अपवर्ग:
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अपवर्गः (पुल्लिंग) [अप+वृज्+घञ्]
- 1. पूर्ति, समाप्ति, किसी कार्य की पूर्णता या निष्पन्नता-अपवर्गे तृतीया-पा. 236, क्रियापवर्गेष्वनुजीविसात्कृताः-कि. 1-14, अपवर्गे तृतीयेति भणतः पाणिनेरपि-वै.17/68, कि. 16 49
- 2. अपवाद, विशिष्ट नियम-अभिव्याप्यापकर्षणमपवर्गः:-सुषु.
- 3. मोक्ष, परमगति, अपवर्ग महोदयार्थ यो भुवमंशाविव धर्मयोगती-रघु.8 16
- 4. उपहार, दान
- 5. त्याग
- 6. छोड़ना (जैसे बाण का)[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 67 |
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