म्यांमार

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म्यांमार ध्वज

म्यांमार जम्बूद्वीप, एशिया का एक देश है। इस देश का भारतीय नाम 'ब्रह्मदेश' है। पहले म्यांमार का नाम 'बर्मा' हुआ करता था। इसका यह नाम यहाँ बड़ी संख्या में आबाद बर्मी नस्ल के नाम पर पड़ा था। म्यांमार के उत्तर में चीन, पश्चिम में भारत, बांग्ला देश और हिन्द महासागर तथा दक्षिण-पूर्व की दिशा में इंडोनेशिया स्थित हैं। इसकी राजधानी 'नाएप्यीडॉ' और सबसे बड़ा शहर देश की भूतपूर्व राजधानी यांगून है, जिसे पहले रंगून के नाम से जाना जाता था।

इतिहास

म्यांमार भारत एवं चीन के मध्य एक अवरोधक का कार्य करता है। इस देश से भारत को पटकोई पर्वत श्रृंखला, घने जंगलों तथा बंगाल की खाड़ी ने अलग कर रखा है। म्यांमार को 'ब्रह्मा' अथवा 'पैगोडा का देश' भी कहा जाता है। यह एक स्वतंत्र देश है, जो 1937 ई. से पूर्व भारत का ही एक अंग था। म्यांमार का प्रारम्भिक इतिहास यहाँ की मूल जातियों, बर्मी व मोन के संघर्ष का इतिहास है। भारत के बौद्ध प्रचारकों के प्रयासों से यहाँ बौद्ध धर्म की स्थापना हुई थी। 1044 में इरावती डेल्टा एवं थाटोन पर राजा अणाव्रत का शासन था, जिसे 1287 ई. में कुबलाई ख़ान ने समाप्त कर दिया था।

16वीं शताब्दी में यहाँ तोउगू वंश का शासन था। 1758 ई. में रंगून को देश की राजधानी बनाया गया। 1824, 1826 और 1852 ई. में आंग्ल-बर्मा युद्ध हुए, जिसके फलस्वरूव म्यांमार को भारत में मिला लिया गया और 1885 ई. में यह भारत का एक प्रान्त बन गया। 1937 ई. में ब्रिटिश भारत से म्यांमार को पृथक् कर दिया गया और द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने इस पर अपना आधिपत्य कर लिया। 1945 ई. में मित्र राष्ट्रों की सहायता से म्यांमार का जापान से अधिग्रहण समाप्त किया गया। 4 जनवरी, 1948 ई. को म्यांमार स्वतंत्र हुआ और 1974 ई. में म्यांमार संघ का सोशलिस्ट गणराज्य बना।

भारतीय संस्कृति का प्रभाव

आरम्भिक काल में भारत और म्यांमार के बीच कोई राजनीतिक सम्बन्ध नहीं था। यद्यपि म्यांमार उस काल में भी हिन्दू संस्कृति से इतना अधिक प्रभावित हो चुका था कि इसके नगरों के नाम, जैसे- 'अयथिया' अथवा 'अयोध्या' संस्कृत नामों पर रखे जाने लगे थे। बाद में अशोक के काल में बौद्ध धर्म और संस्कृति का म्यांमार में इतना अधिक प्रसार हुआ कि आज भी वहाँ के बहुसंख्यक बौद्ध मताबलम्बी हैं। मुस्लिमों के शासनकाल में म्यांमार से भारत का सभी प्रकार का सम्पर्क भंग हो गया। स्वयं भी वह अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया, जिससे उसकी शक्ति छिन्न-भिन्न हो गई।

1757 ई. में राजा अलोम्प्रा ने नया बर्मा राजवंश चलाया। इस वंश के शासकों ने न केवल उत्तरी और दक्षिणी म्यांमार को राज्य में मिलाया, अपितु उसकी सीमाएँ स्याम, तनासरिम, अराकान तथा मणिपुर तक बढ़ा लीं। विजयों से, विशेषकर 1816 में आसाम की विजय से, म्यांमार राज्य की सीमा भारत में बढ़ते हुए ब्रिटिश साम्राज्य की सीमाओं के सन्निकट आ गई, जिससे दोनों के बीच शक्ति परीक्षण अनिवार्य हो गया।

स्वाधीनता

इतिहास में तीन क्रमिक बर्मी युद्ध हुए और 1886 ई. में पूरा देश ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के अंतर्गत आ गया। किन्तु 1935 ई. के भारतीय शासन विधान के अंतर्गत म्यांमार को भारत से अलग कर दिया गया। 1947 ई. से भारत और म्यांमार दो स्वाधीन पड़ोसी मित्र बन गये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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