], मदिरा, आदि स्त्रियों का वर्णन किस सन्दर्भ में किया है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=धार्मिक उपासना के सन्दर्भ में|विकल्प 2=पति के साथ सती होने के सन्दर्भ में|विकल्प 3=गणिकाओं के रूप में |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=धार्मिक उपासना के सन्दर्भ में|विकल्प 2='''पति के साथ [[सती]] होने के सन्दर्भ में'''{{Check}} |विकल्प 3=गणिकाओं के रूप में|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=}}
 
=====पाण्ड्य राज की राजधानी थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=रामनद|विकल्प 2=तिन्नेबेल्ली|विकल्प 3=तिरुपति|विकल्प 4=मदुरा}}{{Ans|विकल्प 1=रामनद|विकल्प 2=तिन्नेबेल्ली|विकल्प 3=तिरुपति|विकल्प 4='''मदुरा'''{{Check}} |विवरण=}}
 
=====भद्रबाहु गुफ़ा अवस्थित है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=श्री महावीर जी में|विकल्प 2=पावापुरी में|विकल्प 3=बराबर की गुफ़ाओं में|विकल्प 4=श्रवण बेलगोला में}}{{Ans|विकल्प 1=श्री [[महावीर]] जी में|विकल्प 2=[[पावापुरी]] में|विकल्प 3=बराबर की गुफ़ाओं में|विकल्प 4='''श्रवण बेलगोला में'''{{Check}} |विवरण=}}
 
====='इण्डिका' का लेखक था, जिसने इस पुस्तक में विदेशी व्यापार का ज़िक्र किया था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=अज्ञात|विकल्प 2=एरियन|विकल्प 3=स्टौबो|विकल्प 4=प्लुटार्क}}{{Ans|विकल्प 1=अज्ञात|विकल्प 2='''एरियन'''{{Check}} |विकल्प 3=स्टौबो|विकल्प 4=प्लुटार्क|विवरण=}}
 
=====मुस्लिम क़ानून के चार स्रोतों में से तीन क़ुरान, हदीस एवं इज्मा हैं। निम्नलिखित में से कौनसा चौथा स्रोत है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ख़म्स|विकल्प 2=क़यास|विकल्प 3=ख़राज|विकल्प 4=आयतें}}{{Ans|विकल्प 1=ख़म्स|विकल्प 2='''क़यास'''{{Check}} |विकल्प 3=ख़राज|विकल्प 4=आयतें|विवरण=}}
 
====='क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' का निर्माण किस मुस्लिम शासक ने कराया था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=शाहजहाँ|विकल्प 2=ग़यासुद्दीन तुग़लक़|विकल्प 3=कुतुबुद्दीन ऐबक|विकल्प 4=फ़ीरोज़ शाह}}{{Ans|विकल्प 1=[[शाहजहाँ]]|विकल्प 2=[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]]|विकल्प 3='''[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]'''{{Check}} |विकल्प 4=फ़ीरोज़ शाह|विवरण=*तराइन के युद्ध के बाद मुइज्जुद्दीन ग़ज़नी लौट गया और [[भारत]] के विजित क्षेत्रों का शासन अपने विश्वनीय ग़ुलाम 'क़ुतुबुद्दीन ऐबक' के हाथों में छोड़ दिया।
 
*पृथ्वीराज के पुत्र को रणथम्भौर सौंप दिया गया जो तेरहवीं शताब्दी में शक्तिशाली चौहानों की राजधानी बना। अगले दो वर्षों में ऐबक ने, ऊपरी दोआब में [[मेरठ]], बरन तथा कोइल (आधुनिक [[अलीगढ़]]) पर क़ब्ज़ा किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुतुबुद्दीन ऐबक]]}}
 
 
 
=====[[टीपू सुल्तान]] ने किस क्लब की सदस्यता प्राप्त कर श्रीरंगपट्टनम् में स्वतंत्रता का वृक्ष रोपा था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=लॉयन्स क्लब|विकल्प 2=फ्रीडम फाइटर्स क्लब|विकल्प 3=जैकोबिन क्लब|विकल्प 4=ईस्ट इण्डिया क्लब}}{{Ans|विकल्प 1=लॉयन्स क्लब|विकल्प 2=फ्रीडम फाइटर्स क्लब|विकल्प 3='''जैकोबिन क्लब'''{{Check}} |विकल्प 4=ईस्ट इण्डिया क्लब|विवरण=}}
 
