अरब प्रायद्वीपीय रेगिस्तान
अरब प्रायद्वीपीय रेगिस्तान उत्तर में सीरिया से लेकर दक्षिण में ओमान तक फैला हुआ है। यह गर्म, शुष्क और अतिशुष्क रेगिस्तान है, जिसका क्षेत्रफल 230,00,00 वर्ग कि.मी. है। इस रेगिस्तान में रेत के बहुत बड़े समुद्र मौजूद हैं। अरब रेगिस्तान विश्व के सबसे गर्म रेगिस्तानों में से एक है। यहाँ का तापमान यद्यपि बहुत अधिक रहता है, तथापि शीत काल में यह जमाव बिन्दु तक पहुँच जाता है। इस रेगिस्तान की भूमि में पेट्रोलियम पदार्थों के भण्डार प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं।
सहारा रेगिस्तान से समानता
विश्व प्रसिद्ध अरब प्रायद्वीपीय रेगिस्तान तथा सहारा रेगिस्तान के बीच बहुत समानता है। वास्तव में यह प्रायद्वीपीय रेगिस्तान एक प्रकार से सहारा रेगिस्तान का ही विस्तारित रूप है। इन दोनों के बीच अवरोधक के रूप में लाल सागर उपस्थित है। सहारा रेगिस्तान की ही भांति इस रेगिस्तान में भी रेत के विशाल समुद्र हैं। यह अत्यंत शुष्क प्रायद्वीपीय रेगिस्तान है। अनेक वर्षों तक यहाँ औसत वर्षा केवल 100 मि.मी. से कम ही रही है।
तापमान तथा संसाधन
यह अत्यंत गर्म रेगिस्तान है, जिसके मध्य भाग का तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है हालांकि शीत ऋतु में तापमान काफ़ी नीचे आ जाता है और अक्सर रात्रि में यह जमाव बिंदु तक पहुँच जाता है। इस प्रायद्वीप में संसार के दो-तिहाई पैट्रोलियम संसाधन समाए हुए हैं। इस प्रायद्वीप का दक्षिण-पूर्वी भाग सबसे शुष्क क्षेत्र है। इसी भाग में प्रसिद्ध 'रब आल खाली' या 'एम्टी क्वाटर' स्थित है। यह क्षेत्र इसके नाम के अनुरूप निर्जन स्थान है।[1]
अरब एशिया के दक्षिण पश्चिम में एक प्रायद्वीपीय पठार है, जो 12° उ.प. से 32° उ.प. तक तथा 35° पू.दे. से 66° पू.दे. तक फैला है। इसकी औसत चौड़ाई 700 मील तथा लंबाई 1,200 मील है क्षेत्रफल: 10,00,000 वर्गमील। इसके पश्चिम में लालसागर, दक्षिण में अरबसागर एवं अदन की खाड़ी, पूर्व में ओमान एवं फारस की खाड़ियाँ तथा उत्तर में जॉर्डन एवं इराक के मरुस्थल है। इसका लालसागरीय तट अकाबा की खाड़ी से अदन तक फैला है और 1,400 मील लंबा है। दक्षिण में इसके तट की लंबाई 1,250 मील है।
पठार में आद्यकल्पिक (आर्कियन) पत्थर हैं जिनपर मध्यकल्पिक (मेसोज़ोइक बालू एवं चूने के पत्थरों का जमाव मिलता है। इसकी ढाल पश्चिम से पूर्व को है। पश्चिमी तट पर लावानिर्मित ऊँची पर्वतश्रेणियाँ मिलती हैं जिनकी औसत ऊँचाई 5,000 फुट है। इनकी सर्वाधिक ऊँचाई यमन राज्य में 12,336 फुट है। अरब के मध्य भाग की ऊँचाई 2,000 से 3,000 फुट है।
यह संसार की अति उष्ण पट्टी में पड़ता है। यमन, असीर, एवं ओमान की पहड़ियों को छोड़ अरब का संपूर्ण भाग शुष्क एवं ऊष्ण है, जहाँ वर्षा साल भर में पाँच इंच से भी कम होती है। सततप्रवाहिनी नदियों का सर्वथा अभाव है। अरब में तीन प्रकार के क्षेत्र मिलते है: (1)कठिन मरुस्थल; (2)शुष्क प्रशोषस्थली (स्टेप्स); (3) मरूद्यान एवं कृषिक्षेत्र। कठिन मरूस्थलों में न जल है, न किसी प्रकार की वनस्पति। इसके अंतर्गत नफ़ूद, दहना एवं रूब-अल-खाली के बलुए ढेर एवं कंकड़ के क्षेत्र हैं। नफ़ूद में बद्दू लोग, जाड़े में थोड़ी वर्षा होने पर, ऊँट तथा भेड़ चराते हैं। रूब-अल-खाली के पूर्वी भाग में अलमुर्रा एवं अन्य जातियाँ प्रसिद्ध ओमानी ऊँट पालती है।
स्टेप्स के अंतर्गत हमाद, हेजाज़ एवं मिदियाँ के क्षेत्र हैं। यहाँ कहीं कहीं प्राकृतिक जलछिद्र तथा कँटीली झाड़ियाँ मिलती हैं। मरूद्यान एवं कृषिक्षेत्र मध्य भाग (जिसे नज्द कहते हैं) तथा तटीय भागों में मिलते हैं। नज्द में तीन मरूद्यान एक दूसरे से जुड़े हैं, जिनके बीच में रियाध नगर है। रियाध सऊदी अरब राज्य की राजधानी है। तटीय उर्वर क्षेत्रों में यमन, हासा, ओमान का बटीनाह् तट तथा वादी हद्रेमौत प्रमुख हैं। यमन जगतप्रसिद्ध मोच्चा कहवा की जन्मभूमि है।
अरब प्रायद्वीप खनिज तेल का भांडार है, जिसकी संचित निधि 9 अरब (900 करोड़) बैरल बताई जाती है। सोना, चाँदी, गंधक तथा नमक अन्य प्रमुख खनिज हैं। यहाँ का मुख्य उद्यम घोड़ा, ऊँट, गदहा, भेड़ तथा बकरा पालना है। खजूर एवं ऊँट का दूध अरब लोगों का मुख्य भोजन है। मरूद्यान में गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरे के अतिरिक्त अंगूर, अखरोट, अनार, अंजीर तथा खजूर आदि फल उपजाए जाते हैं। पठारों पर सेब तथा घाटियों में केला पैदा किया जाता है। मुसलमानों के तीर्थस्थान मक्का एवं मदीना प्रायद्वीप के पश्चिमी भाग (हेजाज़) में स्थित हैं। 90% तीर्थयात्री जिद्दा बंदरगाह से होकर इन तीर्थस्थानों में जाते हैं।[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संसार के विशाल रेगिस्तान (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 15 जुलाई, 2012।
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 216 |
संबंधित लेख