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*उत्कल ब्रह्मदेश ([[बर्मा]] अब म्यांमार) में रंगून (अब [[यांगून]]) से लेकर पीगू तक के औपनिवेशिक प्रदेश को उत्कल कहते थे।  
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*उत्कल ब्रह्मदेश<ref>[[बर्मा]] अब [[म्यांमार]]</ref> में [[रंगून]]<ref>अब [[यांगून]]</ref> से लेकर '''पीगू''' तक के औपनिवेशिक प्रदेश को '''उत्कल''' कहते थे।  
 
*यहाँ [[भारत]] के उत्कल देश के निवासियों ने आकर अनेक बस्तियाँ बसाई थीं।  
 
*यहाँ [[भारत]] के उत्कल देश के निवासियों ने आकर अनेक बस्तियाँ बसाई थीं।  
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*किवदंती है कि '''तपुस''' और '''भल्लूक''' नामक दो व्यापारी, जिन्होंने [[भारत]] जाकर [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] से भेंट की थी तथा जो उनके शिष्य बनकर [[तथागत]] के आठ केशों को लेकर ब्रह्मदेश आए थे, इसी प्रदेश के निवासी थे।  
  
  
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 89| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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Disamb2.jpg उत्कल एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- उत्कल (बहुविकल्पी)
  • उत्कल ब्रह्मदेश[1] में रंगून[2] से लेकर पीगू तक के औपनिवेशिक प्रदेश को उत्कल कहते थे।
  • यहाँ भारत के उत्कल देश के निवासियों ने आकर अनेक बस्तियाँ बसाई थीं।
  • किवदंती है कि तपुस और भल्लूक नामक दो व्यापारी, जिन्होंने भारत जाकर गौतम बुद्ध से भेंट की थी तथा जो उनके शिष्य बनकर तथागत के आठ केशों को लेकर ब्रह्मदेश आए थे, इसी प्रदेश के निवासी थे।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 89| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


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