=====दादाभाई नौरोजी ने अंग्रेज़ों की किस नीति को 'अनिष्टों का अनिष्ट' कहा था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=भारतीयों के प्रति अत्याचार की नीति|विकल्प 2=भारतीयों के प्रति शोषण की नीति|विकल्प 3=शौक्षणिक परिवेश में विकृति लाने की नीति|विकल्प 4=भारत से धन निष्कासन की नीति}}{{Ans|विकल्प 1=भारतीयों के प्रति अत्याचार की नीति|विकल्प 2=भारतीयों के प्रति शोषण की नीति|विकल्प 3=शौक्षणिक परिवेश में विकृति लाने की नीति|विकल्प 4='''[[भारत]] से धन निष्कासन की नीति'''{{Check}} |विवरण=}}
 
=====किस इतिहासकार ने सन् [[1857]] के स्वतंत्रता संग्राम को 'धर्मान्धों का ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध' कहा था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=बेंजामिन डिजरेली|विकल्प 2=एल. ई. आर. रीज|विकल्प 3=ड्ब्लू. टेलर|विकल्प 4=टी. आर. होम्ज}}{{Ans|विकल्प 1=बेंजामिन डिजरेली|विकल्प 2='''एल. ई. आर. रीज'''{{Check}} |विकल्प 3=ड्ब्लू. टेलर|विकल्प 4=टी. आर. होम्ज|विवरण=}}
 
=====[[झाँसी]] की [[रानी लक्ष्मीबाई]] की मृत्यु हुई थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=(18 जून, 1858)|विकल्प 2=(18 जुलाई, 1857)|विकल्प 3=(25 मई, 1858)|विकल्प 4=(29 अक्टूबर, 1859)}}{{Ans|विकल्प 1='''([[18 जून]], [[1858]])'''{{Check}} |विकल्प 2=([[18 जुलाई]], [[1857]])|विकल्प 3=([[25 मई]], 1858)|विकल्प 4=([[29 अक्टूबर]], [[1859]])|विवरण=}}
 
====='इण्डिपेन्डेन्स' नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=पं. जवाहर लाल नेहरु|विकल्प 2=पं. मोती लाल नेहरु|विकल्प 3=शिव प्रसाद गुप्त|विकल्प 4=मदन मोहन मालवीय}}{{Ans|विकल्प 1=[[जवाहर लाल नेहरु|पं. जवाहर लाल नेहरु]]|विकल्प 2='''[[मोतीलाल नेहरू|पं. मोती लाल नेहरु]]'''{{Check}} |विकल्प 3=शिव प्रसाद गुप्त|विकल्प 4=[[मदन मोहन मालवीय]]|विवरण=}}
 
 
 
====="[[कांग्रेस]] की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व निश्चित गुप्त योजना के अनुसार की गई।" यह किस पुस्तक में लिखा गया है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=नवजीवन|विकल्प 2=इण्डिया टुडे|विकल्प 3=द पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इण्डिया|विकल्प 4=गोरा}}{{Ans|विकल्प 1=नवजीवन|विकल्प 2='''इण्डिया टुडे'''{{Check}} |विकल्प 3=द पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इण्डिया|विकल्प 4=गोरा|विवरण=}}
 
====='ब्रिटेन की हाउस ऑफ़ लार्डस' ने किस [[अंग्रेज़]] अधिकारी को' [[ब्रिटिश साम्राज्य]] का [[बाघ|शेर]] कहा था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=सर टॉमस स्मिथ को|विकल्प 2=मि. राइस जनरल को|विकल्प 3=मि. जस्टिस एस्किन को|विकल्प 4=जनरल डायर को}}{{Ans|विकल्प 1=सर टॉमस स्मिथ को|विकल्प 2=मि. राइस जनरल को|विकल्प 3=मि. जस्टिस एस्किन को|विकल्प 4='''[[जनरल डायर]] को'''{{Check}} |विवरण=}}
 
=====ऐसा कौन सा प्रथम सूफ़ी साधक था, जिसने अपने आपको अनलहक घोषित किया था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=मंसूर हल्लाज|विकल्प 2=जलालुद्दीन रूमी|विकल्प 3=फ़रीदुद्दीन अत्तार|विकल्प 4=इब्नुल अरबी}}{{Ans|विकल्प 1='''मंसूर हल्लाज'''{{Check}} |विकल्प 2=जलालुद्दीन रूमी|विकल्प 3=फ़रीदुद्दीन अत्तार|विकल्प 4=इब्नुल अरबी|विवरण=}}
 
=====प्रान्तों की सेना को [[मुग़ल काल|मुग़लकालीन]] [[भारत]] में कहा जाता था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=हशमे कल्ब|विकल्प 2=हशमे अतराफ़|विकल्प 3=हाजिब|विकल्प 4=हदीस}}{{Ans|विकल्प 1=हशमे कल्ब|विकल्प 2='''हशमे अतराफ़'''{{Check}} |विकल्प 3=हाजिब|विकल्प 4=हदीस|विवरण=}}
 
=====किस विदेशी ने अपने व्याख्यानों में [[मुग़ल]] सम्राटों का उल्लेख 'अभागे ज़ालिम' के लिए किया था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=लॉर्ड मैकाले|विकल्प 2=सदरलैण्ड|विकल्प 3=महारानी एलिजाबेथ|विकल्प 4=मि. चैपलैन}}{{Ans|विकल्प 1='''लॉर्ड मैकाले'''{{Check}} |विकल्प 2=सदरलैण्ड|विकल्प 3=महारानी एलिजाबेथ|विकल्प 4=मि. चैपलैन|विवरण=}}
 
=====[[अगस्त्य|ऋषि अगस्त्य]] के शिष्य 'तोलक्कपियर' ने 'तोलकापियम' नामक ग्रन्थ की रचना की थी, उसमें वर्णीत विषय था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=तमिल व्याकरण|विकल्प 2=संस्कृत व्याकरण|विकल्प 3=श्रंगार कविताएँ|विकल्प 4=महापुरुषों का जीवन चरित्र}}{{Ans|विकल्प 1='''[[तमिल भाषा|तमिल]] व्याकरण'''{{Check}} |विकल्प 2=[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] व्याकरण|विकल्प 3=श्रंगार कविताएँ|विकल्प 4=महापुरुषों का जीवन चरित्र|विवरण=तमिल भाषा एक द्रविड़ भाषा है, जिसके विश्वभर में पाँच करोड़ से अधिक बोलने वालों में से लगभग 90% [[भारत]] में रहते हैं और [[तमिलनाडु]] राज्य में केन्द्रित 83 प्रतिशत हैं। यह [[भारत]] की पाँचवी सबसे बड़ी भाषा है, जो देश की लगभग सात प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती है। मूल रूप से क़रीब 34 लाख तमिल भाषा-भाषी लोग [[श्रीलंका]] में, तीन लाख [[सिंगापुर]] में और दो लाख [[मलेशिया]] में रहते हैं। औपनिवेशिक काल में प्रवास कर गए तमिलभाषी लोगों के वंशज मॉरीशस, फ़िजी और दक्षिण अमेरिका में बस गए हैं, इनकी तमिल दक्षता अलग-अलग है, साथ ही विद्यालयों में औपचारिक अध्ययन की सुविधा में भी भिन्नता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तमिल भाषा]]}}
 
 
 
=====हरविलास शारदा द्वारा प्रस्तावित अधिनियम जिसे सामान्यतया शारदा अधिनियम कहा जाता है, क्या था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=विधवा पुनर्विवाह अधिनियम|विकल्प 2=हिन्दू महिला उत्तराधिकारी अधिनियम|विकल्प 3=बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929|विकल्प 4=हिन्दू सिविल विवाह अधिनियम}}{{Ans|विकल्प 1=विधवा पुनर्विवाह अधिनियम|विकल्प 2=हिन्दू महिला उत्तराधिकारी अधिनियम|विकल्प 3='''बाल विवाह निरोधक अधिनियम [[1929]]'''{{Check}} |विकल्प 4=हिन्दू सिविल विवाह अधिनियम|विवरण=}}
 
=====[[चेन्नई|मद्रास]] में जस्टिस पार्टी आन्दोलन का विलय किसके साथ हुआ?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=सेल्फ रेस्पेक्ट लीग|विकल्प 2=द्रविड़ कड़गम|विकल्प 3=दलित वर्ग लीग|विकल्प 4=उपर्युक्त (1) और (2) दोनों}}{{Ans|विकल्प 1=सेल्फ रेस्पेक्ट लीग|विकल्प 2=द्रविड़ कड़गम|विकल्प 3=दलित वर्ग लीग|विकल्प 4='''उपर्युक्त (1) और (2) दोनों'''{{Check}} |विवरण=}}
 
=====निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ में सर्वप्रथम पुनर्जन्म के सिद्धान्त का उल्लेख मिलता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद|विकल्प 2= ऐतरेय ब्राह्मण|विकल्प 3=वृहदारण्यक अपनिषद|विकल्प 4=श्वेताश्वतरोपनिषद}}{{Ans|विकल्प 1=[[ऋग्वेद]]|विकल्प 2=[[ऐतरेय ब्राह्मण]]|विकल्प 3='''[[बृहदारण्यकोपनिषद]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[श्वेताश्वतरोपनिषद]]|विवरण=यह उपनिषद शुक्ल [[यजुर्वेद]] की काण्व-शाखा के अन्तर्गत आता है। 'बृहत' (बड़ा) और '[[आरण्यक]]' (वन) दो शब्दों के मेल से इसका यह '[[बृहद आरण्यक|बृहदारण्यक]]' नाम पड़ा है। इसमें छह अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में अनेक '[[ब्राह्मण]]' हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बृहदारण्यकोपनिषद]]}}
 
 
 
=====तमिल राष्ट्र में दुर्गा का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है, वे किस तत्व की तमिल देवी थीं?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=मातृत्व|विकल्प 2=प्रकृति और अर्वरकता|विकल्प 3=युद्ध और विजय|विकल्प 4=पृथ्वी}}{{Ans|विकल्प 1=मातृत्व|विकल्प 2=प्रकृति और अर्वरकता|विकल्प 3='''युद्ध और विजय'''{{Check}} |विकल्प 4=[[पृथ्वी]]|विवरण=}}
 
=====वह प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया। उसका सम्बन्ध किस साम्राज्य से था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=शुंग|विकल्प 2=हिन्द-यूनानी|विकल्प 3=कुषाण|विकल्प 4=गुप्त वंशीय}}{{Ans|विकल्प 1=[[शुंग]]|विकल्प 2=हिन्द-यूनानी|विकल्प 3='''[[कुषाण]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[गुप्त वंश|गुप्त वंशीय]]|विवरण=युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी [[कुषाण]] नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। वह केवल युइशि राज्यों को जीतकर ही संतुष्ट नहीं हुआ, अपितु उसने समीप के पार्थियन और [[शक]] राज्यों पर भी आक्रमण किए। अनेक ऐतिहासिकों का मत है, कि कुषाण किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था। यह नाम युइशि जाति की उस शाखा का था, जिसने अन्य चारों युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था। जिस राजा ने पाँचों युइशि राज्यों को मिलाकर अपनी शक्ति का उत्कर्ष किया, उसका अपना नाम कुजुल कदफ़ियस था। पर्याप्त प्रमाण के अभाव में यह निश्चित कर सकना कठिन है कि जिस युइशि वीर ने अपनी जाति के विविध राज्यों को जीतकर एक सूत्र में संगठित किया, उसका वैयक्तिक नाम कुषाण था या कुजुल था। यह असंदिग्ध है, कि बाद के युइशि राजा भी कुषाण वंशी थे। राजा कुषाण के वंशज होने के कारण वे कुषाण कहलाए, या युइशि जाति की कुषाण शाखा में उत्पन्न होने के कारण—यह निश्चित न होने पर भी इसमें सन्देह नहीं कि ये राजा कुषाण कहाते थे और इन्हीं के द्वारा स्थापित साम्राज्य को कुषाण साम्राज्य कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुषाण]]}}
 
 
 
=====[[हैदराबाद]] नगर की स्थापना की थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=इब्राहीम कुत्बशाह ने|विकल्प 2=मुहम्मद कुली कुत्बशाह ने|विकल्प 3=मुहम्मद कुत्बशाह|विकल्प 4=जमशिद कुत्बशा}}{{Ans|विकल्प 1=इब्राहीम कुत्बशाह ने|विकल्प 2='''मुहम्मद कुली कुत्बशाह ने'''{{Check}} |विकल्प 3=मुहम्मद कुत्बशा|विकल्प 4=जमशिद कुत्बशा|विवरण=}}
 
=====[[बहमनी वंश|बहमनी साम्राज्य]] के प्रान्तों को क्या कहा जाता था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=तराफ़ या अतराफ़|विकल्प 2=सूबा|विकल्प 3=सूबा-ए-लश्कर|विकल्प 4=महामण्डल}}{{Ans|विकल्प 1='''तराफ़ या अतराफ़'''{{Check}} |विकल्प 2=सूबा|विकल्प 3=सूबा-ए-लश्कर|विकल्प 4=महामण्डल|विवरण=}}
 
=====[[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में [[जाट]] विद्रोह का नेता कौन था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=तिलपत का जमींदार गोकुल सिंह|विकल्प 2=चम्पतराय|विकल्प 3=राजाराम|विकल्प 4=चूड़ामन}}{{Ans|विकल्प 1='''तिलपत का जमींदार [[गोकुल सिंह]]'''{{Check}} |विकल्प 2=चम्पतराय|विकल्प 3=[[राजाराम]]|विकल्प 4=चूड़ामन|विवरण=}}
 
=====[[अकबर]] निम्नलिखित में से किस वाद्य यन्त्र को कुशलता से बजाता था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=वीणा|विकल्प 2=पखावज|विकल्प 3=सितार|विकल्प 4=नक्कारा}}{{Ans|विकल्प 1=वीणा|विकल्प 2=पखावज|विकल्प 3=[[सितार]]|विकल्प 4='''नक्कारा'''{{Check}} |विवरण=}}
 
=====[[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] के किस बन्दरगाह को [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ाली]] पोर्टो ग्राण्डे या महान बन्दरगाह कहते थे?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=सतगाँव|विकल्प 2=चटगाँव|विकल्प 3=हुगली|विकल्प 4=चन्द्रद्वीप}}{{Ans|विकल्प 1=सतगाँव|विकल्प 2='''चटगाँव'''{{Check}} |विकल्प 3=[[हुगली नदी|हुगली]]|विकल्प 4=चन्द्रद्वीप|विवरण=}}
 
=====[[मराठा|मराठों]] ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का कुशल प्रशिक्षण सम्भवतः किससे प्राप्त किया था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=गोलकुण्डा के मीर जुमला|विकल्प 2=अहमद नगर के अबीसीनियायी मंत्री [[मलिक अम्बर]]|विकल्प 3=मलिक क़ाफूर|विकल्प 4=मीर ज़ाफ़र}}{{Ans|विकल्प 1=[[गोलकुण्डा]] के मीर जुमला|विकल्प 2='''अहमद नगर के अबीसीनियायी मंत्री मलिक अम्बर'''{{Check}} |विकल्प 3=मलिक क़ाफूर|विकल्प 4=मीर ज़ाफ़र|विवरण=}}
 
=====निम्नलिखित में से किसे 'जाटों का प्लेटो' कहा जाता था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=राजाराम|विकल्प 2=चूड़ामन|विकल्प 3=सूरजमल|विकल्प 4=बदनसिंह}}{{Ans|विकल्प 1=[[राजाराम]]|विकल्प 2=[[ठाकुर चूड़ामन सिंह|चूड़ामन]]|विकल्प 3='''[[सूरजमल]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[बदनसिंह]]|विवरण=}}
 
=====[[1857]] के विद्रोह का रुहेलखण्ड में नेतृत्व किसने किया था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=ख़ान बहादुर ख़ाँ|विकल्प 2=शहज़ादा फ़िरोज़ ख़ाँ|विकल्प 3=राजा बेनी माधोसिंह|विकल्प 4=मुहम्मद हसन ख़ाँ}}{{Ans|विकल्प 1='''ख़ान बहादुर ख़ाँ'''{{Check}}|विकल्प 2=शहज़ादा फ़िरोज़ ख़ाँ|विकल्प 3=राजा बेनी माधोसिंह|विकल्प 4=मुहम्मद हसन ख़ाँ|विवरण=}}
 
=====सन् [[1932]] ई. में अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना किसने की थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=बाबा साहेब अम्बेडकर|विकल्प 2=महात्मा गाँधी|विकल्प 3=बाल गंगाधर तिलक|विकल्प 4=ज्योतिबा फुले}}{{Ans|विकल्प 1=[[भीमराव आम्बेडकर|बाबा साहेब अम्बेडकर]]|विकल्प 2='''[[महात्मा गाँधी]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[बाल गंगाधर तिलक]]|विकल्प 4=ज्योतिबा फुले|विवरण=महात्मा गाँधी ([[2 अक्तूबर]], [[1869]] - [[30 जनवरी]], [[1948]]) को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और '''राष्ट्रपिता''' माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।  मोहनदास करमचंद गांधी [[भारत]] एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महात्मा गाँधी]]}}
 
=====[[राजा राममोहन राय]] के प्रथम शिष्य, जिन्होंने उनके मरणोपरांत ब्रह्म समाज का नेतृत्व सँभाला था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=द्वारकानाथ टैगोर|विकल्प 2=रामचन्द्र विद्यावागीश|विकल्प 3=केशवचन्द्र सेन|विकल्प 4=देवेन्द्रनाथ टैगोर}}{{Ans|विकल्प 1=द्वारकानाथ टैगोर|विकल्प 2='''रामचन्द्र विद्यावागीश'''{{Check}}|विकल्प 3=केशवचन्द्र सेन|विकल्प 4=देवेन्द्रनाथ टैगोर|विवरण=}}
 
 
 
=====वह राष्ट्रकूट शासक कौन था, जिसकी तुलना उदार तथा विद्वानों के संरक्षक के रूप में विख्यात [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|राजा विक्रमादित्य]] से की गई है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=गोविन्द तृतीय|विकल्प 2=ध्रुव चतुर्थ|विकल्प 3=कृष्ण तृतीय|विकल्प 4=अमोघवर्ष}}{{Ans|विकल्प 1=गोविन्द तृतीय|विकल्प 2=ध्रुव चतुर्थ|विकल्प 3=कृष्ण तृतीय|विकल्प 4='''अमोघवर्ष'''{{Check}}|विवरण=}}
 
=====[[महमूद ग़ज़नवी|महमूद]] के आक्रमण के समय हिन्दूशाही साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=क़ाबुल|विकल्प 2=पेशावर|विकल्प 3=अटक|विकल्प 4=उदमाण्डपुर या ओहिन्द}}{{Ans|विकल्प 1=[[क़ाबुल]]|विकल्प 2=[[पेशावर]]|विकल्प 3=अटक|विकल्प 4='''उदमाण्डपुर या ओहिन्द'''{{Check}}|विवरण=}}
 
=====निम्नलिखित में से कौनसा संस्कार स्त्रियों एवं शूद्रों के लिए वर्जित था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=चूड़ाकर्म|विकल्प 2=उपनयन|विकल्प 3=नायकरण|विकल्प 4=पुंसवन}}{{Ans|विकल्प 1=चूड़ाकर्म|विकल्प 2='''[[उपनयन संस्कार|उपनयन]]'''{{Check}}|विकल्प 3=नायकरण|विकल्प 4=पुंसवन|विवरण=[[चित्र:Upanayana-1.jpg|thumb|150px|उपनयन<br /> Upanayana]]
 
'उपनयन' का अर्थ है "पास या सन्निकट ले जाना।" किन्तु किसके पास ले जाना? सम्भवत: आरम्भ में इसका तात्पर्य था "आचार्य के पास (शिक्षण के लिए) ले जाना।" हो सकता है; इसका तात्पर्य रहा हो नवशिष्य को विद्यार्थीपन की अवस्था तक पहुँचा देना। कुछ गृह्यसूत्रों से ऐसा आभास मिल जाता है, यथा हिरण्यकेशि के अनुसार; तब गुरु बच्चे से यह कहलवाता है "मैं ब्रह्मसूत्रों को प्राप्त हो गया हूँ। मुझे इसके पास ले चलिए। सविता देवता द्वारा प्रेरित मुझे ब्रह्मचारी होने दीजिए।" मानवग्रह्यसूत्र एवं काठक. ने 'उपनयन' के स्थान पर 'उपायन' शब्द का प्रयोग किया है। काठक के टीकाकार आदित्यदर्शन ने कहा है कि उपानय, उपनयन, मौञ्चीबन्धन, बटुकरण, व्रतबन्ध समानार्थक हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उपनयन संस्कार]]}}
 
=====[[ऋग्वेद]] में जिस अपराध का सबसे अधिक उल्लेख किया गया है, वह था?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=हत्या|विकल्प 2=अपहरण|विकल्प 3=पशु चोरी|विकल्प 4=लूट और राहजनी}}{{Ans|विकल्प 1=हत्या|विकल्प 2=अपहरण|विकल्प 3='''पशु चोरी'''{{Check}}|विकल्प 4=लूट और राहजनी|विवरण=}}
 
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{[[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेखों]] को पढ़ने वाला प्रथम [[अंग्रेज़]] कौन था?
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|type="()"}
 +
-[[कर्नल टॉड]]
 +
+[[जेम्स प्रिंसेप]]
 +
-[[हेमचंद्र रायचौधरी]]
 +
-[[चार्ल्स मैटकॉफ़]]
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||[[चित्र:Rock-Edicts-Of-Ashoka.jpg|right|90px|अशोक शिलालेख, धौली]][[मौर्य राजवंश|मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके [[अशोक के अभिलेख|अभिलेखों]] से मिलती है। यह माना जाता है कि अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा [[ईरान]] के शासक '[[डेरियस प्रथम|डेरियस]]' से मिली थी। अशोक के लगभग 40 [[अभिलेख]] प्राप्त हुए हैं। ये [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]], [[खरोष्ठी लिपि|खरोष्ठी]] और आर्मेइक-ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं। सम्राट अशोक के ब्राह्मी लिपि में लिखित सन्देश को सर्वप्रथम [[कनिंघम|एलेग्जेंडर कनिंघम]] के सहकर्मी [[जेम्स प्रिंसेप]] ने पढ़ा था। [[शिलालेख|शिलालेखों]] और स्तम्भ लेखों को दो उपश्रेणियों में रखा जाता है। 14 शिलालेख सिलसिलेवार हैं, जिनको 'चतुर्दश शिलालेख' कहा जाता है। ये शिलालेख [[शाहबाजगढ़ी]], [[मानसेरा]], [[कालसी]], [[गिरनार]], [[सोपारा]], [[धौली]] और [[जौगढ़]] में मिले हैं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक के शिलालेख]]
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13:16, 15 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ों के साथ युद्ध करते हुए कब वीरगति प्राप्त की?

1857 ई.
1793 ई.
1799 ई.
1769 ई.

2 बुद्ध में वैराग्य भावना किन चार दृश्यों के कारण बलवती हुई?

बूढ़ा, रोगी, मृतक, संन्यासी
अन्धा, रोगी, लाश, संन्यासी
लंगड़ा, रोगी, लाश, संन्यासी
युवा, रोगी, लाश, संन्यासी

3 सम्राट अशोक की वह कौन-सी पत्नी थी, जिसने उसे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था?

चंडालिका
चारुलता
गौतमी
कारुवाकी

4 निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन राजवंश कौन-सा है?

मौर्य वंश
गुप्त वंश
कुषाण वंश
कण्व वंश

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